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इजरायल पर कहर बरपाने वाले हमास ने कैसे तैयार की अपनी मिनी आर्मी, किन देशों ने किया सहयोग?

इजरायल से युद्ध के लिए फिलिस्तीन संगठन हमास लंबे समय से तैयारी कर रहा था. उसे ईरान जैसे अन्य कई देशों से सैन्य हथियार से लेकर आर्थिक मदद तक मिल रही थी. एक रिपोर्ट में इस बारे में दावा किया गया है. यहां तक कि हमास ने इजरायल से लड़ने के लिए गोपनीय तौर पर 'मिनी-आर्मी' तक तैयार कर दी थी. एक गोपनीय जगह पर ट्रेनिंग दी गई. हमले करने के तरीके सिखाए गए और बचाने के उपाय भी बताए गए.

हमास के लड़ाकों ने 7 अक्टूबर को अचानक इजरायल पर हमला बोल दिया था. (फोटो- रॉयटर्स) हमास के लड़ाकों ने 7 अक्टूबर को अचानक इजरायल पर हमला बोल दिया था. (फोटो- रॉयटर्स)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 12:42 PM IST

इजरायल एक हफ्ते से जंग के मैदान में है. पिछले शनिवार को फिलिस्तीनी समर्थक हमास के लड़ाकों ने अचानक इजरायल पर हमला बोला था और घुसपैठ की थी. हमास ने इजरायल ने जो कहर बरपाया और नागरिकों के साथ बर्बरता की, वो दुनिया भर को चौंका रही है. यही वजह है कि इजरायल ने कसम खाई है कि वो हमास को खत्म करेगा. इजरायल लगातार गाजा पट्टी पर हमला कर रहा है और हमास के लड़ाकों को मार रहा है. जानिए हमास ने अपनी मिनी आर्मी कैसे तैयार की है...

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हमास से जुड़े लोग बताते हैं कि हमें दिक्कत हथियार आयात करने में होती थी, इसलिए हमने लोकल लेवल पर ही हथियार बनाने शुरू किए हैं. हमास ने बताया कि साल 2008 में गाजा की लड़ाई में हमारे रॉकेट की रेंज सिर्फ 40 किलोमीटर थी. लेकिन, 2021 तक हमारे रॉकेट की रेंज 230 किलोमीटर तक पहुंच गई है. हमास का कहना है कि हमारी मिनी आर्मी इजरायल के खिलाफ स्पेशलाइज्ड तरीके से काम करती है. हमारे लड़ाकों को खास ट्रेनिंग दी जाती है. साइबर सिक्योरिटी से लेकर नौसेना कमांडो यूनिट तक ट्रेनिंग दी जाती है.

'हर साल ईरान से मिलती है 100 मिलियन डॉलर की मदद'

साल 2000 के बाद से गाजा में टनल नेटवर्क पर ज्यादा तेजी के साथ काम किया गया है. ताकि हमास अपने लड़ाकों को युद्ध के मैदान में सही समय पर बचा सके. गाजा के पास घातक हथियारों का जखीरा है. इनमें बम, मोर्टार, रॉकेट, एंटी टैंक मिसाइल, एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल प्रमुख हैं. हमास के लड़ाके इस्माइल हनाइए ने एक इंटरव्यू में बड़ा दावा किया था. उसने बताया था कि हमास को 70 मिलियन डॉलर ईरान से प्राप्त हुए थे. हमारे पास बड़े रेंज वाले रॉकेट ईरान, सीरिया और बाकी देशों से आते हैं. इजरायल के एक सूत्र ने बताया कि हमास को पहले ईरान की तरफ से सिर्फ 100 मिलियन डॉलर की मदद मिलती थी. लेकिन पिछले कुछ समय में यह मदद 350 मिलियन डॉलर प्रति वर्ष हो गई है.

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'इजरायल के मरने वालों की संख्या बढ़ी'

आंकड़े बताते हैं कि हमास के खिलाफ युद्ध में इजरायल को लगातार बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. 2008 की लड़ाई में इजरायल के 9 जवानों की मौत हुई थी. जबकि 2014 की लड़ाई तक ये आंकड़ा 66 तक पहुंच गया था. 

