
रूस में मानवाधिकार के मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) की बैठक में उसके खिलाफ एक प्रस्ताव लाया गया. नाटो से जुड़े तमाम देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया. हालांकि भारत ने इस प्रस्ताव पर वोटिंग से दूरी बना ली. इससे पहले यूएनएचआरसी में चीन के खिलाफ भी उइगर मुसलमानों को लेकर प्रस्ताव लाया गया था, जिससे भारत दूर रहा था. तब विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि वह हमेशा से ही 'Country-Specific Resolutions' पर विश्वास नहीं रखता है. इसके स्थान पर वह हमेशा सिर्फ बातचीत के जरिए समाधान पर जोर देता है.
5 देशों ने किया प्रस्ताव का विरोध
UNHRC में रूस के भीतर मानवाधिकार की स्थिति को लेकर एक प्रस्ताव लाया गया था. इस प्रस्ताव पर चीन के अलावा बोलिविया, क्यूबा, कजाकिस्तान और वेनेजुएला समेत 6 देशों ने विरोध में वोट किया. जबकि भारत के साथ-साथ अर्मेनिया, ब्राजील, इंडोनेशिया, लीबिया, मलेशिया, मेक्सिको, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), उज्बेकिस्तान, नेपाल, सूडान, कतर और पाकिस्तन ने खुद को वोटिंग से दूर रखा.
नाटो देशों ने किया प्रस्ताव का समर्थन
रूस के यूक्रेन पर हमले को लेकर अमेरिका और नाटो (NATO) देशों के बीच ठनी हुई है. ऐसे में अर्जेंटीना, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, जापान, लक्जमबर्ग, यूक्रेन, नीदरलैंड, पोलैंड, कोरिया, यूक्रेन, ग्रेट ब्रिटेन और अमेरिका समेत कई देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग की है.
चीन के खिलाफ प्रस्ताव से भी भारत रहा दूर
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में गुरुवार को चीन के खिलाफ एक प्रस्ताव लाया गया था. चीन के उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार को लेकर पश्चिमी देशों ने ये प्रस्ताव तैयार किया था. हालांकि इस प्रस्ताव को पर्याप्त वोट नहीं मिले इसलिए ये गिर गया, लेकिन बड़ी बात ये रही कि भारत ने इससे जुड़ी वोटिंग प्रक्रिया में ही हिस्सा नहीं लिया. तब उसके साथ कुछ दूसरे देशों ने भी वोटिंग से दूरी बना ली थी. बाद में विदेश मंत्रालय ने एक जारी बयान में साफ किया था कि भारत कभी भी 'Country-Specific Resolutions' में विश्वास नहीं जताता है. वह हमेशा से मानवाधिकारों का सम्मान करता है. ऐसे में भारत UNHRC में अपने पुराने रुख पर कायम रहा और इस मुद्दे पर वोट देने से दूरी बना ली.