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सेना प्रमुख नरवणे के बयान पर भड़का चीन, UP चुनावों से जोड़ा

सेना प्रमुख एमएम नरवणे के बयान पर भड़कते हुए चीन के ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि घरेलू मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ये भारत की एक चाल है. चीनी मीडिया ने लिखा है कि उत्तर प्रदेश चुनाव आ रहे हैं, ऐसे में भारत में कुछ अतिवादी ताकतों की तरफ से सीमावर्ती क्षेत्रों में हरकत हो सकती है. चीन ने मनगढ़ंत बातें लिखते हुए भारत के पड़ोसी देशों को सतर्क रहने की हिदायत भी दे डाली.

सेनाध्यक्ष एमएम नरवणे के बयान पर चीन की तरफ से आई प्रतिक्रिया (Photo-Reuters/File) सेनाध्यक्ष एमएम नरवणे के बयान पर चीन की तरफ से आई प्रतिक्रिया (Photo-Reuters/File)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 8:17 PM IST
  • एमएम नरवणे के बयान पर भड़का चीन
  • कहा- घरेलू मुद्दों से ध्यान भटकाने की भारत की चाल
  • उत्तर प्रदेश चुनावों का भी किया जिक्र

चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स थल भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे के बयानों पर भड़क गया है. अखबार ने लिखा है कि नरवणे भारत की आंतरिक समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए चीन विरोधी रुख अपना रहे हैं. ग्लोबल टाइम्स ने एक बार फिर कई अनर्गल बातें छापी हैं. ग्लोबल टाइम्स लिखता है कि CDS बिपिन रावत के निधन के बाद नरवणे को उनकी कुछ जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं. रावत चीन विरोधी बयानबाजी करते रहते थे, इसलिए नरवणे भी उन्हीं के नक्शेकदम पर चल रहे हैं ताकि उनकी स्थिति मजबूत हो सके.

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ग्लोबल टाइम्स ने चाइना इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में एशिया-पेसिफिक स्टडीज के डिपार्टमेंट हेड लैन जियानक्स्यू का एक लेख छापा है जिसमें उन्होंने लिखा है कि एम.एम. नरवणे का बयान कोर कमांडर स्तर की बैठक में हुई सकारात्मक बातचीत के अनुरूप नहीं है.

क्या कहा था सेनाध्यक्ष ने?

एमएम नरवणे ने शनिवार को थल सेना दिवस पर परेड को संबोधित करते चीन को स्पष्ट रूप से चेताते हुए कहा था कि भारत दोनों पक्षों के बीच चल रहे गतिरोध के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सीमाओं को एकतरफा रूप से बदलने के किसी भी प्रयास को सफल नहीं होने देगा. इससे पहले एक बयान में उन्होंने चीन को खतरा करार दिया था.

नरवणे के बयान पर भड़का ग्लोबल टाइम्स

नरवणे के इस बयान पर ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, 'नरवणे की ये बयानबाजी बुधवार को आयोजित चीन-भारत कोर कमांडर स्तर की बैठक के 14वें दौर में दिखे सकारात्मक संकेतों के अनुरूप नहीं है. तीन महीने पहले हुए 13वें दौर की तुलना में, जिसमें भारत ने अनुचित मांगों पर जोर दिया था, 14वें दौर का माहौल अपेक्षाकृत अच्छा था. दोनों पक्ष सीमा मुद्दे पर यथाशीघ्र एक समाधान की दिशा में काम करने और जमीन पर सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रभावी उपाय करने पर सहमत हुए हैं.'

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अखबार आगे लिखता है कि नरवणे ने अपने सैनिकों के बीच अक्सर चीन विरोधी बातें दोहराईं हैं. चीनी मीडिया ने लिखा, 'नरवणे ने विशेष रूप से भारतीय सेना के भीतर अक्सर चीन विरोधी बातें दोहराई हैं. उदाहरण के लिए, दिवंगत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने चीन को भारत के लिए 'सबसे बड़ा सुरक्षा खतरा' करार दिया था. उनकी टिप्पणी दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर चीन और मोदी सरकार के बीच बनी आम सहमति के खिलाफ गई.'

'दिसंबर में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में रावत की मृत्यु के बाद, नरवणे ने चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष के रूप में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की कुछ जिम्मेदारियां संभाली हैं. एक नए अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए रावत के चीन विरोधी रुख को जारी रखा है.'

अखबार ने लिखा है कि लंबे समय से चले आ रहे टकराव के बाद भारत ने महसूस किया है कि सैन्य बल द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा की यथास्थिति को एकतरफा बदलने का उसका प्रयास सफल नहीं हो सकता है. भारत केवल कमांडर स्तर पर या चीन के साथ राजनयिक स्तर की बातचीत के जरिए ही समस्याओं का समाधान कर सकता है. यही एकमात्र सही रास्ते हैं.

'घरेलू मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भारत की चाल है ये'

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चीनी अखबार आगे लिखता है, 'हालांकि, भारतीय सेना अपना अहंकार नहीं खोना चाहती. इसलिए, चीन-भारत सीमा मुद्दे से अनुचित तरीके से निपटने के लिए और भारत की घरेलू आलोचनाओं के जवाब में, नरवणे ने चीन के खिलाफ सख्त टिप्पणी की है.'

ग्लोबल टाइम्स लिखता है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो चुकी है. भारत इससे निपटने में नाकाम है और उसके आर्थिक विकास को भी झटका लगा है. इसलिए कुछ सैन्य अधिकारी चीन, पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों पर उंगली उठा रहे हैं. घरेलू मुद्दों से ध्यान भटकाने की भारत की ये सामान्य चाल है.

ग्लोबल टाइम्स के लेख में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव का भी जिक्र है. चीनी अखबार लिखता है कि भारत में कई राजनीतिक दल इस चुनाव को जीतने की कोशिश में हैं. ऐसे में संभावना है कि भारत में कुछ अतिवादी ताकतें इस साल बॉर्डर इलाकों में कुछ जोखिम भरा और साहसिक अभियान चला सकती हैं. ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि भारत के पड़ोसी देशों चीन, पाकिस्तान और नेपाल को ऐसे में सतर्क रहने की जरूरत है.  

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