
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान फिलहाल हर तरफ से घिरे हुए दिख रहे हैं. संसद के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट में भी उनकी मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. दरअसल, बागी विधायकों के खिलाफ इमरान खान सरकार ने एक याचिका दायर की है, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की.
गुरुवार को पाकिस्तान के चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल ने कहा कि पीएम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में वोट डालने से सांसदों को रोकना उनका अपमान करने जैसा होगा. हालांकि, अभी कोर्ट ने फैसला नहीं सुनाया है और इस वजह से अविश्वास मत पर वोटिंग भी फैसला आने तक आगे टल सकती है.
चीफ जस्टिस ने कहा- वोटिंग से रोकना अपमान होगा
दरअसल, पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में इमरान सरकार ने याचिका दायर की थी. इसमें पूछा गया था कि क्या PTI के असंतुष्ट सांसद पार्टी लाइन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में मतदान कर सकते हैं. बंदियाल ने कहा कि संविधान में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि असंतुष्ट सांसदों के वोट नहीं गिने जाएंगे. वोटों को ना गिनना अपमानजनक होगा.
हालांकि, बेंच के जस्टिस मुनीब अख्तर ने चीफ जस्टिस से अलग बात कही थी. वह बोले कि सांसदों को पार्टी लाइन के साथ चलना चाहिए. अब अगर कोर्ट की तरफ से बागियों को वोट देने का अधिकार मिलेगा तो इमरान के सामने इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.
नेशनल असेंबली का सेशन स्थगित
पूरे घटनाक्रम के बीच काफी अहम माना जा रहा नेशनल असेंबली का सेशन 28 मार्च तक स्थगित हो गया है. कहा जा रहा है कि 30 मार्च से 1 अप्रैल के बीच कभी भी इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हो सकती है.
पाकिस्तान में सत्ता के आंकड़ों पर नजर डालें तो इमरान को पहले 176 सांसदों का समर्थन हासिल था, लेकिन 24 सांसदों के बागी होने के बाद अब इमरान सरकार के साथ 152 सांसद ही खड़े हैं. यानी 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में इमरान खान बहुमत के 172 के आंकड़े से काफी पीछे हैं. इमरान पर आरोप है कि उनकी वजह से ही पाकिस्तान में आर्थिक मंदी और महंगाई की मार पड़ी.