
15 अगस्त 2021 की वो तस्वीर कौन भूल सकता है, जब अफगानिस्तान के लोग हजारों की तादाद में काबुल एयरपोर्ट के बाहर इकट्ठा हो गए थे. वहां मौजूद हर शख्स किसी भी तरह देश छोड़कर बाहर जाना चाहता था. हर-तरफ चीख पुकार मची हुई थी. अफगानिस्तान की अशरफ गनी सरकार देश छोड़कर जा चुकी थी और थोड़े समय बाद आखिरकार तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा भी कर लिया था.
सत्ता के इस खूनी हस्तांतरण को आज करीब 8 महीने हो चुके हैं. अफगानिस्तान में तब से तालिबान की सरकार काबिज है. किसी भी देश ने तालिबान की सरकार को अब तक मान्यता नहीं दी है. इन हालातों के बीच अफगानिस्तान के हालात जानने के लिए आजतक की टीम काबुल पहुंची. गरीबी और भुखमरी से लेकर महिलाओं की पूरी तरह बदल चुकी जिंदगी तर आजतक की टीम ने काबुल में बहुत कुछ देखा. आइए आपको सीधे काबुल के जमीनी हालात बताते हैं.
अफगानिस्तान के काबुल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाहर सन्नाटा पसरा हुआ है. यहां तालिबान के नेता अब्दुल हमीद से मुलाकात होती है. हमीद बताते हैं कि भीड़ कम होने के दो मुख्य कारण हैं. पहला ये की सुरक्षा कड़ी होने के कारण लोग कम नजर आ रहे हैं और दूसरा तालिबानी हुकूमत को किसी देश से मान्यता ना मिलने के कारण भी फ्लाइट्स नहीं आ रही हैं.
हमीद से पूछा गया कि एयरपोर्ट पर अमेरिकी जहाज नजर नहीं आ रहे, कहां गए? तो हमीद ने बताया कि सभी अमेरिकी जहाज तबाह कर दिए गए. यहां अब कोई अमेरिकी जहाज और फौजी नहीं है. संचालन अब कतर के हाथ में है.
एयरपोर्ट से बाहर निकलने पर नसीर अहमद से बात हुई. नसीर से पूछा गया कि हालात कैसे हैं? उन्होंने कहा, 'हालात सुधरे हैं. सुरक्षा व्यवस्था बेहतर हुई है. हम यहां ठीक हैं. नसीर ने बताया कि तालिबान के गार्ड मुस्तैदी से एयरपोर्ट की हिफाजत करते हैं.
एयरपोर्ट से निकलने के बाद आजतक की टीम सड़कों पर पहुंची तो हालात सामान्य दिखे. सड़कों पर हॉर्न बजाती गाड़ियां, यहां-वहां जाते लोग नजर आए. किसी के चेहरे पर डर नजर नहीं आया. रमजान के महीन में काबुल की सड़कों पर कई लोग भीख मांगते दिखे. खाने की किल्लत की परेशानी भी दिखाई दी. फिर भी लोगों का कहना है कि है तालिबान का शासन आने के बाद अपराध कम हुए हैं. इसका एक कारण तालिबानी सजा भी हो सकती है, क्योंकि तालिबान के राज में अदालत की कोई गुंजाइश नहीं है.
सड़कों से होते हुए आजतक की टीम काबुल के बाजार पहुंची. यहां अब्दुल हकीम से बात हुई. अब्दुल हकीम से पूछा गया कि तालिबानी शासन में कोई परेशानी तो नहीं है. इस पर हकीम ने कहा कि कोई परेशानी नहीं है. सभी लोग काम कर रहे हैं, कोई तंग नहीं कर रहा. तालिबान की हुकूमत अच्छी चल रही है.
काबुल की सड़कों पर वहां के बाजारों में एक बात जो अजीब लगी. यहां कहीं पर भी महिलाएं नजर नहीं आईं. तालिबान के महिलाओं को अर्थव्यवस्था और शिक्षा से बाहर निकाल फेंकने का असर यहां नजर आया. काबुल में जितने भी लोगों से बातचीत की करीब-करीब सभी तालिबानी सरकार की तारीफ ही करते नजर आए. हालांकि, इससे अंदाज लगाना मुश्किल है कि ये लोग वाकई खुश हैं या तालिबान के डर से ऐसा बोल रहे हैं.