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भारत खत्म करवा देगा रूस और यूक्रेन का युद्ध? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध लगातार जारी है और फिलहाल इसके खत्म होने के कोई संकेत भी नजर नहीं आ रहे हैं. इस युद्ध में भारत अभी तक किसी भी एक पक्ष में नहीं है. भारत इस जंग को जहां शांति और वार्ता के जरिए खत्म करने की अपील कर रहा है तो वहीं पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद रूस के साथ कारोबार भी कर रहा है. भारत के दोनों पक्षों से अच्छे संबंधों को देखते हुए ही कहा जा रहा है कि भारत इस मामले की मध्यस्थता में सक्षम है.

फोटो- नरेंद्र मोदी (Reuters) फोटो- नरेंद्र मोदी (Reuters)
शोएब राणा
  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:05 AM IST

रूस और यूक्रेन युद्ध में भारत ने अभी तक किसी भी एक पक्ष नहीं रहा है. भारत ने लगातार शांति और वार्ता के जरिए ही इस जंग को खत्म करने की वकालत की है. खास बात है कि भारत एक ऐसा देश है जिसके दोनों पक्षों के साथ संबंध भी बने हुए हैं. जहां भारत के रूस के साथ अच्छे रिश्ते हैं तो वहीं यूक्रेन और उसकी मदद कर रहे पश्चिमी देशों के साथ भारत के संबंध मधुर हैं. 

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अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी भारत ने अपनी विदेश नीति को इसी तरह से पेश भी किया. भारत ने यूक्रेन और रूस के युद्ध को हमेशा कूटनीति के जरिए सुलझाने की सलाह दी. वहीं वैश्विक मंचों पर रूस के खिलाफ किसी प्रस्ताव पर वोटिंग की बारी आई तो भारत ने उस प्रक्रिया से खुद को अलग कर लिया. रूस से खासतौर पर तेल समेत अन्य व्यापार भी भारत ने जारी रखे. 

अमेरिका समेत अन्य पश्चिमी देशों ने इसका विरोध भी किया तो भारत ने साफ कर दिया कि जहां भारतीय नागरिकों को फायदा होगा, भारत वहीं से डील करेगा. दूसरी ओर भारत ने यूक्रेन को मानवीय मदद पहुंचाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी. समय-समय पर भारत और यूक्रेन के शीर्ष नेताओं के बीच टेलीफोन के जरिए वहां के हालात पर चर्चा भी हुई. 

'यह युद्ध का दौर नहीं है' हर जगह गूंजी पीएम मोदी की सलाह

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भारत की इस तटस्थ लेकिन मददगार भूमिका को देखकर ऐसी चर्चा होने लगी कि भारत ही ऐसा देश है जो इस युद्ध को रुकवा सकता है. पीएम मोदी ने जब पुतिन से कहा कि यह युद्ध का दौर नहीं है तो वैश्विक मंच पर इसे भारत का एक बड़े संदेश के रूप में देखा गया. 

हाल ही में एक न्यूज चैनल को इंटरव्यू देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत की विदेश नीति दूसरों की जरूरतों को पूरा करने के लिए नहीं है. भारत पहले अपने नागरिकों का हित देखता है. एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों के संदर्भ में कहा कि कई बार हमें उनके हिसाब से रहना पड़ा, अब उन्हें भी भारतीय विदेश नीति के अनुसार रहना सीखना होगा. 

एससीओ मीटिंग से जी-20 समिट तक, भारत ने दोहराई एक ही बात
सितंबर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) मीटिंग के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात हुई थी. वार्ता के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यह दौर युद्ध का नहीं है जिस पर पुतिन ने कहा था कि रूस भी जंग नहीं चाहता है.

भारत की ओर से यही बात जी 20 समिट में भी दोहराई गई जिसे अधिकतर सदस्यों का समर्थन भी मिला. सभी देशों के संयुक्त बयान में भी यही बात कही गई. पीएम मोदी ने समिट के दौरान संबोधन में कहा कि युद्ध को शांत करने के लिए हमें कूटनीति और शांति का रास्ता ढूंढना होगा.

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नई दिल्ली में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सदस्य विवेक मिश्रा ने 'अलजजीरा' से बात करते हुए कहा कि यूक्रेन युद्ध मामले में पिछले 10 महीनों में भारत की ओर से मध्यस्थता की पेशकश को लेकर चर्चा बढ़ गई है. इससे यह और साफ हो गया कि भारत रूस से इशारों में कह रहा है कि यह युद्ध को खत्म करने का समय है. साथ ही अगले साल जी-20 में भारत के पास अध्यक्षता रहेगी जिससे इस युद्ध को सुलझाने में भारत की भूमिका को वैश्विक मंच पर प्रमुखता मिलेगी.

