
प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के मुखिया यासीन मलिक को बुधवार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. दिल्ली की NIA कोर्ट ने उस पर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है. कोर्ट ने उसे बीते गुरुवार को टेरर फंडिंग मामले में दोषी ठहराया था. NIA की मांग थी कि यासीन मलिक को फांसी की सजा दी जाए. यासीन मलिक को लेकर पाकिस्तान के सभी हलकों से आवाजें उठ रही हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सभी देशों से अपील कर डाली है कि वो मोदी सरकार के इस कदम का विरोध करें. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी यासीन मलिक को दोषी ठहराए जाने को लेकर भारत की आलोचना की है.
यासीन मलिक पर क्या बोले पाकिस्तान के राजनेता?
यासीन मलिक की सजा को लेकर पाकिस्तान की सभी राजनीतिक पार्टियों में हलचल है और वो सभी मलिक के समर्थन में बोल रही हैं.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मलिक के समर्थन में एक ट्वीट में कहा, 'दुनिया को भारत के जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक कैदियों के साथ भारत सरकार के दुर्व्यवहार पर ध्यान देना चाहिए. प्रमुख कश्मीरी नेता यासीन मलिक को फर्जी आतंकवाद के आरोपों में दोषी ठहराना भारत में मानवाधिकार के हनन की आलोचना करने वाली आवाजों को चुप कराने का निरर्थक प्रयास है. मोदी सरकार को इसके लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए.'
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी यासीन मलिक को लेकर एक ट्वीट किया है. इमरान खान ने अपने ट्वीट में भारत की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा, 'मैं कश्मीरी नेता यासीन मलिक के खिलाफ मोदी सरकार की फासीवादी नीति की कड़ी निंदा करता हूं. इसमें यासीन को अवैध रूप से जेल में रखने से लेकर फर्जी आरोपों में उन्हें सजा देना शामिल है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत अधिकृत कश्मीर में हिंदुत्व फासीवादी मोदी सरकार के राज्य पोषित आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.'
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा है कि भारत ने यासीन मलिक को झूठे आरोपों में फंसाया है. उन्होंने ट्वीट किया, 'मैं मनगढ़ंत आरोपों में यासीन मलिक को भारतीय अदालत द्वारा गलत तरीके से दोषी ठहराए जाने की कड़ी निंदा करता हूं. यासीन मलिक भारत अधिकृत जम्मू-कश्मीर के हुर्रियत नेताओं के बीच प्रमुख आवाज हैं. दशकों से भारत द्वारा उनका उत्पीड़न किया जा रहा है और उनके दृढ़ संकल्प को इस तरह से नहीं हिलाया जा सकता.'
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सांसद नाज बलोच ने अपने एक ट्वीट में लिखा, 'संयुक्त राष्ट्र को फासीवादी मोदी सरकार के द्वारा मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन पर तत्काल संज्ञान लेना चाहिए. कश्मीर के वीर सपूत यासीन मलिक को झूठे आरोप में सजा देना मानवता के खिलाफ अपराध है. आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए उनका शांतिपूर्ण संघर्ष प्रेरणादायी है.'
इमरान खान सरकार में सूचना मंत्री रहे चौधरी फवाद हुसैन ने मलिक को अपना हीरो बताते हुए ट्वीट किया था, 'पीटीआई यासीन मलिक की सजा की कड़ी निंदा करती है. पाकिस्तान के लोग हर स्वतंत्रता सेनानी के साथ खड़े हैं और यासीन मलिक हमेशा हमारे हीरो रहेंगे.'
पीटीआई नेता शिरीन मजारी ने ट्वीट किया, 'फासीवादी मोदी सरकार यासीन मलिक को हमेशा से प्रताड़ित करती रही है. इस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की खामोशी खतरनाक है. ऐसा लगता है कि भारत और इजरायल का राज्य पोषित आतंकवाद पश्चिमी देशों को स्वीकार्य है. शर्मनाक!'
शाहिद अफरीदी भी मलिक के समर्थन में उतरे
पाकिस्तान के क्रिकेटर शाहिद अफरीदी ने भी मलिक को दोषी ठहराए जाने पर भारत सरकार को घेरा है और कहा है कि भारत में मानवाधिकार के लिए बोलने वाली आवाजों को चुप किया जा रहा है.
उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा, 'मानवाधिकार हनन के खिलाफ बोलने वालों को चुप कराने के भारत के निरंतर प्रयास निरर्थक हैं. यासीन मलिक के खिलाफ मनगढ़ंत आरोप कश्मीर की आजादी के संघर्ष को रोक नहीं पाएंगे. संयुक्त राष्ट्र से आग्रह है कि वो कश्मीर के नेताओं के खिलाफ अनुचित और अवैध कार्रवाई पर ध्यान दे.'
पाकिस्तान के पत्रकार भी बोले
पाकिस्तानी अखबार द न्यूज के पत्रकार अंसार अब्बासी ने ट्वीट किया, 'मोदी सरकार द्वारा यासीन मलिक के उत्पीड़न की कड़ी निंदा करता हूं.'
पाकिस्तान के जाने-माने पत्रकार हामिद मीर ने ट्विटर पर लिखा, 'कश्मीरी नेता यासीन मलिक ने भारत की अदालत में कहा कि वो अपने ऊपर लगे आरोपों को चुनौती नहीं देंगे. कोर्ट उन्हें आतंकवादी घोषित करेगा. कोर्ट ने नेल्सन मंडेला के बारे में भी यही घोषित किया था लेकिन इतिहास ने कभी भी अदालत के फैसले को सही नहीं ठहराया.'
पाकिस्तानी पत्रकार इहतिशाम उल हक ने अपने ट्वीट में लिखा, 'मैं भारत सरकार की कड़ी निंदा करता हूं. यासीन मलिक आतंकवादी नहीं है. मैं चाहता हूं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय उनके लिए खड़ा हो और कार्रवाई करे.'
पूर्व राजनयिक ने भारतीय कोर्ट पर उठाए सवाल
भारत में उच्चायुक्त रह चुके पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने इस मामले को लेकर भारतीय कोर्ट पर सवाल खड़े किए हैं.
उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा, 'शर्मनाक! मैं कहता हूं कि भारत की "कंगारू" अदालत के द्वारा ये न्यायिक आतंकवाद निंदनीय है. मोदी के नेतृत्व में भारत के एक फासीवादी देश में बदलने और इस गंभीर खतरे को क्षेत्र में और आगे बढ़ने से पहले दुनिया को जागना चाहिए.'