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'2% सिख आबादी के लिए कनाडा में ही बना दो खालिस्तान', भारतवंशी नेता ने ट्रूडो को उसी भाषा में दिया जवाब

कनाडा में भारत से गए सिखों की अच्छी खासी आबादी रहती है. कनाडा इन सिखों का कुछ सालों से भारत के खिलाफ कूटनीतिक इस्तेमाल करता रहा है. विदेशी एजेंडे के प्रभाव में आकर यहां कुछ सिख भारत में खालिस्तान बनाने की मांग उठाते रहते हैं. कनाडा ऐसे ही सिखों की मांग को खाद-पानी देता रहता है. लेकिन इस बार कनाडा में कई सालों से रह रहे एक पंजाबी नेता ने इसी देश में खालिस्तान बनाने की मांग उठाकर बाजी पलट दी है और ट्रूडो को फंसा दिया है.

भारत-कनाडा के बीच कूटनीतिक टकराव भारत-कनाडा के बीच कूटनीतिक टकराव
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 3:30 PM IST

भारत में खालिस्तान की चिंगारी को हवा देकर भड़का रहे कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो अब अपनी ही कूटनीति में फंसते नजर आ रहे हैं. ट्रूडो से कनाडा में रहने वाले एक प्रभावशाली पंजाबी नेता ने ऐसी मांग की है जिसका जवाब देना उनके लिए आसान नहीं होगा. ये मांग इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि इसे कनाडा में सालों से रह रहे एक प्रभावशाली पंजाबी शख्स की ओर से उठाया गया है.

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कनाडा स्थित ब्रिटिश कोलंबिया के प्रीमियर और पंजाबी मूल के भारतवंशी उज्ज्वल दोसांझ ने कहा है कि अगर कनाडा में सिखों का एक छोटा सा समूह खालिस्तान चाहता है तो उन्हें अल्बर्टा या फिर सस्कैचवान (Saskatchewan) में सिखों के लिए खालिस्तान बना देना चाहिए. अल्बर्टा और सस्कैचवान दोनों ही कनाडा के वैसे राज्य है जहां भारत से आए सिखों की आबादी अच्छी खासी है. 

...तो कनाडा में बना दें खालिस्तान

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में उज्ज्वल दोसांझ ने कहा कि भारत और कनाडा को वार्ता की शुरुआत करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वैसे कनाडाई जो खालिस्तान की मांग कर रहे हैं वो भारत को तोड़ने नहीं जा रहे हैं. भारत के सिख खालिस्तान नहीं चाहते हैं. मैं इस साल की शुरुआत में मई में पंजाब में था और मैं इसकी पुष्टि कर सकता हूं. तो फिर भारत को इन नारेबाजों की इतनी चिंता क्यों होनी चाहिए...

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कनाडा में लंबे समय तक संसदीय राजनीति करने वाले उज्ज्वल दोसांझ ने कहा कि कनाडा में सिखों की आबादी मात्र 2 प्रतिशत है, यदि कनाडा में इस छोटे समुदाय का एक वर्ग खालिस्तान चाहता है, तो उन्हें अलबर्टा या सस्कैचवान में खालिस्तान दे देना चाहिए, भारत को इतना खतरा क्यों महसूस होना चाहिए?

कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया के पूर्व प्रीमियर उज्ज्वल दोसांझ (फाइल फोटो)

कनाडा में कितने सिख?

बता दें कि कनाडा की कुल आबादी लगभग 4 करोड़ है. 2021 की जनगणना में कनाडा में सिखों की आबादी 7 लाख 70 हजार रिकॉर्ड की गई थी. जो कि कनाडा की कुल आबादी का लगभग 2.1  प्रतिशत के बराबर है. हालांकि कनाडा में भारतीय मूल के लोगों की कुल आबादी लगभग 15 लाख है.  

अलबर्टा और सस्कैचवान में कितने सिख?

कनाडा के प्रांतों की बात करें तो यहां ब्रिटिश कोलंबिया, मैनिटोबा, अल्बर्टा, ओनटेरियो, युकोन और सस्कैचवान में सिखों की आबादी सबसे ज्यादा है. कनाडा की 2021 की जनगणना के अनुसार अल्बर्टा में सिखों की आबादी 1 लाख है, वहीं सस्कैचवान में 10 हजार सिख रहते हैं. जबकि ब्रिटिश कोलंबिया में सबसे ज्यादा 2.9 लाख सिख रहते हैं. खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या ब्रिटिश कोलंबिया में ही हुई थी. 

निज्जर का केस उठाकर ट्रूडो ने बिगाड़ी बात

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यूं तो हाल-फिलहाल भारत और कनाडा के कूटनीतिक रिश्ते गर्मजोशी भरे नहीं थे. लेकिन जी-20 सम्मेलन से वापसी के बाद ट्रूडो ने कनाडा की संसद में भारत पर सीधा आरोप लगाकर दोनों देशों के संबंधों को कोल्ड स्टोरेज में डाल दिया. ट्रूडो ने संसद में कहा कि कनाडा की घरेलू खुफिया एजेंसियां जून 2023 में 45 वर्षीय हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत के एजेंटों को जिम्मेदार ठहराने वाले आरोपों पर सक्रिय रूप से काम कर रही हैं.

उज्ज्वल दोसांझ की कनाडा में राजनीति

उज्ज्वल दोसांझ कनाडा की सक्रिय राजनीति से 12 साल पहले ही अलग हो चुके हैं. लेकिन सिख बिरादरी में उनकी आवाज और राय की आज भी कद्र है. पंजाब के जालंधर में 1947 में जन्में उज्ज्वल दोसांझ 17 साल की आयु में ब्रिटेन चले आए थे. चार साल के बाद के कनाडा चले आए. यहां उन्हें मजदूरी भी करनी पड़ी. लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी. उज्ज्वल दोसांझ ने ब्रिटिश कोलंबिया में ही राजनीति शास्त्र की पढ़ाई की फिर कानून की डिग्री ली. 

इसके बाद उन्होंने अपना लॉ फर्म खोला. उज्ज्वल दोसांझ हिंसा और उग्र विचारधारा के विरोधी रहे हैं. अपने राजनीतिक जीवन में उज्ज्वल दोसांझ ब्रिटिश कोलंबिया के प्रीमियर रहे. 2004 से 2011 के बीच वे सांसद रहे. 

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दोसांझ खालिस्तान के विरोधी रहे हैं. इस वजह से 1985 में उन पर हमला हुआ था. तब उन्हें 80 टांके लगाने पड़े थे. तब वे 37 साल के थे.  1999 में एक बार फिर से उनपर हमला हुआ था. 

दोनों देशों ने एक दूसरे के राजनयिकों को निकाला

इस बीच भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ा हुआ है. इस मामले में एक्शन लेते हुए पहले कनाडा ने भारत के एक वरिष्ठ राजनयिक को निष्कासित कर दिया. इसके बाद भारत ने न सिर्फ कनाडा के आरोपों को खारिज किया कनाडा के एक वरिष्ठ राजनयिक को भी 5 दिन में भारत छोड़ने का आदेश दिया है.

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