
हाल ही में अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने दावा किया है कि यूक्रेन से जंग लड़ रहे रूस को चीन हथियार के साथ-साथ गोला-बारूद देने पर भी विचार कर रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्री ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा है कि चीन पहले से ही रूस को कई तरीकों से सपोर्ट कर रहा है. अब वह लीथल सपोर्ट (हथियार सामग्री) देने पर भी विचार कर रहा है.
दो शक्तिशाली देशों को साथ आने की संभावनाओं को देखते हुए अमेरिका ने चीन को चेतावनी दी है कि अगर ऐसा होता है तो चीन को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
विश्लेषकों का कहना है कि अगर चीन इस मुश्किल परिस्थिति में रूस को हथियार सप्लाई कर देता है. जैसा कि अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा है तो रूस की करीबी चीन से और बढ़ जाएगी. कई लोग ये भी सवाल उठाने लगे हैं कि क्या रूस अब भारत के मुकाबले चीन के ज्यादा करीब हो रहा है?
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
इस पर भारतीय-अमेरिकी मूल के प्रोफेसर और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार प्रोफेसर मोहम्मद अब्दुल मुक्तदर खान का कहना है कि अगर इस मुश्किल परिस्थिति में चीन रूस को हथियार सप्लाई कर देता है, तो यह संभव है कि रूस भारत से ज्यादा चीन को अपना हितैषी माने.
एक इंटरव्यू वीडियो में प्रोफेसर मुक्तदर कहते हैं कि चीन की एक कंपनी पहले से ही यूक्रेन में घटित हो रही सारी घटनाओं का रियल टाइम डेटा और सेटेलाइट फोटो रूस के साथ शेयर कर रही थी जिस पर अमेरिका ने बैन लगा दिया है.
प्रोफेसर ने आगे कहा, "इसके अलावा चीन ने रूस के पक्ष में एक और सोसा छोड़ा है. रूस-यूक्रेन युद्ध के एक साल पूरे होने पर चीन एक 'पीस प्लान' जारी करेगा. इसके लिए वह फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन से भी बातचीत कर रहा है.
इस पीस प्लान का मकसद यह हो सकता है कि ग्लोबली यह संदेश जाए कि यह युद्ध रूस के कारण नहीं बल्कि पश्चिमी देशों के कारण हो रहा है. इससे पश्चिमी देशों में यूक्रेन के विरोध में आवाज उठने की संभावना है."
चीन और रूस के बीच व्यापार रिकॉर्ड स्तर पर
अब्दुल मुक्तदर खान ने आगे कहा कि यह सच है कि इस साल रूस के साथ भारत का व्यापार रिकॉर्ड स्तर पर हुआ है. रूस भारत का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश बन चुका है. लेकिन दूसरी तरफ चीन और रूस के बीच व्यापार 190 अरब डॉलर है. जो भारत के कुल व्यापार का लगभग 6 गुना है.
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार मुक्तदर खान ने कहा, "रूस के अच्छे सहयोगी देश के रूप में चीन और भारत के बीच सीधी टक्कर है. लेकिन अगर चीन किसी भी तरह इस समय रूस को हथियार पहुंचा देता है, तो रूस के लिए यह स्पष्ट हो जाएगा कि इस मुश्किल परिस्थिति में चीन भारत से बेहतर दोस्त है."
उन्होंने आगे कहा, "वहीं दूसरी तरफ अगर भारत पश्चिमी देशों की ओर से लाए गए पीस प्लान की आवाज बनता है तो भारत पश्चिमी देशों की ओर से रूस के साथ बातचीत करेगा. जबकि चीन पश्चिमी देशों के साथ नहीं होगा. ऐसे में चीन का डिप्लोमेटिक पोजिशन भारत से बेहतर रहेगा."
भारत के तटस्थ रुख पर क्या कहा?
रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की ओर से तटस्थ रुख अपनाए जाने पर प्रोफेसर खान ने कहा कि भारत के लिए यह काफी क्रिटिकल समय है. क्योंकि हाल ही में जारी डेटा के अनुसार, साल 2022 अमेरिका-चीन के लिए अब तक का सबसे बेहतर व्यापारिक साल रहा है. दोनों देशों के बीच इस साल 690 अरब डॉलर का व्यापार हुआ है. ऐसे में भारत ट्रेड रिस्क नहीं लेना चाहता है.
इसके अलावा रूस और ईरान के बीच भी हथियार को लेकर बातचीत जारी है. रूस, ईरान को SU-35 देगा. इसके बदले ईरान रूस को ड्रोन्स देगा. ऐसे में रूस-चीन-ईरान का एक समूह बन रहा है जो पश्चिमी देशों के खिलाफ है. ऐसे में भारत पर तो सवाल उठेगा ही कि आप खुद को रूस का एक अच्छा दोस्त बताते हैं, आपकी पोजिशन क्या है?
'भारत को अमेरिका से सतर्क रहने की जरूरत'
भारत के प्रति अमेरिका के नर्म रुख पर उन्होंने कहा कि भारत को अमेरिका से सतर्क रहने की जरूरत है. अभी भारत तटस्थ है इसलिए अमेरिका भारत को शुगर कोट (ऊपर से मीठी-मीठी बातें) करते रहता है और ट्रेड से लेकर रूस के मामलों पर बर्दाश्त कर रहा है. लेकिन जिस दिन भारत अमेरिका के पक्ष में झुकेगा, अमेरिका भारत पर रौब जमाना शुरू कर देगा. क्योंकि अमेरिका ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के साथ ऐसा कर चुका है.