
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को पद की शपथ लेने के बाद अपने पहले संबोधन में ग्रीनलैंड पर अमेरिकी नियंत्रण की बात कही थी. लेकिन अब डेनमार्क के एक सांसद ने इसका विरोध करते हुए ट्रंप को खूब खरी-खोटी सुनाई है.
ग्रीनलैंड दशकों से डेनमार्क का हिस्सा है. ऐसे में गुरुवार को यूरोपीय संसद में बोलते हुए डेनमार्क के सांसद एंडर्स विस्टिसेन ने कहा कि डियर प्रेजिडेंट ट्रंप, ध्यान से सुनिए. ग्रीनलैंड 800 साल से डेनमार्क का हिस्सा रहा है. यह हमारे देश का अभिन्न अंग है. ये बिक्री के लिए नहीं है. मैं आपको सीधे शब्दों में समझा दूं. इसके बाद एंडर्स ने ट्रंप के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया.
लेकिन इसके तुरंत बाद यूरोपीय संसद के वाइस प्रेसिजेंट निकोल स्टेफनूटा ने एंडर्स को फटकार लगाते हुए कहा कि इस तरह की भाषा की इजाजत नहीं दी जा सकती. सदन में यह नहीं चलेगा.
बता दें कि ट्रंप कई मौकों पर कह चुके हैं कि अमेरिका को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से ग्रीनलैंड की जरूरत है. ऐसे में ग्रीनलैंड पर अमेरिकी नियंत्रण बहुत जरूरी है.
वहीं, इससे पहले ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट इगा ने भी साफतौर पर कहा था कि ग्रीनलैंड उनके लोगों का है और वो बिकाऊ नहीं है.
ग्रीनलैंड को लेकर ट्रंप के इरादे क्या हैं?
अब सवाल है कि ग्रीनलैंड ही क्यों? ग्रीनलैंड की स्ट्रैटैजिक लोकेशन दरअसल उत्तरी अटलांटिक महासागर है. वैसे तो यह उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप का हिस्सा ही है लेकिन जियो पॉलिटकली देखें तो यूरोप से भी इसका कनेक्शन है. ट्रंप राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर ग्रीनलैंड पर कब्जे की बातें कर रहे हैं. लेकिन असल वजह ये भी है कि जमीन के इस टुकड़े पर मौजूद प्राकृतिक संसाधनों और उसकी भू-राजनीतिक स्थिति की वजह से ट्रंप की नजर इस पर है.
अब जरा ग्रीनलैंड की मौजूदा स्थिति को समझ लेते हैं. 1953 तक ग्रीनलैंड डेनमार्क का उपनिवेश था. मौजूदा समय में भी इस पर डेनमार्क का नियंत्रण ही है लेकिन 2009 से वहां पर सेमी-ऑटोनोमस सरकार है. घरेलू नीतियों से लेकर अन्य मामलों में ग्रीनलैंड की सरकार ही सर्वेसर्वा है लेकिन रक्षा और विदेश संबंधी मामले लेने का हक डेनमार्क की सरकार के पास है.