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'मेरी बात सुनिए मिस्टर...', पाक आर्मी के खिलाफ इमरान खान ने चुन-चुन कर निकाली भड़ास

इमरान खान ने शनिवार को देश की जनता को संबोधित किया. उन्होंने सेना को राजनीति में आने के लिए अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी बनाने की सलाह देते हुए कहा कि आप राजनीति में कूद गए हैं. आप अपनी खुद की पार्टी क्यों नहीं बना लेते हैं.

पाकिस्तानी आर्मी पर बरसे इमरान खान पाकिस्तानी आर्मी पर बरसे इमरान खान
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 मई 2023,
  • अपडेटेड 9:22 AM IST

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी रिहाई के बाद शनिवार को देश को संबोधित किया. उन्होंने आर्मी को राजनीति में आने के लिए अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी बनाने की सलाह दी. इमरान ने कहा कि सैन्य प्रतिष्ठान उनकी पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को कुचलने पर आमादा है. उन्होंने सैन्य नेतृत्व से "पीटीआई-विरोधी" नीति की समीक्षा करने का आग्रह करते हुए कहा कि सेना द्वारा उठाए गए कदमों की वजह से पहले ही देश आपदा के कगार पर आ गया है.

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ISPR के डीजी को सुनाई खरी-खरी

शुक्रवार को जमानत मिलने के बावजूद, इमरान खान फिर से गिरफ्तारी के डर बचने के लिए घंटों तक इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) में मौजूद रहे और रविवार तड़के अपने घर लाहौर पहुंचे. हाईकोर्ट द्वारा सभी मामलों में जमानत दिए के बाद उन्होंने कहा कि  'अपहरण के लिए आयातित सरकार' उन पर हमला करना चाहती है.

इमरान खान ने इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक मेजर जनरल अहमद शरीफ चौधरी के उस बयान पर भी निशाना साधा, जिसमें उन्होंने खान को 'दोगुला कहा था. पीटीआई प्रमुख ने कहा, 'मेरी बात सुनिए मिस्टर डीजी आईएसपीआर..आप पैदा भी नहीं हुए थे. जब मैं दुनिया में अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहा था और इसके लिए नाम कमा रहा था. इज्जत दिलाई अपने मुल्क को दुनिया में. मुझे पाखंडी और सेना विरोधी कहने के लिए आपको खुद पर शर्म आनी चाहिए.'

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आर्मी को दी राजनीति करने की सलाह

उन्होंने कहा कि सेना की मीडिया शाखा आईएसपीआर ने (राजनेता के बारे में) कभी ऐसी बातें कभी नहीं कही. उन्होंने कहा, 'आप राजनीति में कूद गए हैं. आप अपनी खुद की पार्टी क्यों नहीं बनाते हैं. आपको इस तरह के ओछे आरोप लगाने का अधिकार किसने दिया है? इस तरह का बयान देने के लिए आपको शर्म आनी चाहिए.  किसी और ने सेना को उस हद तक नुकसान नहीं पहुंचाया जितना आपने पहुंचाया. सेना के लिए जितना काम मैंने किया वह किसी ने नहीं किया और वह आप हमें कुचल देंगे. जब मैं प्रधानमंत्री था तब पाकिस्तानी सेना की छवि अच्छी थी या अभी?'

बाजवा फिर से निशाने पर

उन्होंने कहा, 'लोगों ने तब सेना को पसंद किया. जब एक सेना प्रमुख (पूर्व जनरल कमर जावेद बाजवा) ने मेरी पीठ में छुरा घोंपा और पाकिस्तान के सबसे कुख्यात और भ्रष्ट अपराधियों को सत्ता दी, तो जनता ने सेना की आलोचना करना शुरू कर दिया और यह मेरी वजह से नहीं बल्कि सेना वजह से हुआ.सेना प्रमुख की हरकतों से सेना को निशाना बनाया जा रहा है और उसकी आलोचना की जा रही है.' खान ने आगे कहा कि वह दुनिया भर में सबसे ज्यादा दान पाने वाले राजनेता हैं क्योंकि लोग उन पर भरोसा करते हैं.

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उन्होंने आगे कहा, 'आप कह रहे हैं कि इमरान खान झूठ बोल रहे हैं। मुझे सबसे ज्यादा दान दिया गया है क्योंकि वे मुझ पर भरोसा करते हैं और मुझे एक ईमानदार व्यक्ति मानते हैं. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने भी मुझे ईमानदार (सादिक और अमीन) घोषित किया है.'

अविश्‍वास प्रस्‍ताव के जरिए पिछले साल अप्रैल में सत्‍ता से बेदखल किए गए खान ने आगे कहा कि सेना ने पीटीआई के पूरे नेतृत्व को जेलों में डाल दिया है और 3,500 से अधिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया है और अज्ञात व्यक्तियों द्वारा राज्य की इमारतों पर हमले के बाद मेरे खिलाफ और मामले दर्ज किए हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी पार्टियां चुनाव नहीं चाहती हैं क्योंकि वे जानते हैं कि उनका पूरी तरह से सफाया हो जाएगा. इसलिए उन्होंने साजिश रची (सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला) और चुनाव से भाग गए.  

न्यायापालिका की तारीफ

खान ने कहा कि पूर्वी पाकिस्तान में इस तरह की कार्रवाई की गई थी जिसका खामियाजा आज उनकी पार्टी भुगत रही. उन्होंने कहा, 'इस तरह के कृत्यों के गंभीर परिणाम होते हैं. हालांकि आप (सेना) मेरी बात नहीं सुनेंगे, मैं आपको बड़ा सोचने की सलाह देता हूं. आपको देखना चाहिए कि इस तरह के कार्यों से देश किस ओर जा रहा है.' खान ने न्यायपालिका को पाकिस्तान के लिए एकमात्र उम्मीद की किरण बताते हुए कहा कि न्यायाधीश 'संचालकों' के अवैध आदेशों को अस्वीकार करें. उन्होंने कहा कि संचालकों द्वारा मीडिया पर अभूतपूर्व नियंत्रण किया गया है.

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उन्होंने पत्रकारों से अपील की कि वे अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनें और सैन्य प्रतिष्ठान द्वारा फैलाए जा रहे डर से नियंत्रित न हों. खान ने आशंका व्यक्त की कि वरिष्ठ पत्रकार इमरान रियाज खान, जिनका (सुरक्षा एजेंसियों द्वारा) अपहरण कर लिया गया था, उन्हें गंभीर रूप से प्रताड़ित किया जा सकता है या मार दिया जा सकता है.  उन्होंने एक अन्य वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक उड़िया मकबूल जान के अपहरण के लिए भी सरकार की आलोचना की.   

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