Advertisement

भारत-चीन तनाव के बीच, ल्हासा में हवाई हमले की ड्रिल के पीछे बीजिंग का मकसद क्या?

चीन अपने प्रमुख शहरों में सितंबर महीने में इस तरह हवाई हमले की ड्रिल कर रहा है. ये सालाना नेशनल डिफेंस एजुकेशन डे के सिलसिले में किया जा रहा है. हालांकि इस तरह की ड्रिल को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. क्योंकि पिछली बार ल्हासा में इस तरह की कवायद 2009 में की गई थी.

चीनी फाइटर जेट (सांकेतिक तस्वीर-चीनी सरकारी वेबसाइट) चीनी फाइटर जेट (सांकेतिक तस्वीर-चीनी सरकारी वेबसाइट)
कर्नल विनायक भट (रिटायर्ड)
  • नई दिल्ली,
  • 18 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 4:13 PM IST
  • कल तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की राजधानी ल्हासा में गूंजेंगे 3 सायरन
  • ल्हासा में ऐसी कवायद 11 साल पहले 2009 में की गई थी
  • तीन अलग-अलग टाइप्स में बजाया जाएगा सायरन

वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच चीन सरकार की ओर से संचालित मीडिया ने बताया है कि तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र की प्रशासनिक राजधानी ल्हासा शहर की सरकार की ओर से 19 सितंबर को एयर रेड ड्रिल का आयोजन किया जाएगा.  

चीन अपने प्रमुख शहरों में सितंबर महीने में इस तरह हवाई हमले की ड्रिल कर रहा है. ये सालाना ‘नेशनल डिफेंस एजुकेशन डे’ (राष्ट्रीय रक्षा शिक्षा दिवस) के सिलसिले में किया जा रहा है. हालांकि इस तरह की ड्रिल को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. क्योंकि पिछली बार ल्हासा में इस तरह की कवायद 2009 में की गई थी. 

Advertisement

भय का माहौल बनाने का हथकंडा
चीन और भारत के बीच सीमा पर तनाव की मौजूदा स्थिति के बीच इस तरह की ड्रिल स्थानीय तिब्बतियों के बीच भय का माहौल बनाने के लिए बीजिंग की ओर से मनोवैज्ञानिक युद्ध का एक हथकंडा लगती है. 

एयर डिफेंस अलार्म ड्रिल के बारे में औपचारिक बयान को सारे लोकल मीडिया और कई वीबो हैंडल्स की ओर से कवर किया गया. 

3 बार बजेगा अलार्म
ल्हासा शहर की सरकार (चीन नियंत्रित) ने कहा कि सायरन 19 सितंबर को तीन अलग-अलग टाइप्स में बजाया जाएगा. पहला सायरन दोपहर 12 बजे से 12 बजकर तीन मिनट तक बजाया जाएगा. इस दौरान 36 सेकंड की आवाज को 24 सेकंड के अंतराल से सुना जा सकेगा. 

दूसरा सायरन 12.06 से 12.09 बजे तक बजाया जाएगा. इसमें 6 सेकंड की आवाज 6 सेकंड के अंतराल के साथ रहेगी. तीसरे सायरन को बिना किसी अंतराल के पूर्ण अवधि के लिए 12:12 से 12:15 बजे तक तीन मिनट के लिए बजाया जाएगा. 

Advertisement

14 सितंबर को एक विशेष घोषणा में, ल्हासा शहर सरकार ने कहा कि ये टेस्ट "राष्ट्रीय रक्षा और नागरिक वायु रक्षा जागरूकता को लेकर आम जनता की धारणा में सुधार करेगा." हालांकि, घोषणा में या मीडिया में तीन प्रकार के सायरन के लिए कोई विशेष स्पष्टीकरण नहीं दिया गया.

पहला सायरन असल हमले का प्रतीक

पहले सायरन का हमले से पहले (प्री-रेड) की ड्रिल के तौर पर मूल्यांकन किया जाएगा. जिसमें लोगों के लिए बत्तियां बंद करने का संदेश होता है. दूसरा सायरन असल हमले का प्रतीक है जिसमें लोगों से एयर रेड शेल्टर में जाने के लिए कहा जाता है. तीसरा सायरन बताता है कि हमला खत्म हो गया है और लोग अपने नियमित काम की ओर सुरक्षित लौट सकते हैं. 

घोषणा में सभी नागरिकों, सरकारी एजेंसियों, उद्यमों, संस्थानों और सामाजिक संगठनों के कर्मियों को विभिन्न ध्वनिक संकेतों को सुनने, उनमें भेद करने और समझने पर ध्यान देने का आदेश दिया गया. घोषणा में कहा गया कि ड्रिल का आयोजन "पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के पीपुल्स एयर डिफेंस लॉ" की भावना के मुताबिक किया जाएगा.

घोषणा में स्थानीय लोगों से आग्रह किया कि वे एयर डिफेंस अलार्म सुनकर घबराएं नहीं और सुनिश्चित करें कि गतिविधियां सामान्य रूप से आगे बढ़ें और प्रभावित न हों. इस संदर्भ में एक पुरानी चीनी कहावत सटीक बैठती है- ‘बंदर को डराने के लिए मुर्गे को मार डालो’

Advertisement

(कर्नल विनायक भट (सेवानिवृत्त) इंडिया टुडे के लिए एक सलाहकार हैं, वे सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषक हैं, उन्होंने 33 वर्ष तक भारतीय सेना में सर्विस की)

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement