Advertisement

'मुइज्जू सरकार जितनी जल्दी हो सके माफी मांगे', भारत से राजनयिक विवाद पर बोले मालदीव के विपक्षी सांसद

मालदीव की विपक्षी एमडीपी पार्टी के सांसद मीकैल अहमद नसीम इस प्रस्ताव में पीएम मोदी पर टिप्पणी करने वाले तीनों मंत्रियों को पद से हटाने की भी मांग की है. साथ ही इस पूरी घटना को लेकर मुइज्जू सरकार औपचारिक तौर पर माफी मांगें. इस पूरे मामले पर मीकैल से बातचीत का ब्योरा यहां हैं.

मालदीव की डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद मीकैल नसीम मालदीव की डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद मीकैल नसीम
गीता मोहन
  • माले,
  • 10 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 11:00 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मालदीव की मोहम्मद मुइज्जू सरकार के मंत्रियों की आपत्तिजनक टिप्पणी पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा. मालदीव की मुख्य विपक्षी पार्टी ने सरकार को चारों ओर से घेर लिया है. विपक्षी एमडीपी पार्टी के सांसद मीकैल अहमद नसीम ने इस पूरे घटनाक्रम पर विदेश मंत्री से जवाब मांगने के लिए प्रस्ताव पेश किया.

इस प्रस्ताव में पीएम मोदी पर टिप्पणी करने वाले तीनों मंत्रियों को पद से हटाने की भी मांग की है. साथ ही इस पूरी घटना को लेकर मुइज्जू सरकार औपचारिक तौर पर माफी मांगें. इस पूरे मामले पर मीकैल से बातचीत का ब्योरा यहां हैं.

Advertisement

आपने संसद में जो प्रस्ताव पेश किया है. उसके जरिए सरकार से आपकी क्या मांग है?

मैंने स्पीकर से अनुरोध किया है कि वे विदेश मंत्री को संसद में तलब करें, जहां हम उनसे पूछ सकें कि इस पूरे मामले पर सरकार ने अभी तक औपचारिक माफी क्यों नहीं मांगी है. दूसरा, अभी तक उन डिप्टी मंत्रियों को बर्खास्त क्यों नहीं किया गया है, जो इस पूरे मामले में शामिल थे. हम संसद में विदेश मंत्री से ये सवाल पूछेंगे. मैंने साथ ही उन तीनों मंत्रियों को भी संसद की विदेश मामलों की समिति के समक्ष बुलाने का अनुरोध किया है. मुझे लगता है कि दोषियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. मुझे नहीं लगता कि सरकार की ओर से इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है. हम, मालदीव के लोग एक अधिक स्पष्ट जवाब चाहते हैं कि आखिर सरकार इस मामले को सुलझाने के लिए क्या करेगी. 

Advertisement

पीएम मोदी पर टिप्पणी करने के लिए मालदीव के तीनों मंत्रियों को सस्पेंड किया गया है, लेकिन उन्हें टर्मिनेट नहीं किया गया. ऐसे में विपक्ष यही सवाल उठा रहा है कि क्या मंत्रियों का टर्मिनेशन होगा. आपको क्या लगता है?

हम बहुत निराश हैं कि सरकार भारत के साथ हमारे सदियों पुराने संबंधों को तवज्जो देने के बजाए इन मंत्रियों के साथ अपनी घनिष्ठता को महत्व दे रही है. मुझे लगता है कि इन मंत्रियों की मौजूदा सरकार के साथ जो भी साझेदारी है, वह अन्य संबंधों की तुलना में भारी पड़ी है. एक राष्ट्र होने के नाते दुनियाभर में अच्छा अंतर्राष्ट्रीय रुख अख्तियार करने और राजनयिक संबंध बनाए रखने के लिए हमें इन कदमों को उठाना बहुत जरूरी है.

हमें मालदीव की नई सरकार के सत्ता में आने पर उसके रुख में एक बदलाव देखने को मिला है. क्या सरकार चीन और भारत के बीच संबंधों में संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है, ऐसे में क्या आने वाले दिनों में भारत और मालदीव को किसी अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ेगा?

ईमानदारी से कहूं तो मुझे निजी तौर पर लगता है कि वे (सरकार) इस बेहद अपरिपक्व 'इंडिया आउट' के कैंपेन को बंद करेंगे क्योंकि ये कई सालों से बदस्तूर जारी है. मुझे लगता था कि सत्ता में आने का अपना उद्देश्य हासिल करने के बाद वे इसे बंद करेंगे. लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ. मालदीव के लोग मौजूदा सरकार से बहुत निराश हैं.

Advertisement

क्या आपको लगता है कि मौजूदा घटनाक्रमों से भारत और मालदीव के बीच टूरिज्म और कारोबार पर प्रभाव पड़ेगा?

