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हमारे परमाणु ठिकाने कहां-कहां हैं? भारत-पाकिस्तान ने एक-दूसरे को क्यों बताई ये बात

पहली जनवरी को भारत और पाकिस्तान ने अपने-अपने परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं की लिस्ट एक-दूसरे से साझा की है. ये लगातार 32वां साल था जब दोनों देशों ने एक-दूसरे को ये लिस्ट सौंपी है. इसमें दोनों देश बताते हैं कि उनके परमाणु प्रतिष्ठान और सुविधाएं कहां-कहां हैं. पर ऐसा क्यों होता है? जानें...

भारत और पाकिस्तान एक समझौते के तहत हर साल परमाणु प्रतिष्ठानों की लिस्ट साझा करते हैं. (फाइल फोटो) भारत और पाकिस्तान एक समझौते के तहत हर साल परमाणु प्रतिष्ठानों की लिस्ट साझा करते हैं. (फाइल फोटो)
गीता मोहन
  • नई दिल्ली,
  • 02 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 8:33 PM IST

भारत और पाकिस्तान ने पहली जनवरी को एक अहम जानकारी साझा की है. ये जानकारी परमाणु प्रतिष्ठानों और संस्थानों से जुड़ी है. हालांकि, ये पहली बार नहीं हुआ है. हर साल की पहली तारीख को दोनों देश एक-दूसरे से परमाणु प्रतिष्ठानों और संस्थानों की जानकारी साझा करते हैं.  

भारत और पाकिस्तान, दोनों ही देशों के विदेश मंत्रालय ने इसे लेकर बयान जारी किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि समझौते के तहत पाकिस्तान ने अपने परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं की लिस्ट साझा की है. 

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पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में स्थित भारतीय उच्चायोग और भारत ने नई दिल्ली में स्थित पाकिस्तान के उच्चायोग के अधिकारी को परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं की लिस्ट सौंपी है.

क्या ये पहली बार हुआ?

नहीं. ऐसा तीन दशकों से होता आ रहा है. दरअसल, दोनों देशों के बीच एक समझौता है, जिसके तहत हर साल पहली तारीख अपने-अपने परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं की लिस्ट एक-दूसरे से साझा करनी होती है.

दोनों देशों के बीच 31 दिसंबर 1988 को एक समझौता हुआ था. ये समझौता 27 जनवरी 1991 को लागू हुआ था. पहली बार 1 जनवरी 1991 को दोनों देशों ने एक-दूसरे से अपने-अपने परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं की लिस्ट साझा की थी.

ये लगातार 32वां साल था, जब दोनों देशों ने एक-दूसरे से ऐसी लिस्ट साझा की है. 1 जनवरी 1992 से हर साल पहली जनवरी को ये लिस्ट साझा की जाती रही है.

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पर ऐसा क्यों?

इस समझौते का असल मकसद ये है कि कोई भी देश एक-दूसरे के परमाणु प्रतिष्ठान या सुविधाओं को ना तो नष्ट करेगा और ना ही नुकसान पहुंचाने के मकसद से हमला करेगा.

परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं में क्या-क्या शामिल होगा? ये भी इस समझौते में लिखा है. इसके तहत परमाणु ऊर्जा पर चलने वाले पावर प्लांट, रिसर्च रिएक्टर्स, फ्यूल फेब्रिकेशन, यूरेनियम एनरिचमेंट, आइसोटोप सेपरेशन के साथ-साथ वो सारे प्रतिष्ठान जहां परमाणु ईंधन का इस्तेमाल हो रहा है या फिर रेडियो-एक्टिव मटैरियल रखा है. 

समझौते के तहत, हर साल की पहली जनवरी को दोनों देश एक-दूसरे को अपने-अपने परमाणु प्रतिष्ठान और सुविधाओं की जानकारी देंगे. अगर कोई बदलाव हुआ है तो उसकी जानकारी भी देंगे.

दोनों देशों के पास कितने परमाणु हथियार?

इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है. क्योंकि कोई भी देश ये नहीं बताता कि उसके पास कितने परमाणु हथियार हैं.

हालांकि, फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट का अनुमान है कि दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार अमेरिका और रूस के पास हैं. 

इसके मुताबिक, भारत के पास 160 परमाणु हथियार हैं, जबकि पाकिस्तान के पास 165 हैं. चीन के पास 350 परमाणु हथियार हैं.

दोनों देशों की क्या है परमाणु नीति?

भारत ने पहली बार 18 मई 1974 को राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था. उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं. हालांकि, ये परीक्षण सफल नहीं हो पाया था.

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इसके बाद जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी तो 11 से 13 मई 1998 के बीच पोखरण में एक बार फिर परमाणु परीक्षण हुआ. इस दौरान पांच परमाणु परीक्षण किए गए. 

अमेरिका और चीन समेत दुनिया के कई देशों ने इस पर आपत्ति जताई. 13 मई 1998 को भारत परमाणु संपन्न देश बना. अमेरिका ने भारत पर कई प्रतिबंध लगा दिए. विपक्षी पार्टियों ने भी घेरना शुरू कर दिया.

इस पर संसद में तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जवाब देते हुए कहा, 'क्या आत्मरक्षा की तैयारी तभी होगी, जब खतरा होगा. अगर तैयारी पहले से हो तो आने वाले खतरे का खतरा भी दूर हो जाएगा.'

भारत ने साल 1999 में अपनी 'नो फर्स्ट यूज' की परमाणु नीति का ऐलान किया. इसके मुताबिक, भारत कभी भी परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल नहीं करेगा. भारत केवल परमाणु हमला होने की स्थिति में ही अपने हथियारों का इस्तेमाल करेगा.

जबकि, पाकिस्तान की ऐसी कोई नीति नहीं है. ये सिर्फ पाकिस्तान पर ही निर्भर करता है कि उन्हें कब और किस स्थिति में परमाणु हमला करना है. पाकिस्तान अक्सर परमाणु हमले की धमकी देता रहता है.

 

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