
अफगानिस्तान की सीमा से सटे उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान में पोलियो की दवाई पिलाने गई टीम पर बंदूकधाकरियों ने हमला कर दिया. जिसमें एक कर्मी घायल हो गया. पुलिस अधिकारियों ने शनिवार को ये जानकारी दी. इस क्षेत्र में पहले भी कई बार टीकाकरण टीम पर हमले हो चुके हैं.
पुलिस ने बताया कि उत्तरी वजीरिस्तान कबायली जिले के मीर अली तहसील में शनिवार को अज्ञात हमलावरों ने पोलियो टीकाकरण टीम पर गोलियां चला दीं, जिसमें शेर अली नाम का एक कर्मी घायल हो गया. जिसके बाद अली को तुरंत स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है.
बता दें कि उत्तरी वजीरिस्तान कबायली जिले में मंगलवार को ही अज्ञात हमलावरों ने पोलियो रोधी टीकाकरण दल की सुरक्षा में तैनात दो पुलिसकर्मियों समेत तीन लोगों की हत्या कर दी थी. इसी साल मार्च में उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान में बंदूकधारियों ने एक महिला पोलियो कार्यकर्ता की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी, जब वह पोलियो विरोधी अभियान में हिस्सा लेकर घर लौट रही थी.
वहीं पिछले साल जनवरी में, बंदूकधारियों ने उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान में पोलियो वैक्सीन संचालकों की एक टीम की सुरक्षा कर रहे एक पुलिस अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
घातक है पोलियो वायरस
पोलियो वायरस से होने वाली एक संक्रामक बीमारी है जो मुख्य रूप से पांच साल से कम उम्र के बच्चों में होती है. यह तंत्रिका प्रणाली को प्रभावित करता है और इससे लकवा जैसी बीमारी के साथ-साथ मृत्यु तक हो सकती है. पोलियो का कोई इलाज नहीं है. जिसके चलते बच्चों को इस गंभीर बीमारी से बचाने के लिए केवल टीकाकरण ही एकमात्र प्रभावी तरीका है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया में अब सिर्फ पाकिस्तान और अफगानिस्तान ही ऐसे देश बचे हैं जहां बच्चे पोलियो से ग्रस्त हैं. हाल ही में लंदन में चार दशकों में पहली बार सीवेज के नमूनों में पोलियो वायरस का पता चलने के बाद पाकिस्तान का टीकाकरण कार्यक्रम जांच के दायरे में आ गया है.
पाकिस्तान ने शुरू किया राष्ट्रव्यापी अभियान
इस साल मई में पाकिस्तान सरकार ने देश में वायरस के मामले सामने आने के बाद 43 मिलियन से अधिक बच्चों को टीका लगाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी पोलियो विरोधी अभियान शुरू किया है. इससे पहले देश के विभिन्न हिस्सों में पोलियो कार्यकर्ताओं पर हमलों के बढ़ते मामलों के मद्देनजर पिछली कई पाकिस्तान सरकारों को पोलियो विरोधी अभियान को स्थगित करना पड़ा था.
हाल के वर्षों में उग्रवादियों द्वारा टीकाकरण टीमों पर घातक हमले करके गंभीर बीमारी पोलियो को खत्म करने के प्रयासों को गंभीर रूप से बाधित किया गया है. इनका दावा है कि पोलियो की दवाई बांझपन का कारण बनती है.