
दक्षिण अफ्रीका के एक मानवाधिकार समूह ने 73 वर्षीय श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के खिलाफ सिंगापुर में एक आपराधिक शिकायत दी है. संगठन ने श्रीलंका में लिट्टे के विरुद्ध दशकों तक चले गृहयुद्ध में राजपक्षे की भूमिका को लेकर उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की है.
दक्षिण अफ्रीका के ‘इंटरनेशनल ट्रुथ एंड जस्टिस प्रोजेक्ट’ (आईटीजेपी) के वकीलों ने सिंगापुर के अटॉर्नी जनरल को यह आपराधिक शिकायत सौंपी है. आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को छोड़ने के बाद राजपक्षे सिंगापुर में हैं लेकिन अब यहां की सरकार ने भी उन्हें देश छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया है.
2005-2014 में रक्षा सचिव रहे
गोटाबाया राजपक्षे को सिंहली बौद्ध बहुसंख्यक जनता युद्ध का नायक मानती है लेकिन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) और उसके प्रमुख प्रभाकरन के खात्मे में राजपक्षे की भूमिका को लेकर कुछ लोग उन्हें मानवाधिकार हनन का दोषी मानते हैं.
जानकारी के मुताबिक गोटाबाया राष्ट्रपति के रूप में अपने बड़े भाई महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल के दौरान 2005 से 2014 तक रक्षा सचिव थे. शिकायत में कहा गया कि 2009 में वेलुपिल्लई प्रभाकरन की मृत्यु के बाद लिट्टे के साथ संघर्ष को खत्म करने में गोटाबाया की भूमिका काफी विभाजनकारी है क्योंकि उन पर मानव का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है.
जिनेवा सम्मेलन के उल्लंघन का है आरोप
63 पन्नों की शिकायत में तर्क दिया गया है कि गोटाबाया राजपक्षे ने 2009 में गृह युद्ध के दौरान जिनेवा सम्मेलनों का उल्लंघन किया था, जो सार्वभौमिक अधिकार क्षेत्र के तहत सिंगापुर में घरेलू अभियोजन के अधीन अपराध हैं.
शिकायत में इस बात पर जोर दिया गया कि गोटाबाया खुद एक सेना अधिकारी थे इसके बाद भी उन्होंने गृह युद्ध के दौरान जिनेवा सम्मेलनों और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कानून का उल्लंघन किया.
30 साल में क्रूर युद्ध में 1 लाख लोग मारे गए
श्रीलंका सरकार के आंकड़ों के अनुसार उत्तर और पूर्व में लंकाई तमिलों के साथ तीन दशक तक चले क्रूर युद्ध समेत कई संघर्षों के कारण 20,000 से अधिक लोग लापता हो गए. वहीं कम से कम 100,000 लोग मारे गए थे.
यूएनएचआरसी ने पास किया था प्रस्ताव
पिछले साल मार्च में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने श्रीलंका में हुए संघर्षों को लेकर एक प्रस्ताव पास किया था, जिसके तहत संयुक्त राष्ट्र निकाय को लिट्टे के खिलाफ देश में क्रूर गृहयुद्ध के दौरान किए गए अपराधों के सबूत जुटाना है.
युद्ध के अंतिम दौर में मारे गए 40 हजार तमिल
तमिलों ने आरोप लगाया कि 2009 में समाप्त हुए युद्ध के अंतिम चरण के दौरान हजारों लोगों की हत्या कर दी गई थी. अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूहों का दावा है कि युद्ध के अंतिम चरण में कम से कम 40,000 जातीय तमिल नागरिक मारे गए थे.
हालांकि श्रीलंकाई सेना ने इन आरोपों से इनकार करते हुए इसे तमिलों को लिट्टे के नियंत्रण से मुक्त करने के लिए एक मानवीय अभियान बताया था.
गोटाबाया को सिंगापुर छोड़ने का आदेश
सिंगापुर प्रशासन ने राजपक्षे से देश छोड़ने के लिए कहा है. प्रशासन की ओर से कहा गया है कि उन्हें सिंगापुर में रहने के लिए मिली 15 दिन की छूट को और नहीं बढ़ाया जा सकता है. गोटाबाया के इस्तीफे के बाद सिंगापुर प्रशासन ने भी पूर्व राष्ट्रपति को शरण देने से इनकार कर दिया.
माना जा रहा है कि गोटाबाया के खिलाफ श्रीलंका में कई केस चलाए जा सकते हैं. गोटाबाया के सिंगापुर में पहुंचने के बाद विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा था कि वे यहां निजी दौरे पर पहुंचे हैं. सिंगापुर विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उन्होंने न तो शरण मांगी है, न ही उन्हें कोई शरण दी गई है.
बयान में कहा गया था कि सिंगापुर आमतौर पर शरण नहीं देता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गोटाबाया अब सऊदी अरब रवाना हो सकते हैं.