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युद्ध के मैदान के बाद अब दुनिया की सबसे बड़ी अदालत में रूस और यूक्रेन आमने-सामने, आज से सुनवाई

पिछले साल 24 फरवरी को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 'विशेष सैन्य अभियान' बताकर यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया था. तब से ही दोनों के बीच जंग जारी है. रूस ने दावा किया था कि यूक्रेन में नरसंहार हो रहा है और यह उसकी जिम्मेदारी है कि वो लोगों को इससे बचाए.

आईसीजे में रूस, यूक्रेन युद्ध पर आज होगी सुनवाई आईसीजे में रूस, यूक्रेन युद्ध पर आज होगी सुनवाई
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 6:43 AM IST

अब तक जंग के मैदान में लड़ रहे रूस और यूक्रेन अब दुनिया की सबसे बड़ी अदालत में भी आमने-सामने होंगे. इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर सोमवार को सुनवाई होने जा रही है. दरअसल यूक्रेन ने पिछले साल 24 फरवरी को रूस के हमले के कुछ दिन बाद ही आईसीजे में इस मामले को उठाया था. यूक्रेन का कहना है कि रूस इस हमले को न्यायोचित बताकर अंतर्राष्ट्रीय कानून का मखौल उड़ा रहा है.

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यूक्रेन के इस आरोप पर रूस का दावा रहा है कि उसने यूक्रेन में नरसंहार को रोकने के लिए उस पर हमला करने का फैसला किया था. अब रूस अपने इसी दावे को अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट के समक्ष रखेगा. 

पिछले साल 24 फरवरी को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 'विशेष सैन्य अभियान' बताकर यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया था. तब से ही दोनों के बीच जंग जारी है. रूस ने दावा किया था कि यूक्रेन में नरसंहार हो रहा है और यह उसकी जिम्मेदारी है कि वो लोगों को इससे बचाए.

यूक्रेन इस मामले को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में ले गया था. यूक्रेन का तर्क है कि रूस ये कहकर अंतर्राष्ट्रीय कानून का दुरुपयोग कर रहा है कि पूर्वी यूक्रेन में कथित नरसंहार को रोकने के लिए हमला करना जरूरी था.

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रूस का यूक्रेन पर नरसंहार का आरोप

रूस अक्सर यूक्रेन पर नरसंहार करने का आरोप लगाता रहा है. रूस चाहता है कि अंतर्राष्ट्रीय अदालत इस मामले को खारिज कर दे. इस मामले पर 27 सितंबर तक सुनवाई होनी है. रूस ये भी कहता है कि यूक्रेन अपनी सैन्य कार्रवाई को सही ठहराने के लिए इस मामले का इस्तेमाल गुमराह करने के लिए कर रहा है. 

हालांकि, यूक्रेन को इस साल मार्च में अंतर्राष्ट्रीय अदालत से बड़ी राहत मिली थी. क्योंकि आईसीजे ने शुरुआती फैसले में रूस को यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई तुरंत बंद करने का आदेश दिया था. हालांकि, रूस का कहना है कि इस मामले कोई भी आदेश जारी करना अंतर्राष्ट्रीय अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता. वहीं, यूक्रेन का कहना है कि आईसीजे इसमें दखल दे सकती है. यूक्रेन के इस तर्क को 32 और देशों का समर्थन हासिल है.

रूस ने अब तक अंतर्राष्ट्रीय अदालत के फैसलों की अनदेखी की है, लेकिन जानकारों का मानना है कि अगर अदालत का आखिरी फैसला यूक्रेन के पक्ष में आता है तो वो भविष्य में मुआवजे के लिए दावा कर सकता है.

साउथ ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी में लॉ लेक्चरर जूलियट मैकइंटायर ने न्यूज एजेंसी से कहा कि अगर अदालत को लगता है कि रूस ने जो सैन्य कार्रवाई की, वो जेनोसाइड कन्वेंशन के तहत औचित्य नहीं थी, तो यूक्रेन भविष्य में मुआवजे का दावा कर सकता है.

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संयुक्त राष्ट्र के 1948 के जेनोसाइड कन्वेंशन के तहत अगर कोई अपराध किसी राष्ट्र, जाति, नस्ल या धार्मिक समूह को पूरी तरह या आंशिक रूप से खत्म करने के इरादे से किया जाता है तो उसे नरसंहार माना जाएगा.

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