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दुनिया में तेल को लेकर मारामारी, भारत को ऐसे मिला रूस से पक्की दोस्ती का फायदा

भारत की कूटनीति ने उसे सस्ता तेल दिलवा दिया है. आंकड़े बताते हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत ने रूस से सबसे ज्यादा तेल आयात किया है. 384 प्रतिशत अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखने को मिली है. रूसी मीडिया के मुताबिक क्योंकि पश्चिमी देशों ने रूसी तेल पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे, उस वजह से भारत ने भारी डिस्काउंट में तेल आयात कर लिया.

पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (AFP) पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (AFP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 4:35 PM IST

दुनिया में इस समय तेल को लेकर मारामारी का दौर जारी है. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से स्थिति और ज्यादा विस्फोटक बन चुकी है. अमेरिका पहले ही दबाव बना रहा है कि रूस से तेल ना लिया जाए, उसे पूरी तरह आइसोलेट करने की बात हो रही है. लेकिन इस दबाव के बीच भी भारत की कूटनीति ने उसे सस्ता तेल दिलवा दिया है. आंकड़े बताते हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत ने रूस से सबसे ज्यादा तेल आयात किया है. 384 प्रतिशत की अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखने को मिली है.

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आंकड़ों में समझिए भारत की कूटनीति

रूसी मीडिया के मुताबिक क्योंकि पश्चिमी देशों ने रूसी तेल पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे, उस वजह से भारत ने भारी डिस्काउंट में तेल आयात कर लिया. आंकड़े बताते हैं कि इस समय रूस भारत का आयात के मामले में चौथा सबसे बड़ा साझीदार बन गया है. 37.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात भारत कर चुका है. ये साल दर साल के हिसाब से 384 प्रतिशत की बढ़ोतरी है.

इसी तरह भारत द्वारा जिन पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात किया जाता है, उसमें भी उछाल देखने को मिला. 10 महीने की वित्तीय अवधि के दौरान पिछले साल की तुलना में भारत का एक्सपोर्ट 78.58 बिलियन डॉलर रहा. ये पिछले साल 50.77 बिलियन डॉलर था. वैसे तेल आयात के मामले में भारत सरकार ने एक ऐसी कूटनीति अपनाई है जिस वजह से उसे संकट के समय भी सस्ता तेल मिलता रहा. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि भारत तेल आयात के मामले में तीसरा सबसे बड़ा देश है.

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सरकार का कुछ ना कहना बड़ा फैक्टर

पिछले साल विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा था कि सरकार ने ऐसा कभी नहीं कहा कि कंपनियां रूसी तेल ही खरीदें, बल्कि ये कहा था कि बेस्ट तेल लाया जाए. यानी कि सरकार ने कभी भी रूसी तेल के लिए मना नहीं किया, वहीं क्योंकि रूस सस्ता तेल दे रहा था, भारत को इसका सीधा फायदा पहुंचा. रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले जहां भारत रूस से काफी कम तेल खरीदता था, ये आंकड़ा अब 20 फीसदी तक पहुंच चुका है. रूस के सस्ते तेल की वजह से भारतीय तेल रिफाइनरी कंपनी दुनिया भर में मुनाफा कमाने वाली साबित हो रही हैं.

अमेरिका भी भारत के सामने झुका?

बड़ी बात ये भी रही जो अमेरिका रूसी तेल के आयात का विरोध कर रहा था, कुछ दिन पहले ही उसने भी साफ कर दिया कि वो भारत पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाने वाला है. अमेरिकी विदेश विभाग में असिस्टेंट सेक्रेटरी (यूरोपीय और यूरेशियन मामले) केरेन डोनफ्राइड ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम भारत पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाने वाले हैं. भारत के साथ हमारे रिश्ते काफी महत्वपूर्ण हैं. हम भारत के उस कदम का भी स्वागत करते हैं जहां पर उसकी तरफ से यूक्रेन को मानवीय सहायता दी गई थी. जिस तरह से भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की अपील की थी, उस बयान का भी स्वागत किया जाना चाहिए. अब ये बयान इसलिए मायने रखता है क्योंकि युद्ध के बीच रूसी तेल का आयात एक बड़ा मुद्दा बन गया था. अमेरिका क्योंकि रूस को आर्थिक तौर पर पूरी तरह कमजोर करना चाहता था, ऐसे में उसकी तेल सप्लाई पर चोट करना उसका अहम उदेश्य था.

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