
India Today Conclave Mumbai 2023: मुंबई में हो रहे इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बुधवार को भारत के जी-20 के शेरपा रहे अमितांभ कांत ने हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने बताया कि नई दिल्ली में सफलतापूर्वक संपन्न हुए जी-20 सम्मेलन में भारत को किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा. कांत ने यह भी बताया कि नई दिल्ली जी-20 नेतृत्व घोषणा पर सभी देशों के साथ कैसे सहमति बनाई गई.
उन्होंने कहा कि हमारे सामने कई तरह की चुनौतियां थीं. चाहे वो क्लाइमेंट चेंज से संबंधित हों, एनर्जी से संबंधित हों या जियोपॉलिटिकल से संबंधित पैरा पर सहमति बनाना हो. इसलिए हम इस पर सहमति बनाने के लिए दिल्ली से दूर इस पर बात कर रहे थे, जिससे किसी भी देश के राष्ट्राध्यक्ष डिस्टर्ब ना हों.
250 घंटे तक लगातार बातचीत किया
भारत के जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि जी-20 संयुक्त घोषणा पत्र पर आम सहमति बनाने के लिए उन्होंने लगातार 250 घंटे तक अलग-अलग देशों के शेरपा के साथ लगभग 300 बैठकें कीं. उन्होंने कहा कि इस पर सब देशों की सहमति लेना कठिन काम था क्योंकि इस ड्राफ्ट में यह सुनिश्चित करना था कि सभी देशों के हितों का ध्यान रखा जाए.
कांत ने कहा कि ड्राफ्ट में रूस वाले पैरा पर सभी देशों के साथ सहमति बनानी एक बड़ी चुनौती थी. हमें 10-11 बार ऐसा लगा कि हम ड्राफ्ट पर सहमति नहीं बना पाएंगे. चीन के साथ बातचीत करना और ड्राफ्ट पर सहमति बनाना सबसे कठिन था. लेकिन भारत, चीनी शेरपा के साथ बातचीत करने में सफल रहा.
कांत ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसको लेकर बहुत स्पष्ट थे कि जी-20 शिखर सम्मेलन सफल होना चाहिए. और हम संयुक्त घोषणा पत्र पर सहमति बनाने में कामयाब भी रहे.
भारत ने वह किया जो UN नहीं कर पाया
जी-20 समिट में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीपर पुतिन के भारत नहीं आने से जुड़े पूछे गए एक सवाल के जवाब में अमितांभ कांत ने कहा कि इटली में आयोजित जी-20 समिट में केवल 14 राष्ट्राध्यक्ष ने हिस्सा लिया था. इंडोनेशिया में भी सिर्फ 16 देशों के राष्ट्राध्यक्ष थे. जबकि भारत में हुए जी-20 समिट में 18 देशों के राष्ट्राध्यक्ष ने हिस्सा लिया.
इसलिए हमारा फोकस जी-20 शिखर सम्मेलन को सफल बनाना था. और हमने सफल बनाया भी. यही हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण रहा. हमने जी-20 के संयुक्त ड्राफ्ट पर सहमति बनाने में सफल रहे. हमने जियोपॉलिटकल को लेकर चल रहे मुद्दे पर भी सहमति बनाई. जबकि यूनाइटेड नेशन और सुरक्षा परिषद भी ऐसा करने में विफल रहे थे. भारत ने वह किया है, जो यूनाइटेड नेशन नहीं कर पाया.
यह लोगों का G20 था': अमिताभ कांत
कांत ने आगे कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन आमतौर पर एक या दो शहर में आयोजित किया जाता है. इंडोनेशिया में भी मात्र दो शहर में आयोजित किया गया. जबकि हमने भारत में 60 से ज्यादा शहरों में आयोजित किया. भारत में आयोजित हुआ जी-20 शिखर सम्मेलन लोगों का शिखर सम्मेलन था.