
अमेरिका में 20 जनवरी को बाइडेन की जगह डोनाल्ड ट्रंप नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे. लेकिन इससे पहले अमेरिका के सामने एक बड़ा संकट 'आतंक के नए पैटर्न' के रूप में दिख रहा है. अमेरिका में न्यू ईयर के मौके पर न्यू ऑर्लिन्स की बॉर्बन स्ट्रीट पर हुए आतंकी हमले में 15 लोगों की जान गई. लेकिन इस घटना के बाद हमलावर को लेकर जो खबर सामने आई वो हैरान करने वाली थी.
दरअसल, हमलावर की पहचान 42 वर्षीय शम्सुद-दीन जब्बार के रूप में हुई. उसके पास से ISIS का झंडा बरामद हुआ. उससे भी हैरान करने वाली बात ये थी कि इस हमलावर ने अमेरिका की सेना में 2006 से लेकर 2015 तक काम किया था. ऐसे में अब ये सवाल उठता है कि आखिर दुनिया भर में अपनी सैन्य ताकत की धमक दिखाने वाले अमेरिका की सेना में कैसे आतंकी अपनी जगह बना रहे हैं. क्यों एक बार फिर अमेरिका में ISIS की जड़े जमती दिख रही हैं. ये कितना खतरनाक है और इन तमाम आतंकी घटनाओं को लेकर अमेरिकी जांच एजेंसी FBI क्या कर रहा है.
आतंक का नया पैटर्न आ रहा सामने
न्यू ऑर्लिन्स की घटना ISIS की नई रणनीति को दिखाता है. इस रणनीति के तहत अब ISIS किसी बड़े क्षेत्र को निशाना नहीं बना रहा है, न ही वहां अपना प्रभाव जमाने की कोशिश कर रहा है. इसके उलट अब वह एक-एक व्यक्तियों को टारगेट कर रहा है. ISIS ने अब अब अपना ध्यान तकनीकी पर कर लिया है. उसका हमला अब एक अकेले भेड़िए के जैसे है. चाकूबाजी करना, गोलीबारी और वाहनों पर हमले. आतंक की इस रणनीति ने अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. क्योंकि उनके लिए अब ये पता करना मुश्किल है कि इसमें कौन शामिल है.
क्यों FBI की पकड़ से दूर हो रहे आतंकी
ISIS जिस पैटर्न पर अब काम कर रहा है वह अमेरिकी जांच एजेंसी के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर रहा है. यह समूह अब प्रचार प्रसार करने और सहानुभूति रखने वालों की भर्ती के लिए टिकटॉक और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का लाभ उठा रहा है. कई भाषाओं में लोगों को ट्रेंड किया जा रहा है.
FBI ने अपनी रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र किया है कि कैसे अब आतंकी समूह एक-एक व्यक्तियों को टारगेट कर रहे हैं. ऐसे लोगों की विचारधारा खुलकर सामने नहीं आती है. न ही वो किसी समूह में काम करते हैं. वो अकेले ही ट्रेंड होते हैं और घटनाओं को अंजाम देते हैं. इन्हें 'लोन ऑफेंडर' कहा गया है.
दूसरा एफबीआई ने इंटरनेट और सोशल मीडिया को लेकर चिंता जाहिर की है. FBI ने माना है कि पूरी प्लानिंग से सोशल मीडिया के इस्तेमाल ने इस खतरे को बढ़ा दिया है. आतंकी अब अमेरिका में ही ऑनलाइन लोगों का ब्रेन वॉश कर रहे हैं.
बता दें कि ईरान, तुर्की, रूस, ऑस्ट्रिया की घटनाओं और ओक्लाहोमा सिटी में विफल साजिश के बाद न्यू ऑर्लिन्स की घटना पिछले साल आईएसआईएस से जुड़ी छठी बड़ी घटना है.
क्यों पनप रही है चुनौती
डोनाल्ड ट्रंप इस तरह की घटनाओं के लिए बाइडेन की 'ओपन ऑर्डर' पॉलिसी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उनका तर्क है कि इसके चलते बड़ी संख्या में लोग अमेरिका में दाखिल हो रहे हैं और यहां क्राइम कर रहे हैं. चुनाव के दौरान भी ट्रंप ने ये मुद्दा कई बार उठाया था. उन्होंने कहा था कि अमेरिका में अवैध प्रवासी ही क्राइम के लिए जिम्मेदार हैं.
लेकिन रिपोर्ट्स बताती हैं कि खतरे इससे भी बड़े हैं. आतंकी समूह अमेरिका में तो लोगों को टारगेट कर ही रही है. इसके साथ ही वह बाहर के लोगों को भी ट्रेंड करके अमेरिका भेज रही है. कई खबरें पिछले दिनों सामने आई थी, जिसमें सीरिया समेत कई देशों से जानकारी आई थी कि यहां अमेरिकी नागरिकों को ट्रेनिंग दी जा रही है. आतंकी समूह अमेरिका में ऐसे एरिया को टारगेट कर रहे हैं जो किसी न किसी तरह से असंतुष्ट हैं. साथ ही ऐसे लोगों पर फोकस बढ़ाया गया है जो कभी न कभी अमेरिकी सेना, पुलिस या खुफिया विभाग में रहे हैं. उन्हें टारगेट करके ब्रेन वॉश किया जा रहा है.