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आवाज पहचानने वाले दिमागी हिस्से की हुई खोज

मैक्स प्लैक इंस्टीट्यूट की वैज्ञानिक क्लाउडिया रोसवाडोविट्ज ने कहा, 'चोट वाले मरीजों की जांच से पता चला है कि दिमाग का कौन-सा भाग किस कार्य के लिए जिम्मेदार है. अगर दिमाग का एक निश्चित भाग चोटिल है और इस वजह से एक तय कार्य नहीं कर पाता है तो दोनों अवयवों को एक साथ जोड़ सकते हैं'.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
अनुग्रह मिश्र
  • लंदन,
  • 25 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 3:50 AM IST

वैज्ञानिकों ने मानव दिमाग के एक अत्यंत छोटे हिस्से की पहचान की है, जो न सिर्फ आवाज पहचानने में, बल्कि आवाजों में अंतर करने में मदद करता है. जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने खुलासा किया है कि हमारे दिमाग में पोस्टीरियर सुपिरियर टेम्पोरल गाइरिस (एसटीजी) आवाज की पहचान के लिए जिम्मेदार है.

यह दाहिने पोस्टीरियर टेम्पोरल लोब का एक भाग होता है, जो स्तनधारी के दिमाग के चार प्रमुख भागों में से एक है. शोध में पता चला है कि जिन लोगों में खास तौर से दाहिने पोस्टीरियर टेम्पोरल लोब में चोट लग जाती है, उन्हें आवाज पहचानने में मुश्किल होती है.

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मैक्स प्लैक इंस्टीट्यूट की वैज्ञानिक क्लाउडिया रोसवाडोविट्ज ने कहा, 'चोट वाले मरीजों की जांच से पता चला है कि दिमाग का कौन-सा भाग किस कार्य के लिए जिम्मेदार है. अगर दिमाग का एक निश्चित भाग चोटिल है और इस वजह से एक तय कार्य नहीं कर पाता है तो दोनों अवयवों को एक साथ जोड़ सकते हैं'.

इस शोध का प्रकाशन पत्रिका 'ब्रेन' में किया गया है. शोधकर्ताओं ने दिमाग में घाव वाले मरीजों खास तौर से स्ट्रोक से पीड़ितों का परीक्षण किया और उनकी सीखने और आवाज पहचाने की क्षमता की जांच की.

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