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पाकिस्तान में आर्थिक तंगहाली पर भारत ने तोड़ी चुप्पी, मदद के सवाल पर जयशंकर की दो टूक

पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार नौ साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है. आर्थिक तंगहाली से बदहाल पाकिस्तान के ऊपर डिफॉल्ट होने का खतरा मंडरा रहा है. विदेशी मुद्रा का संकट झेल रहे पाकिस्तान पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी टिप्पणी की है.

 भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (फोटो-रॉयटर्स) भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (फोटो-रॉयटर्स)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:20 PM IST

पाकिस्तान में जारी आर्थिक बदहाली पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने टिप्पणी की है. उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान का भविष्य काफी हद तक उसके अपने कार्यों और उसकी पसंद से निर्धारित होता है. विदेश मंत्री ने कहा कि यह पाकिस्तान पर निर्भर करता है कि वह अपनी आर्थिक परेशानियों से कैसे बाहर निकले. 

भारत की ओर से श्रीलंका को दी गई मदद का उल्लेख करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत ने गंभीर आर्थिक संकट में श्रीलंका की मदद की. लेकिन भारत और श्रीलंका के बीच संबंध पाकिस्तान से बिल्कुल अलग हैं.

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आर्थिक संकट एक दिन में नहीं आती: विदेश मंत्री 

घटते विदेशी मुद्रा भंडार, उच्च महंगाई दर और पाकिस्तानी मुद्रा में तेज गिरावट की वजह से पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. इससे उबरने के लिए पाकिस्तान आईएमएफ से बेलआउट पैकेज लेने के लिए उच्च टैक्स दरों को लागू करने के लिए तैयार है.

समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "कोई भी व्यक्ति अचानक और अकारण ही किसी कठिन परिस्थिति में नहीं पहुंचता है. पाकिस्तान के साथ आज हमारा ऐसा कोई संबंध नहीं है कि हम सीधे उस प्रक्रिया (मदद) में शामिल हो सकें. यह हमारे पड़ोसी देश पर निर्भर है कि वे इससे उबरने के लिए कोई रास्ता निकालें." 

उन्होंने यह भी कहा कि मुझे लगता है कि पाकिस्तान का भविष्य काफी हद तक पाकिस्तान के कार्यों और उसकी पसंद से निर्धारित होता है. श्रीलंका से पाकिस्तान की तुलना को नकारते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के साथ भारत के रिश्ते बिल्कुल अलग हैं.  

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भारत पड़ोसियों को मदद करने को तत्परः जयशंकर 

इंटरव्यू के दौरान जयशंकर ने श्रीलंका और पाकिस्तान के प्रति भारतीय लोगों की भावनाओं का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत में सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा है, जिसने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. 

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत मुश्किल परिस्थितियों में अपने पड़ोसियों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहता है. श्रीलंका का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर मैं इसकी तुलना श्रीलंका से करता हूं तो यह एक बहुत ही अलग संबंध है. श्रीलंका के प्रति अभी भी भारत में काफी सहानुभूति है. 

जयशंकर ने आगे कहा कि यह स्वाभाविक है कि पड़ोसियों की चिंताएं भारत के लिए चिंताएं हैं और इससे निपटने में हमें उनकी मदद करनी होगी. लेकिन यह आप भी जानते हैं कि पाकिस्तान को लेकर देश के लोगों की क्या भावनाएं हैं. 

भारत ने श्रीलंका को की थी मदद 

भारत ने पिछले साल गंभीर आर्थिक संकट से निपटने में मदद के लिए श्रीलंका को 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता प्रदान की थी. इसके अलावा भारत ने पिछले महीने भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को श्रीलंका के ऋण पुनर्गठन कार्यक्रम के लिए अपना लेटर ऑफ सपोर्ट दिया है. श्रीलंका के लिए आईएमएफ को लेटर ऑफ सपोर्ट देने वाला भारत पहला देश है.  

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गर्त में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था

कर्ज के जाल फंच चुके पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बदहाल है. सरकारी खजाना खाली हो चुका है. पाकिस्तानी अखबारों के मुताबिक, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 3 अरब डॉलर से भी कम रह गया है. यह राशि 15 दिनों के आयात के लिए ही पर्याप्त है. 

आईएमएफ के एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान 126 अरब अमेरिकी डॉलर के कर्ज में है. इनमें सबसे ज्यादा कर्ज लगभग 30 अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज चीन का है.

 

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