
यूक्रेन और रूस पर की गई बयानबाजी को लेकर आलोचनाओं के घेरे में आए जर्मन नौसेना के प्रमुख के-एचिम शॉनबाख ने शनिवार देर रात इस्तीफा दे दिया. शुक्रवार को भारत में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए वाइस एडमिरल शॉनबाख ने कहा था कि यूक्रेन क्रीमिया प्रायद्वीप को फिर से हासिल नहीं कर सकेगा, जिसे रूस ने 2014 में कब्जा कर लिया था. साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का सम्मान किया जाना चाहिए.
जर्मनी के वाइस एडमिरल शॉनबाख नई दिल्ली के मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस में शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे. जर्मन नौसेना प्रमुख का क्रीमिया को लेकर दिया गया बयान उनके देश की लाइन से बिल्कुल विपरीत है. यूरोप और अमेरिका का इस संबंध में मत है कि रूस ने हमला करके क्रीमिया पर अवैध तरीके से कब्जा कर लिया था. इसलिए यह प्रायद्वीप यूक्रेन को वापस मिलना चाहिए.
Vice Admiral Kay-Achim Schönbach, Chief of #German #Navy, delivered a lecture today on “Germany’s #IndoPacific Strategy” followed by lively Q&A session. Event moderated by DG @SujanChinoy#IndoPacific #IndiaGermany #MaritimeCooperation
Watch the video at https://t.co/BtCDUfEAiv pic.twitter.com/HXCzRz5cIM
शॉनबाख ने अपने इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर खेद प्रकट किया और खुद अपनी बर्खास्तगी के लिए रक्षा मंत्री क्रिस्टीन लैंब्रेच को पत्र लिखा है. एचिम का कहना है कि वह अपने गलत बयानों से होने वाले जर्मनी और उसकी सेना के नुकसान को रोकना चाहते थे, इसलिए उन्होंने खुद को पद से पृथक करने की मांग की.
वहीं, जर्मन नौसेना ने एक बयान में कहा कि रक्षा मंत्री क्रिस्टीन लैंब्रेच ने शॉनबैक का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और उनके डिप्टी को अंतरिम नौसेना प्रमुख नियुक्त किया है.
जर्मन सरकार ने जोर देकर कहा है कि वह यूक्रेन के खातिर रूस के सैन्य खतरे के मुद्दे पर अपने नाटो सहयोगियों के साथ एकजुट है. वहीं, चेतावनी भी दी है कि यदि मास्को अपने पड़ोसी के खिलाफ कोई सैन्य कदम उठाता है तो उसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी. लेकिन कई अन्य नाटो देशों के विपरीत बर्लिन का कहना है कि वह यूक्रेन को घातक हथियारों की आपूर्ति नहीं करेगा. इसके पीछे तर्क यह है कि जर्मनी तनाव को और अधिक नहीं बढ़ाना चाहता.
बता दें कि रूस ने यूक्रेन बॉर्डर के पास अपना सैनिक और खतरनाक हथियार तैनात किए हैं. रूस के इस कदम से दोनों देशों के बीच माहौल और भी ज्यादा गरमा गया है. आपको बता दें कि बीते कई दिनों से दोनों देशों के बीच जंग के आसार नजर आ रहे हैं.