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प्लास्टिक प्रदूषण खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध भारत, UN ने की तारीफ

वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के अनुसार भारत में सालाना 56 लाख टन प्लास्टिक कूड़ा बनता है. दुनियाभर में जितना कूड़ा सालाना समुद्र में डम्प किया जाता है उसका 60 प्रतिशत भारत डम्प करता है और भारतीय रोजाना 15000 टन प्लास्टिक कचरें में फेंक देते हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
अनुग्रह मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 03 जून 2018,
  • अपडेटेड 3:18 PM IST

विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाएगा जिसकी मेजबानी इस वर्ष भारत कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत की तारीफ करते हुए कहा है कि पर्यावरण प्रदूषण संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए भारत ने जो नई पद्धति एवं कार्यप्रणाली अपनाई है वह सराहनीय है. बता दें कि प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए भारत सरकार काफी लम्बे समय से कदम उठाती आ रही है.

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संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम के डिवीजन ऑफ कम्युनिकेशन्स एंड पब्लिक इन्फॉर्मेशन्स के निर्देशक नायसन सहबा ने कहा कि भारत पर्यावरण प्रदूषण के मुद्दों से निपटने के मामले में बेहद जागरूक एवं कार्यशील है, इसके साथ-साथ उन्होंने भारत की ओर से इस चुनौती से पार पाने के लिए उठाए गए नवोन्मेषी कदमों की तारीफ भी की.

प्लास्टिक प्रदूषण चिंता का कारण

वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के अनुसार भारत में सालाना 56 लाख टन प्लास्टिक कूड़ा पैदा होता है. दुनियाभर में जितना कूड़ा सालाना समुद्र में डम्प किया जाता है उसका 60 प्रतिशत भारत डम्प करता है और भारतीय रोजाना 15000 टन प्लास्टिक कचरें में फेंक देते हैं. प्लास्टिक प्रदूषण के कारण पानी में रहने वाले करोड़ों जीव-जन्तुओं की जान जाती है, यह धरती के लिए काफी हानिकारक है.

ये भी पढ़ें: विश्व पर्यावरण दिवस पर लगाये गए 200 साल पुराने विलुप्त हुए पौधे 

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क्या-क्या कदम उठाये जाने चाहिए

कोका-कोला, इनफोसिस और हिलटन जैसी और भी बड़ी-बड़ी कंपनियों ने प्लास्टिक प्रदूषण में कमी लाने में मदद करने की शपथ ली है. री-यूज, री-साइकिल, रिड्यूज, इन तीन तरीकों को अपनाकर प्लास्टिक प्रदूषण में भारी कमी लाई जा सकती है. भारत सरकार ने कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्लास्टिक प्रदूषण रोकने के लिए प्लास्टिक केरी बैग्स पर पूरी तरह पहले से ही रोक लगा रखी है.

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