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कश्मीर पर इस्लामिक देशों के संगठन OIC ने उठाया ये कदम, भारत ने दी चेतावनी

इस्लामिक संगठन ओआईसी (OIC) के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा की ओर से कश्मीर पर की गई विवादित टिप्पणी पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. भारत ने साफ शब्दों में कहा है कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है और इसमें किसी भी अन्य देश के हस्तक्षेप को हम स्वीकार नहीं करेंगे.

ओआईसी के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताही (फोटो- ओआईसी ट्विटर हैंडल) ओआईसी के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताही (फोटो- ओआईसी ट्विटर हैंडल)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:58 PM IST

इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी (OIC) के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा की ओर से कश्मीर पर दिए गए विवादित बयान पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. भारत ने इस दौरे की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि भारत के आंतरिक मामलों में हम किसी भी प्रकार का कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे.

तीन दिवसीय पीओके दौरे पर गए ओआईसी के महासचिव ताहा ने कहा था कि कश्मीर विवाद को सुलझाने के लिए आईओसी बातचीत का एक खाका तैयार कर रहा है. हिसान ब्राहिम ताहा ने कहा था कि कश्मीर मुद्दों को सुलझाने के लिए जरूरी है कि बातचीत का जरिया ढूंढा जाए. इसके लिए हम पाकिस्तान सरकार और अन्य देशों के साथ मिलकर एक योजना बना रहे हैं.

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जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मंगलवार को ओआईसी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि हम ओआईसी महासचिव ब्राहिम ताहा की ओर से जम्मू-कश्मीर पर की गई टिप्पणियों की कड़ी निंदा करते हैं. उन्होंने ओआईसी को साफ शब्दों में नसीहत देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है और इसमें किसी भी अन्य देश के हस्तक्षेप को हम स्वीकार नहीं करेंगे.

ओआईसी अपनी विश्वसनीयता खो चुकाः भारत सरकार
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस्लामिक देशों का संगठन (ओआईसी) घोर सांप्रदायिक, पक्षपातपूर्ण और तथ्यात्मक रूप से गलत स्टैंड लेकर पहले ही अपनी विश्वसनीयता खो चुका है. ये दुर्भाग्य की बात है कि इसका महासचिव भी अब पाकिस्तान का प्यादा बन चुका है.

बागची ने कहा कि हमें उम्मीद है कि वह भारत में खासकर जम्मू कश्मीर में जिस तरह से पाकिस्तान की ओर से क्रॉस-बॉर्डर आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाता है, उसके नापाक एजेंडे को आगे बढ़ाने में वह पाकिस्तान का भागीदार बनने से बचेंगे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहा के पीओके दौरे पर मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे.

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क्या कहा था हिसेन ब्राहिम ताहा ने 
तीन दिवसीय (10 से 12 दिसंबर तक) पीओके और पाकिस्तान दौरे पर गए ओआईसी के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा ने पीओके राष्ट्रपति भवन में मीडिया से बात करते हुए कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का रास्ता ढूंढने के लिए इस्लामिक संगठन एक योजना पर काम कर रहा है. ओआईसी के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल जरदारी भुट्टो के आमंत्रण पर पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल के साथ तीन दिवसीय पीओके और पाकिस्तान दौरे पर आए थे.

इस दौरान ताहा ने कश्मीर को भी इस्लामिक संगठन का हिस्सा बताते हुए कहा था कि हम यहां अपने सहयोगियों, अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संगठन के सदस्यों की ओर से भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चल रहे कश्मीर विवाद को सुलझाने के लिए ओआईसी की एकजुटता, सहानुभूति और दृढ़ संकल्प व्यक्त करने आए हैं.

पीओके राष्ट्रपति ने भी दिया था साथ
मीडिया से बातचीत के दौरान हिसेन ब्राहिम ताहा के साथ पीओके के राष्ट्रपति सुल्तान महमूद, प्रधानमंत्री सरदार तनवीर इलियास और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सलाहकार भी मौजूद थे. पीओके के राष्ट्रपति ने कहा कि कश्मीर विवाद एक क्षेत्रीय विवाद नहीं बल्कि एक राष्ट्र के भविष्य का मुद्दा है. 

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ओआईसी प्रतिनिधि मंडल के एलओसी दौरे को लेकर राष्ट्रपति सुल्तान ने कहा कि वो इस पर एक रिपोर्ट काउंसिल ऑफ फॉरेन मिनिस्टर (CFM) को सौंपेंगे और उनसे सही फैसला लेने की बात कहेंगे.

क्या है ओआईसी
ओआईसी 57 मुस्लिम बहुल देशों का संगठन है. इसका पूरा नाम इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन ऑफ कॉऑपरेशन है. ऐसा माना जाता है कि इस संगठन में सऊदी अरब और सहयोगी देशों का दबदबा है. ओआईसी का हेडक्वार्टर भी सऊदी अरब के जेद्दाह शहर में स्थित है. इस संगठन में शामिल का अहम शर्त यह है कि इसमें सिर्फ इस्लामिक कंट्री ही शामिल हो सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय शांति और सद्भाव बनाते हुए मुसलमानों की सुरक्षा करना इसका उद्देश्य है.

भारत के खिलाफ उगलता रहा है जहर

इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी भारत के खिलाफ लगातार जहर उगलता रहा है. अक्टूबर 2022 में भी ओआईसी ने बयान जारी करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 बहाल करने की मांग की थी. साथ ही कश्मीर में हो रहे डेमोग्राफिक बदलाव को भी रोकने की मांग की थी. इससे पहले भी ओआईसी की ओर से कश्मीर मामले में इस तरह का बयान देखने को मिल चुका है.

ओआईसी के बयान के पीछे पाकिस्तान का हाथ बताया जाता रहा है, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत पर प्रेशर बनाया जा सके. भारत कई बार अगाह कर चुका है कि वह पाकिस्तान के प्रोपैगेंडा को आगे न बढ़ाए.

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