
इतिहासकार नियाल फर्ग्यूसन ने भारत-अमेरिका संबंधों पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि अमेरिका अपनी एशिया पॉलिसी के तहत भारत को लुभाता रहता है इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जानते हैं कि भारत के पास और भी विकल्प हैं और भारत को अमेरिका की विदेश नीति के प्रति बिना शर्त कमिटमेंट करने की आवश्यकता नहीं है.
नियाल फर्ग्यूसन दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक में इंडिया टुडे से बात कर रहे थे.
इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस-चेयरपर्सन और एक्जीक्यूटिव एडिटर-इन-चीफ कली पुरी और इंडिया टुडे के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल के साथ एक एक्सक्लूसिव बातचीत में नियाल फर्ग्यूसन ने कहा कि हालांकि भारत हाल के वर्षों में अमेरिका के करीब हो गया है, लेकिन ये संबंध वैश्विक परिदृश्यों पर अत्यधिक निर्भर हैं.
नियाल फर्ग्यूसन ने अपनी बात को समझाते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि अगर ताइवान को लेकर कोई संघर्ष की स्थिति पैदा होती है तो भारत कुछ खास करेगा, क्योंकि भारत का चीन के साथ टकराव का असर नजदीक का हो सकता है. भारत और चीन के मतभेद के पीछे आर्थिक कारण हैं. मुझे नहीं लगता है कि किसी को इसे एक ऐसा गठबंधन मानना चाहिए जिसमें, चाहे कुछ भी हो, भारत संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ खड़ा रहेगा. ये संबंध उस नाटो जैसा नहीं जैसा कि यूरोप में होता है.
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इतिहासकार फर्ग्यूसन ने आगे कहा कि अगर आप देखेंगे कि मोदी ब्रिक्स सम्मेलन में कितने उत्साह के साथ शामिल होते हैं, इससे ये अर्थ निकलता है कि वे निश्चित रूप से अपने विकल्प खुले रखना चाहेंगे. और मुझे लगता है कि ही भारत की स्थिति की सच्चाई भी है. भारत को अमेरिका लुभाता रहता है लेकिन नरेंद्र मोदी जानते हैं कि भारत के पास कुछ विकल्प हैं और भारत को अमेरिकी विदेश नीति के लिए बिना शर्त कमिटमेंट दिखाने की जरूरत नहीं है.
फर्ग्यूसन दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम शिखर सम्मेलन के मौके पर इंडिया टुडे टीवी से बात कर रहे थे. यह पूछे जाने पर कि वह भारत की विकास की कहानी के बारे में क्या सोचते हैं, फर्ग्यूसन ने कहा कि भारत में बुनियादी तौर पर कुछ बदलाव आया है.
उन्होंने कहा, "मैं यहां और अभी इस शो में भविष्यवाणी करना चाहूंगा कि आने वाले दशक में चीन की विकास दर कम होकर सिंगल डिजिट में जा रही है. लेकिन यह भारत के लिए सच नहीं होगा. इसलिए मैं अपनी पिछली भविष्यवाणी पर वापस जाता हूं. विकास दर की बात करें तो भारत आगे निकलने वाला है."
फर्ग्यूसन ने अपनी पिछली बात को याद करते हुए कहा, "मुझे याद है, 2008 के कुछ समय बाद, मैंने भविष्यवाणी की थी कि यह कुछ हद तक कछुए और खरगोश की कहानी की तरह होगी. चीन तब खरगोश था. भारत कछुए की तरह दिख रहा था. और मैंने कहा था कि डेमोग्राफी को देखते हुए, यह बदल जाएगा और इस दौड़ को जीतने वाला कछुआ भारत होगा. खैर, हम यहां 2024 में हैं. हर कोई चीन की मंदी, चीन में गिरती कीमतें और भारत के आर्थिक चमत्कार के बारे में बात करता है. इस तथ्य से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि कुछ बुनियादी रूप से बदल गया है. वह भारत जिसे मैंने पहली बार 20 साल पहले जानना शुरू किया था अब लुप्त होना शुरू हो गया है. अब उस पुराने भारत की जगह एक नया और असाधारण रूप से गतिशील भारत आ रहा है."
फर्ग्यूसन ने भारत को अपनी पुरानी धारणा तोड़ने का श्रेय दिया. जहां कहा जाता था कि भारत की आर्थिक विकास दर एक तरह से स्थिर हो गई है. लेकिन अब भारत ने इसे आश्चर्यजनक रूप से बदल दिया है.
भारत की दूसरी शानदार कामयाबी की चर्चा करते हुए उन्होंने Fintech का जिक्र किया. फर्ग्यूसन ने कहा कि 20 साल पहले ये एक बहुत ही दूर की कौड़ी लगती थी. जब आप कुछ खरीदने के लिए कुछ बहुत ही कटे-फटे नोटों से भुगतान करते थे. अब हम देखते हैं कि भारत ने फिनटेक के क्षेत्र में उल्लेखनीय छलांग लगाई है. भारत के पास अपनी राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली है. ये ऐसा सिस्टम है जिस पर पश्चिमी दुनिया के कई देश ईर्ष्या करते हैं. इसलिए ये ऐसे परिवर्तन हैं जिनकी 20 साल पहले किसी ने कल्पना भी नहीं की थी.
फर्ग्यूसन ने आगे कहा कि भारत आने वाली सदी का भविष्य संवारने में अहम रोल निभा सकता है क्योंकि भारत के पास कई खूबियां हैं. भारत अभी भी एक मुक्त सोसायटी है जहां प्रेस और चुनाव भी काफी स्वतंत्र हैं. चीन में ऐसा कुछ भी नहीं है. यह पुराने सेंट्रलाइज्ड कम्युनिस्ट पार्टी मॉडल के साथ एक वन पार्टी स्टेट है. यही एक और कारण है कि मैं भारत के बारे में 10, 12, 15 साल पहले आशावादी था और अभी भी आशावादी बना हुआ हूं.