
चीन भारत पर अंतरिक्ष से निगाह रखने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए उसने एक जासूसी ड्रोन का सफल टेस्ट भी कर लिया है. चीन ने नियर स्पेस (अंतरिक्ष के पास भारतीय वायुमंडल का एक क्षेत्र) से जमीन की मैपिंग करने वाले ड्रोन का सफल परीक्षण किया.
आपको बता दें कि नियर स्पेस का क्षेत्र समुद्र तल से लगभग 20 किमी की ऊंचाई पर स्थित होता है. इसे ड्रोनों लिए डेथ जोन भी कहा जाता है. हवा के कम दबाव और काफी कम तापमान की वजह से यह क्षेत्र अबतक ड्रोन के लिए खतरनाक माना जाता रहा है. हालांकि चीन ने इस सफल प्रयोग से अपनी तकनीक का लोहा मनवा लिया है. चीन का दावा है कि यह ड्रोन अमेरिकी ड्रोनों की तुलना में कही ज्यादा शक्तिशाली है.
अंतरिक्ष का सैन्य इस्तेमाल
हांगकांग के साउथ चाइना मॉर्निंग डेली के अनुसार चीन नियर स्पेस का इस्तेमाल सैन्य गतिविधियों के लिए करने की लगातार कोशिश कर रहा है. इंटेलिजेंस की दृष्टि से नियर स्पेस को काफी संभावना भरा क्षेत्र माना जाता रहा है. हालांकि यहां के वातावरण परिस्थितियों की वजह न तो यहां प्लेन ऑपरेट कर सकते हैं और वहीं सैटेलाइट के लिए यह जगह काफी कम ऊंचाई पर स्थित है. साथ ही यहां बैटरी जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बंद होने की पूरी आशंका होती है.
क्यों है यह खतरनाक कदम
भारत के लिए चीन की यह सफलता काफी खतरनाक साबित हो सकती है. चीन के वैज्ञानिक इस कोशिश में लगे हुए हैं कि ऐसे ड्रोन बनाए जाएं जो नियर स्पेस में रहते हुए सालभर तक किसी जगह पर निगाहें बनाकर रख सके. साथ ही सैटेलाइट के मुकाबले काफी कम कीमत होने की वजह से काफी सारे ड्रोन तैयार किए जा सकेंगे.
यह था अबतक का रेकॉर्ड
अभी तक नॉर्थकॉर्प द्वारा विकसित ग्रुम्मैन आरक्यू 4 को ही सबसे ऊंचाई पर उड़ने वाला ड्रोन माना जाता रहा है. यह 19 किमी की ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता रखता है. वहीं पिछले महीने ही मंगोलिया में स्थित चीन रिसर्च फैसिलिटी ने 25 किमी की ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोनों का सफल टेस्ट किया. ‘डेथ जोन’ से सैन्य खुफिया जानकारी एकत्र करना खुफिया एजेंसियों के लिए एक सपने जैसा था, लेकिन चीन में विकसित इस नये ड्रोन ने ‘डेथ जोन’ में आने वाली परेशानियों पर काबू पा लिया है.
सैन्य गतिविधियों का चल सकेगा पता
चीन के यह ड्रोन भू-भाग का नक्शा बनाने वाले डिवाइस से लैस होंगे. साथ ही इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल से सैन्य गतिविधियों का पता लगाने में भी सक्षम होंगे. हालांकि इन ड्रोन के साथ कैमरा नहीं लगा होगा. बीजिंग में स्थित चाइनीज अकेडमी ऑफ सांइस के डिपार्टमेंट अकेडमी ऑफ ऑप्टो इलेक्ट्रानिक्स के इस प्रोजेक्ट के प्रमुख वैज्ञानिक यांग यांचू के अनुसार कैमरे से तस्वीरे भेजने के लिए ड्रोन के साथ अंटिना अटैच करना होगा, जिस वजह से ड्रोन काफी भारी हो जाएंगे. इससे उन्हें स्पेस में पहुंचाने में दिक्कत आएगी. यांग ने यह भी बताया चीन ऐसे 100 ड्रोन को एक साथ नियर स्पेस में भेजने की तैयारी कर रहा है.
आपको बता दें कि ड्रोन टेक्नॉलजी में चीन आगे निकलने की काफी कोशिश कर रहा है. इससे पहले चीन ने 67 ड्रोन लॉन्च करने के अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए कैटपुल्ट की मदद 119 ड्रोनों का एक समूह लॉन्च किया था.