दरअसल, भारत साल 2023 में दिल्ली में होने जा रही जी-20 बैठक में अध्यक्षता करेगा. ऐसे में जर्मन काउंसिल में विदेश संबंधों के जानकार जॉन जोसफ विल्किंस ने कहा कि नई जिम्मेदारी के साथ भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखने पर फोकस रखेगा. 

जॉन ने कहा कि भारत की वैश्विक शक्तियों के साथ हमेशा संतुलन बनाकर चलने की परंपरा रही है. लेकिन पिछले कुछ सालों में भारत अपनी विदेश नीति के जरिए अपने दम पर विचारों के साथ आगे बढ़ा है. यह दर्शाता है कि वैश्विक स्तर पर भारत का प्रभाव आने वाले समय में और बढ़ेगा. 

यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध को क्या शांत कर पाएगा भारत ? 
यूक्रेन युद्ध में अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई पश्चिमी देश रूस की हार देखना चाहते हैं. यही वजह है कि वह लगातार रूस पर जुबानी हमले और पुतिन को चेतावनी दे रहे हैं. भारत जो रूस के साथ कई क्षेत्र में कारोबार कर रहा है, अमेरिका और ब्रिटेन के साथ भी अपनी कारोबारी साझेदारी आगे बढ़ा है. हाल ही में ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भारत के साथ फ्री ट्रेड डील को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई है. 

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वहीं पिछले कुछ समय में अमेरिका से भी भारत सुरक्षा समेत कई मुद्दों पर अहम बातचीत कर रहा है. हाल ही में अमेरिका ने भारत को अपना वैश्विक सहयोगी बताया था. अमेरिका यह कहता आया है कि इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा बनाए रखने में भारत उसका प्रमुख सहयोगी है. रूस और यूक्रेन, दोनों पक्ष के सहयोगियों से भारत के ठीक संबंध ही, इस चर्चा को आगे बढ़ाते हैं कि भारत इस युद्ध में शांति स्थापित करने में मदद कर सकता है. 

कुछ भू-राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है कि यक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका बढ़ी है. हालांकि, एक्सपर्ट विवेक मिश्रा इस बात से ताल्लुक नहीं रखते हैं. मिश्रा का मनाना है कि ऐसा कहना भारत की अभी तक की उपलब्धियों को नीचा कर रहा है. विवेक मिश्रा ने कहा कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है. जल्द ही भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़ देगा. 

मिश्रा ने कहा कि भारत इस ओर युद्ध शुरू होने से पहले ही बढ़ रहा है. यानी भारत के अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मजबूत होने का कारण सिर्फ यूक्रेन युद्ध ही नहीं है, उससे पहले से ही भारत अपनी मजबूती को बढ़ाता आ रहा है. 

हालांकि, विवेक मिश्रा ने यह जरूर माना कि यूक्रेन युद्ध की वजह से भारत स्पॉटलाइट में आया है. सबसे खास है, भारत का दोनों पक्षों से संबंध होना और भूमिका को तटस्थ बनाए रखना. विवेक मिश्रा ने कहा कि उन्हें लगता है कि इस नजरिए से भारत की भूमिका आगे जाकर जरूर बढ़ सकती है.

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अभी युद्ध रुकने का नहीं नजर आ रहा कोई संकेत

विवेक मिश्रा ने 'अलजजीरा' से आगे कहा कि इस युद्ध का थमने का फिलहाल कोई संकेत नहीं नजर आ रहा है. हालांकि इस जंग को शांति से खत्म करने की कोशिशें जरूर बढ़ गई हैं. अब जब भारत जी-20 का अध्यक्ष होगा तो पश्चिमी देश यह कोशिश कर सकते हैं कि युद्ध को रोकने लिए भारत से बड़ी भूमिका निभाने के लिए कहा जाए. 

विकेक मिश्रा ने कहा कि अगर दोनों पक्ष शांति का रास्ता अपना लें और यूक्रेन बैठकर बात करने के लिए राजी हो जाए तो पश्चिमी देश चाहेंगे कि भारत रूस से बात करे जिससे रूस यूक्रेन के साथ बैठकर मामला सुलझाने की कोशिश करे. विवेक मिश्रा ने आगे कहा कि फिलहाल भारत दोनों पक्षों के बीच एक पुल (ब्रिज) का का काम कर रहा है. साथ ही ऐसी स्थिति में भी है कि इस युद्ध को खात्मे की ओर ला सके. 

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