Advertisement

इमरान खान ने लिया कड़ा फैसला, अपनी ही पार्टी ने छोड़ा साथ

इमरान खान के कार्यालय ने पाकिस्तान की संसद में पेश किए गए एसपीबी संशोधन विधेयक. 2021 पर आपत्ति जताई है. प्रधानमंत्री कार्यालय का कहना है कि इससे केंद्रीय बैंक पर सरकार का किसी भी तरह का नियंत्रण नहीं रहेगा. इस बिल के पास होने के बाद केंद्रीय बैंक सरकार को कोई उधार नहीं देगा.

इमरान खान के कार्यालय ने SBP Amendment Bill, 2021 पर आपत्ति जताई है (Photo-Reuters) इमरान खान के कार्यालय ने SBP Amendment Bill, 2021 पर आपत्ति जताई है (Photo-Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 5:12 PM IST
  • SBP संशोधन बिल 2021 पर पाकिस्तान में हंगामा
  • प्रधानमंत्री कार्यालय ने बिल पर जताई आपत्ति
  • गवर्नर का कार्यकाल बढ़ाने पर भी PMO को है आपत्ति

पाकिस्तान की इमरान खान सरकार भारी आर्थिक बदहाली झेल रही है. देश चलाने के लिए पाकिस्तान कई अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं सहित अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से कई कड़ी शर्तों पर कर्ज ले रहा है. उन शर्तों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान की सरकार एक नया बिल (State Bank of Pakistan Amendment Bill, 2021) लेकर आई है. इस बिल पर अब  पाकिस्तान का प्रधानमंत्री कार्यालय ही सवाल खड़े कर रहा है.

Advertisement

केंद्रीय बैंक को स्वायत्तता देने की बात पर PMO ने जताई आपत्ति

पीएमओ ने आईएमएफ की कुछ शर्तों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) को स्वायत्तता प्रदान करने वाले विधेयक पर कड़ी आपत्ति जताई है. इस विधेयक में 'स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान' से सरकार के उधार लेने पर पूर्ण प्रतिबंध की बात कही गई है, जिस पर पीएमओ ने आपत्ति जताई है.

पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को सूत्रों ने बताया, 'पीएमओ ने कहा है कि स्टेट बैंक को पूर्ण स्वायत्तता देने का मतलब है कि इसके गवर्नर को अब आर्थिक मामलों पर प्रधानमंत्री से परामर्श के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा. यानी केंद्रीय बैंक अब सभी फैसले खुद ही लेगा और इमरान खान की सरकार उसमें दखल नहीं दे पाएगी'

अखबार के मुताबिक, प्रधानमंत्री कार्यालय ने केंद्रीय स्टेट बैंक के गवर्नर के कार्यकाल को तीन साल से बढ़ाकर पांच साल करने के बारे में भी संदेह व्यक्त किया है. पहले कार्यकाल को बढ़ाने को लेकर IMF की तरफ से कोई शर्त नहीं रखी गई थी लेकिन अब इस शर्त को रखा गया है जिसे लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय चिंतित है.

Advertisement

सूत्रों ने बताया कि पीएम कार्यालय ने एसबीपी संशोधन विधेयक, 2021 पर कई तरह की और चिंताएं भी व्यक्त की थीं. हालांकि, कुछ बातों को छोड़कर, आईएमएफ की शर्तों पर अधिकांश चिंताओं पर पूरी तरह से बात नहीं की गई.

SBP संशोधन बिल, 2021 के अनुच्छेद 46 बी (4) को हटाने की मांग

प्रधानमंत्री इमरान खान के कार्यालय ने केंद्रीय बैंक को पूर्ण स्वायत्तता देने से असहमति जताई है और विधेयक से अनुच्छेद 46 बी (4) को हटाने की मांग की है.

