
मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने नागरिकता संशोधन एक्ट की जरूरत पर सवाल उठाया था. अब भारत ने उनके बयान पर तीखा पलटवार किया है. विदेश मंत्रालय ने इसे पूरी तरह से आंतरिक मामला बताते हुए मलेशियाई प्रधानमंत्री को इस तरह की टिप्पणियों से बचने की सलाह दी है. विदेश मंत्रालय ने मलेशियाई पीएम की टिप्पणी को तथ्यात्मक रूप से गलत बताया है.
शुक्रवार को जारी बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मीडिया रिपोर्टों के अनुसार मलेशिया के प्रधानमंत्री ने ऐसे मामले पर टिप्पणी की है, जो भारत के लिए पूरी तरह से आंतरिक है. नागरिकता संशोधन अधिनियम तीव्रता से नागरिकता प्रदान करने के लिए है जो हमारे नागरिक नहीं हैं और तीन देशों में अल्पसंख्यक हैं. बयान में कहा गया है कि यह एक्ट किसी भी तरह से भारत के नागरिकों की नागरिकता को प्रभावित नहीं करता और इससे नागरिकता के अधिकार का हनन नहीं होता.
महातिर ने की थी यह टिप्पणी
विदेश मंत्रालय ने मलेशिया से भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने से बचने को कहा है. गौरतलब है कि मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने शुक्रवार को कुआलालंपुर शिखर सम्मेलन 2019 में भारत के नए नागरिकता कानून की आलोचना की थी. मलेशियाई पीएम ने अपने संबोधन में कहा था कि यह देखकर दुख हो रहा है कि जो भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश होने का दावा करता है, वह कुछ मुसलमानों को उनकी नागरिकता से वंचित करने की कार्रवाई कर रहा है. उन्होंने इस कानून की आवश्यकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसके कारण लोग मर रहे हैं. जब 70 साल तक लोग बगैर किसी परेशानी के एकसाथ रहते आ रहे हैं, ऐसा तब क्यों करना पड़ा?
कश्मीर के हालात पर भी जताई थी चिंता
पाकिस्तान के प्रति झुकाव रखने वाले महातिर मोहम्मद ने कश्मीर के मुद्दे पर भी टिप्पणी की थी और घाटी के हालात पर चिंता जताई थी. भारतीय विदेश मंत्रालय ने तब भी महातिर को पुराने द्विपक्षीय संबंधों की याद दिलाते हुए इस तरह की टिप्पणी से बचने की सलाह दी थी. इसके कुछ ही माह एक बार फिर महातिर ने भारत के आंतरिक मामले को लेकर टिप्पणी कर दी.