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श्रीलंका के विदेश मंत्री बोले- भारत है हमारा असली दोस्त, चीन नहीं

विदेश मंत्री सरत अमूनगामा ने साफ कर दिया कि श्रीलंका की पहली प्राथमिकता भारत है न कि चीन. जहां तक निवेश की बात है, तो श्रीलंका में चीन से ज्यादा पैसा जापान का लगा है, इसलिए श्रीलंका में उसके दबदबे की बात बेमानी है.

श्रीलंका के विदेश मंत्री सरत अमूनगामा (फोटो-इंडिया टुडे) श्रीलंका के विदेश मंत्री सरत अमूनगामा (फोटो-इंडिया टुडे)
रविकांत सिंह/गीता मोहन
  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 3:14 PM IST

श्रीलंका के विदेश मंत्री ने उन अटकलों को खारिज कर दिया है जिसमें चीन के साथ बेहतर होते उसके रिश्ते को लेकर आशंकाएं जताई गई हैं. यह भी कहा जा रहा है कि श्रीलंका और चीन की दोस्ती भारत के रणनीतिक और सामरिक संबंधों पर गहरा प्रभाव डाल सकती है. ऐसी मीडिया रिपोर्ट आई हैं जिसमें कहा गया है कि चीनी पनडुब्बी श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर डेरा डालेंगी जिससे भारत की सुरक्षा पर खतरे के बादल मंडरा सकते हैं.

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विदेश मंत्री सरत अमूनगामा ने 'इंडिया टुडे' से खास बातचीत में कहा कि श्रीलंका के लिए भारत हमेशा 'पहली प्राथमिकता' बना रहेगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि 'श्रीलंका किसी अन्य देश के सैन्य और रणनीतिक हितों के लिए खुद को घसीटा जाना पसंद नहीं करता' और श्रीलंका हर हाल में अपनी 'संप्रुभता की रक्षा' करेगा.

अमूनगामा ने हंबनटोटा पोर्ट के बारे में भी बात की जिसे एक चीनी कंपनी को ठेके पर दिया गया है. उन्होंने इसे पूरी तरह से श्रीलंका का मामला बताया न कि चीन का. अमूनगामा ने कहा, 'यहां (हंबनटोटा) कोई चीनी पनडुब्बी खड़ी नहीं होगी...हम चीन से लोन लेते हैं इसका मतलब यह नहीं है कि हम उसका रणनीतिक हित साधने का जरिया बनेंगे.'

अमूनगामा ने हाल में बीते सियासी उठापटक के बारे में भी बात की. राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना की ओर से रानिल विक्रमसिंघे को हटाया जाना और महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री बनाए जाने की घटना को काफी गंभीरता से देखा जा रहा है. बहुत जल्द श्रीलंकाई संसद का सत्र आहूत होगा और विश्वासमत के लिए वोटिंग होगी. हालांकि इसकी तारीख अभी तय नहीं हुई है. अमूनगामा ने कई मुद्दों पर 'इंडिया टुडे' से बात की. प्रस्तुत हैं इसके कुछ खास अंश.

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श्रीलंका और विदेश नीति

भारत और श्रीलंका में काफी गहरे रिश्ते हैं. विदेश नीति के स्तर पर भारत और श्रीलंका में काफी गहरी दोस्ती है. कुछ मतभेद हो सकते हैं लेकिन संबंधों पर इसका असर नहीं पड़ेगा.

श्रीलंका में राजनीतिक संकट

सार्क देशों में श्रीलंका ही अकेला देश है जिसका अपने पड़ोसियों से कोई मनमुटाव नहीं है. अगर है भी तो पड़ोसी देशों से बातचीत जारी है. सार्क क्षेत्र के सभी देशों के लिए श्रीलंका एक मिटिंग प्वाइंट की तरह काम करता है.

संसद सत्र कब तक

अमूनगामा ने कहा, 14 नवंबर को संसद सत्र बुलाया जाएगा. उससे पहले 5 नवंबर को बजट पेश किया जाना है. राष्ट्रपति के पास यह अधिकार है कि वह संसद को 2 महीने तक स्थगित रखे. अगर राष्ट्रपति को ट्रस्ट वोट का डर होता तो वे सत्र नहीं बुलाते और संसद बंद रखते लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.

भारत को मिलेगा ईस्ट पोर्ट?

ईस्ट पोर्ट श्रीलंका के लिए काफी अहम है क्योंकि यहां सबसे ज्यादा ट्रैफिक है और भारत के लिए अधिकांश जहाज यही से चलते हैं. भारत भी अपने पोर्ट विकसित कर रहा है इसलिए हमें भविष्य को देखते हुए अपने पोर्ट भी बनाने होंगे. ईस्ट पोर्ट के तीन हिस्से बनाए जा चुके हैं. बाकी के दो हिस्से निर्माणाधीन हैं.

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ईस्ट पोर्ट का पश्चिमी हिस्सा बनाने में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिलचस्पी दिखाई है, जबकि श्रीलंका पूर्वी हिस्सा बनाएगा. निष्कासित प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के लिए यह जरूरी नहीं था कि वे किसी दूसरे देश में जाकर इसके निर्माण का आश्वासन देते. यह काम का तरीका नहीं है. पोर्ट का निर्माण संसद तय करती है. इस पर बात चल रही थी लेकिन किसी देश के साथ करार नहीं हुआ था.

श्रीलंका में चीन का पैसा

भारत और चीन को एक दूसरे के खिलाफ भड़काने की कई कोशिशें हो रही हैं. श्रीलंका को अपना इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना है. इसके लिए हम इंटरनेशनल मोनेटरी फंड और एशियन डवलेपमेंट बैंक गए. आज का फॉर्मूला यही है कि विकासशिल देश पहले अपने इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करें. गरीबी से उबरने का यही तरीका है. इसके लिए पैसे की जरूरत है. श्रीलंकाई इंफ्रास्ट्रक्चर में पूरी तरह चीन का पैसा नहीं लगा है. चीन से भी ज्यादा पैसा जापान का लगा है.

श्रीलंका के रणनीतिक संबंध

श्रीलंका का चीन के साथ आर्थिक संबंध है और भारत के साथ भी मजबूत संबंध बनाने की कोशिश है. श्रीलंका की पहली प्राथमिकता हमेशा भारत रहा है. हम खुद को किसी दूसरे देश के रणनीतिक संबंध में नहीं घसीटा जाना चाहते. किसी अन्य देश को श्रीलंका की संप्रभुता में दखल नहीं देनी चाहिए. भारत इस बात की कद्र करता है, इसलिए उसे धन्यवाद. कुछ मतभेद हो सकते हैं लेकिन हमारे संबंध मजबूत हैं.   

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