
जस्टिन ट्रूडो ने 4 नवंबर 2015 को कनाडा के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. दिसंबर 2015 वो समय था जब कनाडा से यूरेनियम की एक भारी भरकम खेप भारत के एक अज्ञात पोर्ट पर पहुंची. ऐसा लगभग 40 साल के बाद हुआ था. ये भारत-कनाडा के बीच रिश्तों का स्वर्णिम समय था. जब 1974 में भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया था तो तब कनाडा नाराज हो गया था और भारत के साथ नागरिक परमाणु समझौते को सस्पेंड कर ठंडे बस्ते में डाल दिया था. 1998 के भारत के न्यूक्लियर टेस्ट के बाद से तो कनाडा ने मानवीय सहायता को छोड़कर सभी सहायता बंद कर दी और भारत पर प्रतिबंध लगा दिया.
नई सदी के शुरुआत होते ही दोनों देशों के रिश्ते सुधरे लेकिन प्रधानमंत्री बनते ही ट्रूडो ने भारत-कनाडा की दोस्ती का गियर रिवर्स मोड पर डाल दिया. ट्रूडो के कनाडा की प्राथमिकता में खालिस्तानी एजेंडा आ गया पिछले 10 साल में दोनों देशों के बीच के रिश्तों पर बर्फ की भारी पहाड़ जम गई है, जहां संबंधों में न जोश है, न गर्माहट.
संबंधों का इतिहास
1980 के दशक में भारत में खालिस्तान आंदोलन ने रफ़्तार पकड़ी. इस दौरान कई खालिस्तानी चरमपंथी भागकर कनाडा पहुंचे. उस समय पियेर ट्रूडो कनाडा के प्रधानमंत्री हुआ करते थे. भारत ने पियेर ट्रूडो से खालिस्तानी चरमपंथी के खिलाफ एक्शन की मांग की लेकिन पियेर ट्रूडो ने मना कर दिया. जस्टिन ट्रूडो उन्हीं पियेर ट्रूडो के बेटे हैं.
दोनों देशों के संबंधों में टेंशन तब आया जब जून 1985 में एयर इंडिया की फ़्लाइट संख्या 182 में बम धमाका हुआ. इसमें सवार सभी 329 लोग मारे गए. तलविंदर परमार नाम के शख्स को इसका मास्टरमाइंड बताया गया. मगर उसके ख़िलाफ़ कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई.भारत इस कड़वाहट को कभी भूल नहीं सका.
अगर साल नई सदी 2000 के शुरुआत की बात करें तो अप्रैल 2001 में कनाडा ने भारत से प्रतिबंध हटा दिए गए थे. माना जाता था कि यह कनाडा में भारत के प्रवासियों का बढ़ता प्रभाव था जिससे यह बदलाव संभव हुआ.
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बता दें कि ज्यां चेरेतिन 1996 में भारत का दौरा करने वाले पहले कनाडाई प्रधानमंत्री थे. 2003 में वे दूसरी बार भारत के दौरे पर आए. चेरेतिन पंजाब और स्वर्ण मंदिर का दौरा करने वाले पहले कनाडाई प्रधानमंत्री बने.
भारत-कनाडा संबंधों में वास्तविक ऊंचाई ओटावा में सत्ता परिवर्तन के बाद आई. 2006 में लिबरल सत्ता से बाहर हो गए और कंजर्वेटिव पार्टी ने पीएम स्टीफन हार्पर के नेतृत्व में वापसी की. इनके कार्यकाल में द्विपक्षीय संबंध “ स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप ” तक पहुंचे.
प्रधानमंत्री हार्पर ने दो बार भारत का दौरा किय. इस दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार, आर्थिक सहयोग और ऊर्जा, शिक्षा, रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण समझौते हुए.
भारत को मिला कनाडा का यूरेनियम
सबसे बड़ी उपलब्धि 2010 में आई जब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और हार्पर ने ऐतिहासिक नागरिक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए. कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने 2011 को कनाडा में 'भारत का वर्ष' घोषित किया था. हार्पर ने कहा था कि दोनों देश अब 1970 के दशक के अतीत में नहीं रह सकते हैं. यही नहीं हार्पर ने भारत कनाडा के बीच मुक्त व्यापार समझौता करने की पहल शुरू की थी. 2015 में वे भारत को कनाडा का यूरेनियम बेचने पर भी राजी हो गए थे.
इसी समझौते का असर था कि दिसंबर 2015 में कनाडा से यूरेनियम की खेप भारत आई थी.
साल 2014 में नई दिल्ली में भी सत्ता परिवर्तन हो चुका था. नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बन चुके थे. 2015 में कनाडा में लिबरल पार्टी सत्ता में लौटी और प्रधानमंत्री बने जस्टिन ट्रूडो.
2018 में भारत आए ट्रूडो
2018 में जब जस्टिन ट्रूडो भारत दौरे पर आए तो भारत कनाडा संबंधों में जोरदार हिचकोले देखने को मिले. कनाडा के पीएम जब भारत आए तो उन्हें लगा कि जैसा सम्मान उन्हें मिलना चाहिए वो नहीं मिल रहा है. इसके अलावा कई और घटनाएं हुई. ट्रूडो का स्वागत करने के लिए भारत ने अपने राज्य मंत्री गजेंद्र शेखावत को एयरपोर्ट पर भेजा. उसके बाद जब ट्रूडो के सम्मान में डिनर दिया गया तो पाया गया कि इसके कनाडा ने सिख कट्टरपंथी जसपाल अटवाल को न्यौता दिया है. इससे डिप्लोमैटिक संकट की स्थिति पैदा हो गई. आखिरकार कनाडा को इस निमंत्रण को रद्द करना पड़ा.
