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'मशीनों पर भारी पड़ी इंसानी मेहनत...' उत्तरकाशी में मजदूरों के सफल रेस्क्यू पर क्या बोला विदेशी मीडिया

सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. अमेरिका से आई ऑगर मशीन के टूट जाने के बाद रैट माइनर्स ने बचे हुए मलबे को खोदकर बाहर निकाला और मंगलवार देर शाम को सभी मजदूरों को पाइप के जरिए सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. इस रेस्क्यू ऑपरेशन की दुनियाभर की मीडिया में चर्चा हो रही है.

रेस्क्यू टीम ने सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया है रेस्क्यू टीम ने सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया है
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:24 PM IST

उत्तरकाशी में वो जंग जीती गई है, जहां मशीन नहीं बल्कि मानव ने जीत दिलाई है. यहां सुरंग को भेदने में मशीनी ताकत खत्म हो गई, फिर मानव का साहस काम आया है. सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. अमेरिका से आई ऑगर मशीन के टूट जाने के बाद रैट माइनर्स ने बचे हुए मलबे को खोदकर बाहर निकाला और मंगलवार देर शाम को सभी मजदूरों को पाइप के जरिए सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.

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जैसे ही 17 दिनों के बाद सुरंग में फंसे सभी 41 निर्माण मजूदरों को सफलतापूर्वक बाहर निकाला गया, वैश्विक मीडिया ने रेस्क्यू ऑपरेशन की सराहना की. बीबीसी ने ऑपरेशन का अपडेट जारी करते हुए कहा, "सुरंग के बाहर, पहले व्यक्ति के सुरंग से बाहर आने की खबर पर जश्न मनाया जा रहा है."

बीबीसी ने अपनी वेबसाइट पर एक फोटो भी अपलोड की, जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह सुरंग से बचाए गए पहले मजदूर से मिलते हुए दिखाई दे रहे हैं.

सीएनएन ने बताया, "घटनास्थल के वीडियो फुटेज में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को श्रमिकों से मुलाकात करते हुए देखा जा सकता है. मशीन के टूट जाने के बाद हाथों से खुदाई कर के मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है."

वहीं कतर के समाचार चैनल अल-जजीरा की रिपोर्ट में कहा गया, "12 नवंबर को सुरंग धंसने से शुरू हुई कठिन परीक्षा को खत्म करने के बाद बचावकर्मियों ने मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया. मजदूरों को लगभग 30 किमी दूर एक अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एम्बुलेंसें सुरंग के मुहाने पर खड़ी थीं. मजदूरों को वेल्डेड पाइपों से बने मार्ग से बाहर निकाला जा रहा है."

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ब्रिटिश दैनिक 'द गार्जियन' ने बताया कि सिल्कयारा-बारकोट सुरंग के प्रवेश द्वार से स्ट्रेचर पर पहले लोगों के निकलने का नाटकीय दृश्य 400 घंटे से अधिक समय के बाद आया, जिसके दौरान प्रमुख बचाव अभियान में कई बाधाएं, देरी और आसन्न बचाव के झूठे वादे शामिल थे. .

अखबार ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में कहा, "मानव श्रम ने मशीनरी पर विजय प्राप्त की. क्योंकि मजदूरों तक पहुंचने के लिए मलबे के अंतिम 12 मीटर मलबे को मैन्युअल रूप से ड्रिल करने में रेस्क्यू टीम कामयाब रही. एक 'एस्केप पैसेज' पाइप डाला गया था, जिससे बचाव दल - व्हील वाले स्ट्रेचर और ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाने में सक्षम हुए.''

लंदन स्थित दैनिक 'द टेलीग्राफ' ने अपनी मुख्य खबर में कहा कि सैन्य इंजीनियरों और खनिकों ने एक पेचीदा ऑपरेशन पूरा करने के लिए मलबे के माध्यम से 'रैट हॉल' ड्रिल किया.

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