Advertisement

'कम से कम मक्का में दफन...', हज पर गई महिला की गर्मी से मौत, घर वालों ने बताया सऊदी में क्या हुआ

Hajj 2024: 14-19 जून के बीच चला हज समाप्त हो चुका है. भयंकर गर्मी की वजह से इस बार एक हजार से अधिक लोगों के मरने की खबर है. मरने वालों में सबसे अधिक मिस्र के नागरिक हैं. बिना रेजिस्ट्रेशन हज के लिए जाने वाले लोगों पर गर्मी का कहर सबसे ज्यादा बरपा है.

इस बार हज के लिए गए लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ा है (Photo- Reuters) इस बार हज के लिए गए लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ा है (Photo- Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 जून 2024,
  • अपडेटेड 11:10 AM IST

हज 2024 के दौरान सऊदी अरब के मक्का में 1,000 से अधिक लोगों की मौत की खबर है. अधिकतर मौतों की वजह भयंकर गर्मी को बताया जा रहा है. मरने वालों में आधे से अधिक वैसे लोग हैं जो बिना रजिस्ट्रेशन हज के लिए गए थे. इस बार हज में मरने वाले सबसे अधिक नागरिक मिस्र के हैं. वहां एक ही समुदाय से 20 लोगों की मौत हुई है.

Advertisement

हज के लिए गए अधिकतर हाजी गरीब गांवों से थे. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी हज के लिए पैसे जोड़ने में बिता दी ताकि वो एक दिन सऊदी अरब के मक्का में जाकर हज कर सकें.

70 साल की इफेन्दिया ने हज पर जाने के लिए अपने गहने बेच दिए. पांच बच्चों की मां इफेन्दिया के छोटे बेटे सैय्यद बताते हैं कि हज पर जाना उनका सपना था और हज के दौरान ही उनकी मां की मौत हो गई.

वो रोते हुए कहते हैं, 'मेरी मां की मौत ने मुझे तोड़ दिया है. हज पर जाना मेरी मां का सबसे बड़ा सपना था.'

बिना हज परमिट के मक्का पहुंची थीं इफेन्दिया

इफेन्दिया विधवा थीं और वो हज वीजा के बजाए टूरिस्ट वीजा पर मक्का पहुंची थीं. वो उन हजारों हाजियों में से एक थी जो इस साल बिना हज परमिट के मक्का के लिए निकले थे.

Advertisement

सऊदी अधिकारियों ने इस बार 14 जून को हज की शुरुआत से पहले ही कह दिया था कि बिना हज परमिट के हज करना नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और इसके लिए जुर्माना भी लगाए जाने की बात कही गई थी. लेकिन हज परमिट की प्रक्रिया काफी जटिल और महंगी होती है जिस कारण हज के इच्छुक कई लोग बिना हज परमिट के ही मक्का पहुंच गए थे.

Photo- AP

मिस्र फिलहाल गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है और किसी मिस्रवासी को हज पर जाने के लिए 6,000 डॉलर (5,01,601 रुपये) खर्च करने होते हैं. इफेन्दिया एक स्थानीय ब्रोकर की मदद से हज यात्रा के लिए गई थीं जिसने उनसे हज लागत का आधा पैसा लिया था यानी करीब ढाई लाख. उसने इफेन्दिया के परिवार से वादा किया था कि हज के दौरान उन्हें फाइव स्टार सुविधाएं दी जाएंगी. लेकिन परिवार का कहना है कि ये सब झूठ था.

अराफात की पहाड़ी पर जाते वक्त इफेन्दिया ने तोड़ दिया दम

अराफात के दिन, जो इस बार 15 जून को पड़ा था, हाजी सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक अराफात की पहाड़ी पर नमाज अदा करते और इस्लाम का उपदेश सुनते बिताते हैं. अराफात की पहाड़ी मक्का से 20 किलोमीटर की दूरी पर है.