हमने बीते 72 घंटों में हजारों बुकिंग को कैंसिल होते देखा है. मेरे सूत्रों के मुताबिक, एक रिसॉर्ट में शादी होने वाली थी. शादी के लिए उस रिसॉर्ट को लगभग 10 लाख डॉलर में बुक किया गया था, लेकिन उसे भी कैंसिल कर दिया गया. मुझे लगता है कि इससे एक राष्ट्र के तौर पर हमें बहुत नुकसान हो रहा है क्योंकि हम बहुत हद तक टूरिज्म पर निर्भर है.

हमें किसी देश पर इस तरह निशाना नहीं साधना चाहिए. यह अस्वीकार्य है. मुझे लगता है कि दोनों देशों के बीच इस पूरे राजनयिक विवाद को समाप्त करने के लिए सरकार को तुरंत माफी मांगनी चाहिए, एक औपचारिक माफी और आरोपी मंत्रियों को पद से हटाना चाहिए.

आपने संसद में जो प्रस्ताव पेश किया है, उस पर कब तक एक्शन होने की संभावना है?

एक फरवरी से संसद का सत्र शुरू होने जा रहा है. लेकिन हमारी पूरी कोशिश है कि इससे पहले संसद का सत्र बुलाया जाए ताकि जितनी जल्दी हो सके, इस मामले को सुलझाया जा सके.

आपको क्या लगता है कि चीन से राष्ट्रपति मुइज्जू के लौटने के बाद ऐसा हो सकता है?

Advertisement

हां, हम जल्द से जल्द इसकी कोशिश कर रहे हैं. 

आपकी दो मांग है, पहली विदेश मंत्री से स्पष्टीकरण और दूसरा पीएम मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मंत्रियों को उनके पद से हटाना. लेकिन अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कोई तैयारी है?

मुझे नहीं लगता कि इस पर अभी कोई औपचारिक चर्चा हुई है, जिससे महाभियोग का रास्ता निकले. लेकिन कुछ सांसदों और राजनीतिक पार्टियों ने जरूर कहा है कि वे इसकी तैयारी कर रहे हैं. लेकिन हमें निश्चित तौर पर नहीं पता कि इस तरह का कोई औपचारिक कदम उठाया जाएगा या नहीं.

हम जानते हैं कि मुइज्जू सरकार अब डैमेज कंट्रोल में जुटी है लेकिन सरकार या सरकार में बैठे लोग या उनमें से कितने नेता अभी भी 'इंडिया आउट' के लिए चीन की तरफ देख रहे हैं.

सच कहूं तो मैं हैरान नहीं हूं क्योंकि यह एकाध बार होने वाली घटना नहीं थी. यह सत्तारूढ़ पार्टी से किसी का अचानक से दिया गया बयान नहीं था. मुझे लगता है कि सालों से चली आ रही बयानबाजी, भारत विरोधी भावनाएं हैं, जो राजनीतिक लाभ के लिए मालदीव के भीतर बोई जा रही थीं. इसका एक उद्देश्य पूर्व की सत्तारूढ़ एमडीपी पार्टी को नुकसान पहुंचाना भी था.

इस घटना का मालदीव में रह रहे भारतीयों पर कैसा असर पड़ने की संभावना है?

Advertisement

सच कहूं तो मुझे डर है कि इससे मालदीव और भारत दोनों जगह हेट क्राइम की घटनाएं बढ़ सकती हैं. किसी सरकार द्वारा सिस्टेमैटिक तरीके से समाज के भीतर नफरत का बीज बोया जा रहा था. मैं भारत में रह रहे मालदीव के लोगों, इलाज या अन्य कारणों से भारत जा रहे लोगों को लेकर बहुत डरा हुआ हूं. लेकिन इस स्थिति को काबू में किया जा सकता है. इसका रास्ता यही है कि सरकार माफी मांगें और इन मंत्रियों को टर्मिनेट करें. 

आप मौजूदा स्थिति को देखते हुए मालदीव में चीन के रुख को कैसे देखते हैं. भारत के लिए मालदीव एक स्ट्रैटेजिक साझेदार देश है. क्या आपको देश की जियोपॉलिटिक्स में कुछ बदलाव देखने को मिलेगा और क्या ये बदलाव चीन की तरफ झुकाव के रूप में होगा. इससे मालदीव पर कितना असर पड़ेगा क्योंकि हमने श्रीलंका में ऐसा ही होते देखा है.

मुझे लगता है कि हमारे पड़ोसियों से सीखना बहुत अच्छा है, विशेष रूप से हंबनटोटा बंदरगाह के संबंध में श्रीलंका के साथ जो हुआ. सरकार फिलहाल चीन के साथ एमओयू पर साइन करने में व्यस्त है. मुझे लगता है कि सरकार को याद दिलाना जरूरी है कि हम हमारी भोगौलिक स्थिति की वास्तविकता से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए. वास्तविकता यही है कि हमारे आपसी हित भारत के साथ जुड़े हुए हैं. इसे हम नजरअंदाज नहीं कर सकते. लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं है कि हमें चीन से दूरी बना लेनी चाहिए. हम संतुलित रुख बनाकर भी रख सकते हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement