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Sri Lanka crisis: 35 दिन में दो बार लगानी पड़ी इमरजेंसी, जानिए श्रीलंका की बर्बादी की टाइमलाइन

Sri Lanka Crisis: श्रीलंका के पूर्व पीएम महिंदा राजपक्षे पर जाफना में तमिलों के नरसंहार से लेकर देश को कर्ज में डुबोने तक के गंभीर आरोप लग चुके हैं. वह 2004 में 13वें पीएम बने थे. तब भी देश में तमाम चुनौतियां थीं. 2000 के बाद से श्रीलंका पर ज्यादातर राज उन्हीं का रहा, लेकिन इन्हीं दो दशकों में श्रीलंका आबाद से बर्बाद भी हो गया.

 31मार्च को गुस्साए लोगों ने राष्ट्रपति का घर घेरकर प्रदर्शन किया, आगजनी की (फाइल फोटो) 31मार्च को गुस्साए लोगों ने राष्ट्रपति का घर घेरकर प्रदर्शन किया, आगजनी की (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • कोलंबो,
  • 11 मई 2022,
  • अपडेटेड 6:23 AM IST
  • राष्ट्रपति का घर घेरने के बाद पहली बार लगाई गई थी इमरजेंसी
  • 3 अप्रैल को सरकार के लगभग सभी मंत्रियों ने दे दिया था इस्तीफा

श्रीलंका इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. श्रीलंका में वैसे आर्थिक पतन की शुरुआत कोरोना काल से हो गई थी लेकिन मार्च में बढ़ती महंगाई और अनाज की कमी से नाराज जनता पहली बार श्रीलंका की सड़कों पर उतर आई.

31 मार्च तक हालात यहां तक पहुंच गए कि तमाम प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के घर को घेर लिया. इस दौरान उन्होंने जमकर तोड़-फोड़ की. पुलिस के वाहनों को आग लगा दी थी. जानते हैं 31 मार्च से अब तक क्या-क्या हुआ.

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1 अप्रैल: राष्ट्रपति गोटाबाया महिंदा राजपक्षे ने हालात बिगड़ने का हवाला देकर इमरजेंसी की घोषणा कर दी. पुलिस को प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने का अधिकार दे दिया.

2 अप्रैल: राजपक्षे सरकार ने श्रीलंका में 36 घंटे के राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू का ऐलान कर दिया. साथ ही सड़कों पर सेना की तैनाती कर दी.

3 अप्रैल: राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे को छोड़कर सरकार के लगभग सभी मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया.

4 अप्रैल: राष्ट्रपति ने अपनी सरकार बचाने के लिए विपक्षी दलों के साथ सरकार में सत्ता साझा करने का प्रस्ताव दिया.

5 अप्रैल: सरकार से इस्तीफा दे चुके मंत्रियों और सांसदों ने राष्ट्रपति से इस्तीफा मांगा, जिससे दबाव में आकर इमरजेंसी हटा ली गई.

9 अप्रैल: इमरजेंसी हटते ही जनता एक बार फिर सड़कों पर उतरी आई. इसके बाद राष्ट्रपति गोटबाया के इस्तीफ की मांग तेज हो गई.

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12 अप्रैल: सरकार ने 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुका पाने में असमर्थता जताते हुए श्रीलंका को दीवालिया घोषित कर दिया.

18 अप्रैल: राष्ट्रपति ने नई कैबिनेट का ऐलान किया. इस कैबिनेट में महिंदा राजपक्षे दोबारा प्रधानमंत्री बनाए गए.

28 अप्रैल: देश में हड़ताल के ऐलान के बाद से ही आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होने लगीं. आवश्यक चीजों की किल्लत होने लगी.

6 मई: श्रीलंका में फिर हड़ताल हुई तो सरकार ने दूसरी बार इमरजेंसी का ऐलान कर दिया.

9 मई: प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंप दिया. इसके बाद उनके समर्थक उग्र हो गए. उन्होंने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमले करने शुरू कर दिए.

10 मई: श्रीलंका में लागू कर्फ्यू को 12 मई की सुबह सात बजे तक के लिए बढ़ा दिया गया है. वहीं रक्षा मंत्रालय ने शूट ऑन साइट का आदेश जारी कर दिया है. पूर्व पीएम महिंदा राजपक्षे के बेटे ने दावा किया कि उनके पिता देश छोड़कर कहीं नहीं भाग रहे हैं. वह देश में ही रहेंगे.

(आज तक ब्यूरो)

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