Advertisement

इफेन्दिया के बड़े बेटे तारिक ने बीबीसी से बातचीत में बताया, 'बस ने उन्हें अराफात की पहाड़ी से 12 किलोमीटर दूर ही उतार दिया. उन्हें आगे का रास्ता पैदल ही तय करना पड़ा. हम जब भी उन्हें वीडियो कॉल कर रहे थे, वो अपने सिर पर पानी डालती दिख रही थीं. वो झुलसा देने वाली गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाईं. जब आखिरी बार उनसे हमारी बात हुई तब वो बेहद थकी हुई लग रही थीं.'

हज परमिट पर जाने वाले हाजियों को रहने के लिए एयर कंडिशन वाले टेंट मिलते हैं, पवित्र स्थलों पर लाने-ले जाने के लिए बसों की सुविधा होती है और उन्हें हर तरह की मेडिकल सेवाएं दी जाती हैं.

Photo- Reuters

सैय्यद का कहना है कि बिना हज परमिट के गए हाजियों, जिसमें उनकी मां भी शामिल थीं, को इस तरह की कोई सुविधा नहीं दी गई थीं और उन्हें पूरी तरीके से उनके हाल पर छोड़ दिया गया था. वो कहते हैं कि उनकी मां और बाकी लोगों ने गर्मी से बचने के लिए बेडशीट की टेंट बनाई थी. वो कहते हैं कि जिस ब्रोकर के जरिए उनकी मां हज के लिए गई थीं, अब उससे संपर्क नहीं हो पा रहा है.

'मक्का में दफन होने का सपना पूरा हुआ'

आंखों में गहरी पीड़ा लिए इफेन्दिया की छोटी बेटी मनाल कहती हैं, 'अपनी मां के बिना मैं बेहद अकेली महसूस कर रही हूं. जब मैंने अपनी मां के मौत की खबर सुनी तो मैं चीख पड़ी थी.'

Advertisement

अपनी मां के आखिरी पलों को याद कर रोते हुए मनाल कहती हैं, 'मरने से कुछ वक्त पहले उन्होंने मेरे भाई को फोन किया और कहा था कि ऐसा लग रहा है मेरी आत्मा मेरा शरीर छोड़ रही है. काश मैं उनके साथ होती!'

अंतिम पलों में इफेन्दिया सड़क के एक कोने पर छाया में लेटी जहां उनकी मौत हो गई. उनकी मौत के बाद परिवार पर दुखों की पहाड़ टूट पड़ा है लेकिन साथ ही उन्हें इस बात से थोड़ी राहत मिली है कि उनकी मां को मक्का में दफनाया गया है. 

मनाल कहती हैं, 'उनकी इच्छा थी कि वो पवित्र शहर में ही अंतिम सांस लें और उन्हें वहीं दफना दिया जाए. उनका सपना पूरा हुआ.'

Photo- Reuters

मौतों पर क्या बोली मिस्र की सरकार?

मिस्र के अधिकारियों का कहना है कि मरने वाले अधिकतर हाजियों ने हज के लिए अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था जिससे मरने वालों की आधिकारिक संख्या का पता लगाने में दिक्कत पेश आ रही है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि मरने वालों की पहचान करने और उनके परिवारों तक पहुंचने में अभी और वक्त लग सकता है.

मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफा मदबौली ने कहा है कि उन टूर कंपनियों के खिलाफ जांच बिठाई जाएगी जो बिना रजिस्ट्रेशन वाले लोगों को हज के लिए सऊदी अरब भेज रहे थे.

Advertisement

इस साल हज पर गए थे 20 लाख से ज्यादा मुसलमान

हज करना इस्लाम के पांच स्तंभों से में प्रमुख स्तंभ माना जाता है. शारीरिक और वित्तीय रूप से सक्षम मुसलमानों के लिए जीवन में एक बार हज करना अनिवार्य माना गया है. माना जाता है कि हज करने से इंसान के सारे पाप धुल जाते हैं और वो पवित्र होकर मक्का से लौटता है. इस बार लगभग 20 लाख लोग हज के लिए मक्का पहुंचे थे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement