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अमेरिका के ग्रीन सिग्नल पर हानिया और फौद शुकर का अंत... इजरायल के एक्शन पर क्यों उठे सवाल?

हानिया की हत्या के बाद हमास और ईरान समर्थक दावा कर रहे हैं कि उसकी हत्या का ग्रीन सिग्नल किसी और ने नहीं, अमेरिका ने दिया था. और तभी नेतन्याहू अमेरिका से वापस इजरायल लौटे और उसके कुछ ही घंटे के भीतर पहले हिजबुल्लाह के नंबर 2 फौद शुकर का और फिर हमास के चीफ हानिया का खात्म कर दिया गया. इस बीच ईरान ने अपनी मस्जिद पर लाल झंडा फहरा दिया है. लाल झंडा यानी बदले का अल्टीमेटम.

हानिया और शुकर को इजरायल ने मार गिराया हानिया और शुकर को इजरायल ने मार गिराया
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 8:26 AM IST

इस समय एक सवाल सब जगह गूंज रहा है और वो है कि क्या दुनिया में विश्व युद्ध की दस्तक एक बार फिर तेज हो सकती है. कारण, इजरायल ने जिस तरह से हमास के चीफ को ईरान में घुसकर मार गिराया, उसके बाद दुनिया सहमी हुई है. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने हमास नेता इस्माइल हानिया की हत्या के बाद इजरायल को कड़ी सजा देने की कसम खाई है. वहीं इजरायल कह रहा है कि वो हर हालात के लिए तैयार है. उसने अभी तक इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है.

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दरअसल, मंगलवार को हमास का मुखिया इस्लामिल हानिया ने तेहरान में ईरान के सुप्रीम नेताओं के साथ मुलाकात की. वह ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के शपथ ग्रहण में शामिल होने पहुंचा था. इसके चंद घंटे बाद ही वह तेहरान में इजरायली हमले में मारा गया. 
7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए सबसे बड़े आतंकी हमले के बाद इस्माइल हनीया ने हमले की लाइव फीड देखी थी और महिलाओं और बच्चों सहित इजरायली नागरिकों पर हमास के हमले का जश्न मनाया था. 

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इजरायल ने लिया 7 अक्टूबर का बदला?

तब इजरायल ने कह दिया था कि 7 अक्टूबर के गुनहगार चलती-फिरती लाश हैं. आज नहीं तो कल उनका अंत आएगा. एक-एक कर इजरायल अपने दुश्मनों का सफाया करता जा रहा है. इजरायल की ये बात बुधवार को सही साबित हो गई और हमास का चीफ सबसे सुरक्षित किले में मारा गया. हानिया कतर में रहता था लेकिन वो ईरान आया हुआ था. हमास चीफ इस्माइल हानिया की हत्या को लेकर सरकारी न्यूज एजेंसी इरना के मुताबिक हानिया के ठिकाने पर हमला गाइडेड मिसाइल से किया गया है. हानिया उत्तरी तेहरान में एक घर में ठहरा था. ईरानी सेना उस जगह का पता लगाने में जुटी है. 

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इस्माइल हानिया समेत हमास के सभी बड़े नेता 6 सालों से कतर में रहा था. कतर से हमास के संबंध अच्छे रहे हैं. हालांकि, 3 महीने पहले ये रिपोर्ट्स आने लगी थीं कि कतर जंग में मध्यस्थता से परेशान हो चुका था. इसके चलते हमास के नेता ओमान शिफ्ट होने की प्लानिंग कर रहे थे लेकिन इससे पहले ही हानिया मारा गया. 

अमेरिका की अनुमति पर हुआ एक्शन?

हानिया की हत्या के बाद हमास और ईरान समर्थक दावा कर रहे हैं कि उसकी हत्या का ग्रीन सिग्नल किसी और ने नहीं, अमेरिका ने दिया था. और तभी नेतन्याहू अमेरिका से वापस इजरायल लौटे और उसके कुछ ही घंटे के भीतर पहले हिजबुल्लाह के नंबर 2 फौद शुकर का और फिर हमास के चीफ हानिया का खात्म कर दिया गया. इस बीच ईरान ने अपनी मस्जिद पर लाल झंडा फहरा दिया है. लाल झंडा यानी बदले का अल्टीमेटम. ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने बदले का ऐलान करते हुए कहा कि इस्लामी गणराज्य की सीमाओं के भीतर घटी इस कड़वी और दुखद घटना के बाद, बदला लेना हमारा कर्तव्य है. 

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दूसरी तरफ इजरायल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने भी कह दिया कि इजरायल किसी भी हालत का मुकाबला करने के लिए तैयार है. इस युद्ध में अब तक अमेरिका कभी शांति तो कभी युद्ध को भड़काने वाली भूमिका निभाता आ रहा है. सवाल ये कि क्या ये हमला उसकी मर्जी से हुआ है? और अगर इजरायल पर पलटवार हुआ तो अमेरिका उसका बचाव करेगा? आजतक को मिली जानकारी के मुताबिक अमेरिका इजरायल के साथ खड़ा था और अब भी उसकी मदद करेगा. 

क्या अमेरिका की जानकारी के बिना हुआ हमला?

अमेरिका के डिफेंस सेक्रेटरी ने कहा है कि अगर इजरायल पर हमला हुआ तो हम खड़े होंगे. अमेरिकी बेड़ा आसपास घूम रहा है. जहां तक इस सवाल की बात है कि हानिया को इजरायल ने कैसे मारा तो बताया ये जा रहा है कि मिसाइल किसी सबमरीन से या फिर एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ाने भरने वाले लड़ाकू विमान की ओर से दागी गई थी. दोनों ही सूरतों में अमेरिका की जानकारी के बिना ऐसा होना मुमकिन नहीं क्योंकि उसकी जबरदस्त नौसैनिक तैनाती है. हालांकि जब अमेरिकी विदेश मंत्री से इस बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने किसी जानकारी से इनकार कर दिया. 

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका को हानिया पर हमले की कोई जानकारी नहीं थी. सिंगापुर में चैनल न्यूज एशिया के साथ एक इंटरव्यू में ब्लिंकन ने कहा, "हमारा फोकस गाजा में जंग को रोकना है. हम सीजफायर के लिए लगातार कोशिश करते रहेंगे." अमेरिका के इन बयानों पर ईरान या उसकी मदद से काम करने वाले आतंकी संगठन कितना यकीन करेंगे इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. ऐसे में खतरा यही है कि मध्य पूर्व में जारी जंग और भड़क सकती है, कुछ और देशों तक भी फैल सकती है. 

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