इस अनुच्छेद में कहा गया है, 'बैंक, इसके निर्णय लेने वाले सदस्य और इसके कर्मचारी सरकार या अर्ध-सरकारी संस्थाओं सहित किसी भी व्यक्ति या संस्था से न तो अनुरोध करेंगे और न ही कोई निर्देश लेंगे. बैंक की स्वायत्तता का हर समय सम्मान किया जाएगा. कोई भी व्यक्ति या संस्था अपने काम के लिए बोर्ड के सदस्यों, कार्यकारी समिति, मौद्रिक नीति समिति या बैंक के कर्मचारियों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेगी.'

सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय धारा 46 बी (4) को हटाना चाहता है क्योंकि अगर केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने इस धारा के तहत विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया तो पीएम गवर्नर को आर्थिक मामलों पर चर्चा करने के लिए भी नहीं बुला पाएंगे. हालांकि, ये अनुच्छेद अभी भी पाकिस्तान की संसद में पेश किए गए बिल का हिस्सा बना हुआ है.

Advertisement

कई और संशोधन चाहता था IMF

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून से बात करते हुए पाकिस्तान के कानून मंत्री बैरिस्टर फारोग नसीम ने कहा कि आईएमएफ ने कई और संशोधन करने को कहा था लकिन पाकिस्तान की सरकार ने कुछ संशोधनों को लेकर IMF से छूट हासिल की है.

उन्होंने कहा, 'आईएमएफ के पास संशोधनों की एक लंबी लिस्ट थी लेकिन हमने उन्हें अधिकांश संशोधनों को छोड़ने के लिए राजी किया. IMF कुछ संशोधनों पर जोर दे रहा था, लेकिन हमने सुनिश्चित किया कि कोई भी संशोधन संविधान का उल्लंघन न करे या पाकिस्तान की संप्रभुता से समझौता न करे.'

पाकिस्तान के कानून मंत्री ने आगे कहा, 'हमने सुनिश्चित किया कि स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय सिद्धांतों और अन्य स्वतंत्र देशों में प्रचलित सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए स्वायत्तता मिलनी चाहिए. लेकिन स्वायत्तता का मतलब ये नहीं है कि केंद्रीय बैंक सरकार की नीतियों और निर्देशों की अनदेखी कर सकता है.'

उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक संसद के प्रति जवाबदेह है. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार और बैंक के गवर्नर सहित सभी अधिकारी संसद के प्रति जवाबदेह हैं.

पाकिस्तान के कई लोगों, विपक्षी दलों, शिक्षाविदों और मीडिया ने केंद्रीय बैंक की जवाबदेही सुनिश्चित किए बिना ही उसे पूर्ण स्वायत्तता दिए जाने के प्रस्ताव पर चिंता जताई है.

Advertisement

संवैधानिक बोर्ड MFPCB को खत्म करने पर भी PMO है चिंतित 

सूत्रों ने कहा कि पीएम कार्यालय ने मौद्रिक और राजकोषीय नीति समन्वय बोर्ड (MFPCB) को खत्म करने पर भी आपत्ति जताई है. इसे मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों के बेहतर समन्वय को सुनिश्चित करने के लिए 1994 से स्थापित किया गया था.

प्रधानमंत्री कार्यालय का मानना है कि बोर्ड को समाप्त करने से मौद्रिक और विनिमय दर नीतियों पर वित्त मंत्रालय और सरकार के साथ परामर्श के लिए कोई मंच नहीं बचेगा. बोर्ड के स्थान पर केंद्रीय बैंक के गवर्नर और वित्त मंत्री के बीच आपसी परामर्श तंत्र के लिए संपर्क का प्रस्ताव किया गया है. लेकिन सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा है कि ये संपर्क MFPCB का विकल्प नहीं हो सकता.

पीएम कार्यालय को इस बात की भी चिंता थी कि MFPCB के खत्म होने से मौद्रिक नीति पर सरकार का नियंत्रण खत्म हो जाएगा. सूत्रों ने कहा कि इसके बाद सरकार के पास एकमात्र नियंत्रण राजकोषीय कर पर रह जाएगा.

हालांकि, वित्त मंत्रालय का यह कहना रहा है कि मौद्रिक नीति का कार्य पहले से ही सरकार से स्वतंत्र था और ये केंद्रीय बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति के द्वारा नियंत्रित किया जाता है. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement