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रूस से सस्ता तेल खरीद भारतीय कंपनियों ने की मोटी कमाई, छह महीने में 270 अरब रुपये से ज्यादा का मुनाफा

भारत सरकार के कॉमर्स मंत्रालय के वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, रूस से सस्ते तेल आयात की मदद से भारतीय रिफाइन कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में 3.3 बिलियन डॉलर यानी लगभग 274 अरब रुपये की बचत की है.

फाइल फोटो- एपी फाइल फोटो- एपी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:14 PM IST

रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से ही भारत रियायती कीमतों पर रूस से भारी मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है. वित्तीय वर्ष 2023-24 के पहली छमाही में भी भारतीय तेल रिफाइन कंपनियों ने रूस से सस्ते तेल आयात की मदद से अरबों डॉलर से ज्यादा की बचत की है.

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक देश है. भारत अपनी कुल जरूरत का 85 फीसदी से भी ज्यादा कच्चा तेल आयात से पूरा करता है. मूल्य के हिसाब से भी भारत के ट्रेड व्यापार की सूची में कच्चा तेल सबसे ऊपर है.

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भारतीय तेल बाजार में रूस की बड़ी हिस्सेदारी

अंग्रेजी वेबसाइट 'इंडियन एक्स्प्रेस' के मुताबिक, भारत सरकार के ऑफिसियल ट्रेड डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि भारतीय रिफाइन कंपनियों ने पहली छमाही में रियायती रूसी कच्चे तेल की मदद से लगभग से 3.3 बिलियन डॉलर की बचत की है.

यूक्रेन युद्ध से पहले जो रूस भारत के लिए एक मामूली तेल आपूर्तिकर्ता देश था. अप्रैल-सितंबर 2023 के बीच वही रूस, भारत को सबसे ज्यादा तेल निर्यात किया. इस अवधि के दौरान मात्रा के हिसाब से लगभग 39 प्रतिशत और कीमत के हिसाब से लगभग 36 प्रतिशत भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी रही.

फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस की ओर से की गई कार्रवाई के बाद पश्चिमी देशों ने रूस से तेल आयात करना बंद कर दिया है. जिसके बाद से रूस रियायती कीमतो पर भारत को तेल निर्यात कर रहा है. भारतीय तेल रिफाइन कंपनियों ने भी इस ऑफर को दोनों हाथों से लिया और कुछ ही महीनों में रूस भारत के लिए सबसे बड़ा तेल निर्यात करने वाला देश बन गया. 

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कंपनियों को 274 अरब रुपये की हुई बचत 

रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2023-24 के पहली छमाही में भारत ने लगभग 63.86 अरब डॉलर का कच्चा तेल आयात किया. भारत ने जितना कच्चा तेल रूस से आयात किया, अगर रूस के बजाय किसी अन्य देश से आयात किया होता तो भारत को इसी तेल के लिए लगभग 67.14 अरब डॉलर का भुगतान करना पड़ता. मात्रा की बात की जाए तो भारत ने अप्रैल से सितंबर के बीच रूस से कुल 817.35 मिलियन बैरल कच्चा तेल आयात किया.

अप्रैल-सितंबर के बीच भारत ने लगभग 22.84 अरब डॉलर का तेल रूस से आयात किया. वहीं, मात्रा की बात की जाए तो भारत ने रूस से 317.96 मिलियन बैरल तेल आयात किया.

मात्रा के हिसाब से अप्रैल से सितंबर 2023 में रूस के बाद इराक भारत के लिए दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश रहा. भारत ने इराक से कुल तेल आयात का लगभग 20.4 प्रतिशत तेल आयात किया. वहीं, 14.3 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सऊदी अरब तीसरे स्थान पर रहा. यूक्रेन युद्ध से पहले इराक भारत के लिए शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता देश था. 

लगभग 12 प्रतिशत की छूट

रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिफाइन कंपनियों ने रूसी तेल के लिए औसतन लगभग 71.83 डॉलर प्रति बैरल भुगतान किया. अन्य देशों से आयात कच्चे तेल की कीमत की तुलना में औसतन यह 10.32 डॉलर प्रति बैरल कम है. यानी रूस से तेल आयात करने में  भारतीय तेल कंपनियों को औसतन लगभग 12.6 प्रतिशत प्रति बैरल की छूट मिली. 

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भारत के विदेशी व्यापार की तुलना में 3.3 अरब डॉलर की राशि भले ही ज्यादा ना हो, लेकिन देश के प्रमुख तेल आयातक कंपनियों के लिए यह बचत ठीक-ठाक और पर्याप्त हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, यह बचत मुख्यतः पांच भारतीय कंपनियों को हुई हैं. 

सरकार कमोडिटी और कंट्री वाइज ट्रेड डेटा जारी करती है. भारत सरकार के कॉमर्स मंत्रालय के वेबसाइट पर फिलहाल सितंबर तक का डेटा मौजूद है. चूंकि, कच्चे तेल की कीमत ग्रेड पर निर्भर करती है तो उनकी कीमतें भिन्न भी हो सकती हैं. सरकार ग्रेड वाइज डेटा नहीं जारी करती है. इसलिए रिपोर्ट तैयार करने के लिए कच्चे तेल की औसत पहुंच कीमत (landed price) और आयात की मात्रा का इस्तेमाल किया गया है.

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