बाद में कनाडा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए ट्रूडो ने अपनी ही यात्रा का मजाक उड़ाते हुए कहा था कि ये एक ऐसी यात्रा थी जिसने सारी यात्राओं का अंत कर दिया.
इसके बाद ऐसी गतिविधियां हुई कि दोनों देशों के संबंध गर्त में जाते रहे. ब्रैम्पटन जैसे क्षेत्रों में जहां बड़ी सिख आबादी रहती है, अक्सर सिख कट्टरपंथी जरनैल सिंह भिंडरावले और एअर इंडिया बमबारी के आरोपी तलविंदर परमार को गौरवान्वित करने वाली परेड आयोजित की जाती रही हैं. भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है.
पिछले साल कनाडा में अमृतपाल सिंह के समर्थन में प्रदर्शन हुआ. इससे और भी तनाव बढ़ा. ब्रैम्पटन में आयोजित वार्षिक "सिख शहीद परेड" में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का महिमामंडन किया. इस परर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि यह द्विपक्षीय संबंधों के लिए "अच्छा नहीं है.
निज्जर की हत्या से बढ़ी कड़वाहट
पिछले साल जून में कट्टरपंथी-अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में हुई हत्या ने दोनों देशों के बीच की टेंशन को चरम पर पहुंचा दिया. भारत की जांच एजेंसी एनआईए की वांटेड लिस्ट में शामिल निज्जर को कनाडा के वैंकुअर में अज्ञात हमलावरों ने तब मार दिया जब वो अपनी कार में बैठा था. भारत ने UAPA के तहत निज्जर को आतंकवादी घोषित किया है. निज्जर खालिस्तानी आतंकवादी था. फर्जी क़ागज़ात के सहारे कनाडा पहुंचा था. फिर संदेहजनक तरीके से नागरिकता भी हासिल कर ली थी.
ट्रूडो ने कनाडा की संसद में भारत पर लगाया आरोप
सितंबर 2023 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाया. ये बेहद गंभीर आरोप था. ट्रूडो ने कनाडा की संसद में कहा था कि इस बात के पुख़्ता सबूत हैं कि निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंट्स शामिल हैं.
भारत ने 41 कनाडाई राजनयिकों को वापस भेजने का आदेश दिया
अक्टूबर 2023 में, कूटनीतिक मतभेद तब और बढ़ गया जब भारत ने कनाडा से 10 अक्टूबर तक लगभग 41 राजनयिकों को वापस भेजने की मांग की, जिससे भारत में उनकी उपस्थिति घटकर 21 रह जाए. भारत ने समय सीमा के बाद भी रुकने वालों के लिए राजनयिकों की इम्युनिटी कैंसिल करने की बात कही.
जब दिल्ली में 36 घंटे खराब रहा ट्रूडो का विमान
पिछले साल सितंबर में जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत आए कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो का दौरा भी विवादों में रहा. इस दौरान उन्होंने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी अपने खराब विमान के लिए. जी-20 शिखर सम्मेलन शामिल होने शनिवार, उन्हें राजधानी के शानदार ललित होटल में ठहराया गया था. ट्रूडो जब लौटने लगे तो उनका विमान ही खराब हो गया. अगले 36 घंटे से ज्यादा समय तक उनका विमान दिल्ली में खराब पड़ा रहा और वे कनाडा नहीं जा सके. भारत सरकार ने अपना आधिकारिक विमान भी उन्हें देने की पेशकश की लेकिन ट्रूडो ने भारत की सेवाएं लेने से इनकार कर दी.
निज्जर की हत्या में की गई गिरफ्तारियां
मई 2024 में कनाडाई पुलिस ने एक कथित हिट स्क्वाड के सदस्यों को गिरफ्तार किया. इन तीन गिरफ्तार आरोपियों के नाम करण बरार, कमलप्रीत सिंह और करणप्रीत सिंह हैं. ये भारतीय नागरिक हैं और इन्हें 3 मई को गिरफ्तार किया गया था. चौथे भारतीय नागरिक अमरदीप सिंह को 12 मई को गिरफ्तार किया गया. इनके भारत की सरकार या भारतीय एजेंसियों से जुड़े होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं.
आखिरकार पिछले सोमवार (14 अक्टूबर) को दोनों देशों के बीच रिश्ते निम्नतम स्तर पर चले गए जब ट्रूडो ने एक बार फिर निज्जर की हत्या में भारत की एजेंसियों का रोल बताया.
इसी दिन भारत ने कहा था कि उसने कनाडा से भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा समेत अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया है. इसके साथ ही भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को अपने देश से निष्कासित कर दिया. भारत का कहना था कि कनाडा में भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा का प्रश्न खड़ा हो गया है.
प्रधानमंत्री ट्रूडो ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में भारत सरकार के सहयोग न करने को दोषी ठहराया है. भारत ने इन आरोपों का सख्ती से खंडन किया और इसे बेबुनियाद बताया.