
आटे-चावल को जूझते पाकिस्तान से एक नई खबर आई है. वहां के पूर्व पीएम इमरान खान को गिरफ्तार करके 7 मार्च तक कोर्ट में पेश किया जाना है. यहां तोशखाना मामले में उनपर कार्रवाई होगी. इमरान ने कथित तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान मिले करोड़ों रुपए के डिप्लोमेटिक गिफ्ट को बेच-बाचकर उसके पैसे अपने पास रख लिए, जबकि नियम ये है कि पीएम, प्रेसिडेंट्स से लेकर किसी भी तरह के ब्यूरोक्रेट्स को अगर उनके कार्यकाल के दौरान कीमती उपहार मिलते हैं, तो उन्हें ट्रेजर डिपार्टमेंट में जमा कराना होता है. पाकिस्तान और भारत में इस खजाने को तोशखाना कहते हैं. ये कंसेप्ट पूरी दुनिया में है.
क्या है तोशखाना
यह एक फारसी शब्द है, जिसका मोटा अर्थ है खजाने का भंडार. लगभग सभी मुल्कों में इस तरह का भंडार होता है, जो मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स के तहत आता है. शुरुआत में देशों के बीच इस तरह से तोहफों का लेनदेन वर्जित था. माना जाता था कि इससे गिफ्ट लेने वाले को हरदम देने वाले से दबकर रहना होता है, खासकर अगर गिफ्ट काफी कीमती हो. आगे चलकर डिप्लोमेटिक गिफ्ट के मायने बदले. सभी देश मानने लगे कि तोहफों के लेनदेन से रिश्ते मजबूत होते हैं.
क्या दिया जाता है
इसके बाद से देश दूसरे देश के नेताओं को ऐसे गिफ्ट देने लगे, जो उनके यहां दुर्लभ हों. जैसे अगर किसी देश में केसर नहीं मिलता, तो हमारे यहां से शुद्ध केसर उनके यहां जाता. भारत की ही बात करें तो काफी लंबे समय तक हमारे यहां से हाथी और सोने की मूर्तियां डिप्लोमेटिक गिफ्ट की तरह विदेशी प्रधानों को दी जाती रहीं. आजकल भगवत गीता और कुरान से लेकर देश की सांस्कृतिक पहचान को बताने वाले तोहफे दिए जा रहे हैं.
वक्त के साथ ये लेनदेन काफी रंगारंग होता गया. लोग काफी सोच-समझकर तय करने लगे कि किसे क्या देना ज्यादा फायदेमंद होगा. वाइट हाउस में तो इसके लिए एक स्पेशल टीम बना दी गई, जिसे ऑफिस ऑफ चीफ ऑफ प्रोटोकॉल कहा गया. यही लोग तय करते हैं कि अमेरिका किस देश के किस नेता को क्या देगा और लिए गए तोहफों की देखरेख भी यही करता है.
अजीब तोहफे देने वाले भी कम नहीं
दुर्लभ या अलग देने के फेर में कई बार देश अजीबोगरीब चीजें भी देते रहे. जैसे अमेरिकी प्रेसिडेंट जॉर्ज एच बुश को नब्बे के दशक में इंडोनेशिया से जहरीले ड्रैगन्स का एक जोड़ा मिला था. माना जाता है कि ये ड्रैगन इतने जहरीले हैं कि आनन-फानन इंसानों की मौत हो सकती है. लेकिन अमेरिका ने इसे तोहफे को भी मना नहीं किया. सबसे ज्यादा अजीब तोहफे अमेरिका को ही मिलते रहे. अस्सी के शुरुआती दशक में सद्दाम हुसैन ने इराक आए अमेरिकी डिप्लोमेट डोनॉल्ड रम्सफेल्ड को तीन मिनट का वीडियो गिफ्ट किया. इसमें सीरियाई लोग सांप का सिर खाते दिख रहे थे. इसके पीछे जो भी एजेंडा रहा हो, लेकिन डिप्लोमेट ने तोहफे को लेने से मना नहीं किया.