'ईरान-लेबनान से भी मिल रही है मदद'

बता दें कि हमास ने 2007 में गाजा पर नियंत्रण हासिल कर लिया था, उसके बाद से लगातार इजरायल से टकराव चला आ रहा है. बीते शनिवार को हमास ने अचानक दक्षिणी इजरायल पर घातक हमला बोला और घुसपैठ की थी. ऐसे में इजरायल ने युद्ध का ऐलान कर दिया और अब जवाबी कार्रवाई में हमास को खत्म करने लिए पूरी ताकत झोंक दी है. हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी अली बराका ने बताया, आवश्यकता आविष्कार की जननी है. हमास ने लंबे समय से गाजा में अपनी सेना को मजबूत करते हुए ईरान और लेबनान के हिजबुल्लाह जैसे ईरानी क्षेत्रीय प्रतिनिधियों से धन और प्रशिक्षण प्राप्त किया है.

'9 वर्षों में हमास को खुद को किया है मजबूत'

लेबनान में रहने वाले बराका ने कहा, हथियारों के आयात में कठिनाइयों का मतलब है कि पिछले 9 वर्षों में हमने अपनी क्षमताओं को विकसित किया है. आज स्थानीय स्तर पर हथियार तैयार करने में सक्षम हैं. उन्होंने कहा कि 2008 के गाजा युद्ध में हमास के रॉकेटों की अधिकतम सीमा 40 किमी (25 मील) थी, लेकिन 2021 के संघर्ष तक यह बढ़कर 230 किमी हो गई है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने हमास के नेताओं, क्षेत्रीय सुरक्षा अधिकारियों और सैन्य विशेषज्ञों समेत संगठन की क्षमताओं से परिचित 11 लोगों के साथ एक साक्षात्कार किया है. इसमें बताया कि आज यह गुप्त और विशाल संगठन बन गया है. यह उस छोटे देश फिलिस्तीन से पहचाना नहीं जा सकता है, जिसने 36 साल पहले इजरायली कब्जे का पहली बार विरोध किया था.

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'सुरंग नेटवर्क के जरिए हथियारों की सप्लाई'

गाजा पट्टी में हमास के करीबी एक सूत्र ने कहा, हमारे संगठन के पास साइबर सुरक्षा समेत कई विशेषज्ञताओं का प्रशिक्षण देने वाली एक सैन्य अकादमी है. इसके अलावा, 40 हजार लड़ाकों की मजबूत सैन्य विंग है. इसमें एक नौसैनिक कमांडो यूनिट भी है. इसके विपरीत, Globalsecurity.org वेबसाइट के अनुसार, 1990 के दशक में हमास के पास 10 हजार से भी कम लड़ाके थे. एक क्षेत्रीय सुरक्षा सोर्स के अनुसार, संगठन ने 2000 के दशक की शुरुआत से गाजा के नीचे एक सुरंग नेटवर्क का निर्माण किया है ताकि लड़ाकों को भगाने, हथियार कारखाने स्थापित करने और विदेशों से हथियार लाने में मदद मिल सके. हमास के अधिकारियों ने कहा है कि समूह ने कई प्रकार के बम, मोर्टार, रॉकेट, एंटी-टैंक और एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलें हासिल कर ली हैं.

पिछले कुछ वर्षों में बढ़ती क्षमताओं ने तेजी से घातक परिणाम दिए हैं. 2008 में अपनी घुसपैठ के दौरान इजरायल ने अपने 9 सैनिकों को खो दिया था. 2014 में यह संख्या बढ़कर 66 हो गई. एचए ब्रिटेन के रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट के एक वरिष्ठ एसोसिएट फेलो हेलियर ने कहा, इजरायल घनी आबादी वाले इलाके पर हमले में हमास को नष्ट करने में सक्षम है. 

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'ईरान ने हमले को उकसाने से इंकार किया'

रॉयटर्स ने जिन सूत्रों से बात की, उन्होंने कहा, ईरान ने संगठन को प्रशिक्षित, सशस्त्र और वित्त पोषित किया है, लेकिन ऐसा कोई संकेत नहीं है कि तेहरान ने 7 अक्टूबर के हमले के लिए उकसाया था. क्षेत्रीय सुरक्षा सूत्र ने कहा, यह सब हमास के हाथों में था. लेकिन निश्चित रूप से सामान्य सहयोग, प्रशिक्षण और तैयारी में ईरान का साथ रहा है. वहीं, ईरान भी स्वीकार करता है कि वो हमास को वित्त और प्रशिक्षण में मदद करता है लेकिन उसने हमले में अपनी भूमिका से इनकार किया है.

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