जानवर हमेशा से बेहतरीन गिफ्ट रहे. ये जितने दुर्लभ हों, उतनी ही खुशी से दिए और लिए जाते रहे. भारत अक्सर लोगों को हाथी देता रहा. वहीं अफ्रीकी देश जंगली एग्जोटिक एनिमल का तोहफा देते रहे. यूरोपियन देश के नेता किसी भारतीय या दूसरे नेता का वेलकम करते हुए अक्सर उन्हें अपने यहां किसी खास व्यंजन का रॉ मटेरियल या महंगी शराब भी देते. जैसे चीज़ से लेकर अलग तरह के मसाले. धार्मिक और आध्यात्मिक किताबें भी डिप्लोमेटिक गिफ्ट का हिस्सा रहीं.
तोहफों को स्वीकार करने के बाद क्या करना होता है
भारत के किसी भी नेता को विदेशी दौरे से लौटने के महीनेभर के भीतर तोहफे को मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स को सौंपना होता है. अगर गिफ्ट 5 हजार से कम कीमत का है तो वो अपने पास भी रखा जा सकता है. अगर कीमत इससे ज्यादा हो, और पाने वाले उसे अपने पास रखना चाहे तो उसे सरकार से इसे असल मूल्य पर खरीदना होता है. ये नियम लगभग हर देश में है. ऐसा इसलिए है कि कोई भी देश किसी व्यक्ति को गिफ्ट नहीं देता, बल्कि उसके ओहदे को देता है. तो ये तोहफे असल में देश के होते हैं, यही वजह है कि उन्हें जमा कराने का नियम बना.
गिफ्ट डिक्लेरेशन भी जरूरी है. कई बार ऐसा भी हुआ कि महंगे तोहफे लेने के बाद मंत्रियों ने उसे डिक्लेयर नहीं किया. कईयों ने भूल जाने का एक्सक्यूज भी दिया. ऐसे में उनपर कार्रवाई हो सकती है. भारत में कार्रवाई का तो कोई मामला नहीं हुआ, लेकिन भूल जाने वाली बात कई पार्टियों के कार्यकाल में दोहराई गई.
हमारे खजाने में क्या-क्या
भारत के सरकारी खजाने में दुनियाभर के देशों से मिली अलग-अलग तरह की चीजें हैं. इसमें सोने की घड़िया और हीरे की टाई पिन भी है, तो कीमती पत्थर भी. जनवरी 2019 से लेकर अप्रैल 2022 तक तोशखाने को कुल 2036 आइटम मिले, जिनकी कीमत लगभग पौने 8 करोड़ रुपए बताई गई. हर तोहफे के डिक्लेरेशन के बाद भारतीय बाजार में अलग से उसकी कीमत तय की जाती है, जिसके बाद पूरी डिटेलिंग करके आइटम को ट्रेजर हाउस का हिस्सा बनाया जाता है.
क्या होता है तोहफों का
गिफ्ट का क्या करना है, ये भी मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स ही तय करता है. अगर किसी देश से कोई जानवर जैसे पांडा या चीता मिले तो उसे चिड़ियाघर भेज दिया जाता है. अगर कोई पेंटिंग या मूर्ति हो तो वो नेशनल म्यूजियम को दी जा सकती है. कई सामान प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर डिस्प्ले में रखे जाते हैं तो कई ज्यादा कीमती सामान सहेजकर रखे जाते हैं. समय-समय पर इनकी नीलामी भी होती रहती है.
इमरान खान क्यों फंसे
पाकिस्तानी नेता इमरान खान की बात करें तो उनपर तोहफों में धांधली का आरोप लगा. साल 2018 में देश के पीएम के तौर पर उन्हें यूरोप और खासकर अरब देशों की यात्रा के दौरान बहुत से कीमती तोहफे मिले. कथित तौर पर बहुत से गिफ्ट्स को इमरान ने डिक्लेयर ही नहीं किया, जबकि कई तोहफों को असल के काफी कम कीमत पर खरीद लिया और बाहर जाकर बड़ी कीमत पर बेच दिया. अब इसी घपले की जांच के लिए उनके खिलाफ धरपकड़ अभियान चला हुआ है.