
भारत ने तालिबान के राजनयिकों को ट्रेनिंग देने के लिए एक पाठ्यक्रम समझौते पर हस्ताक्षर किया है. 'Immersing With Indian Thoughts' नामक इस पाठ्यक्रम समझौते पर भारत और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालयों ने सहमति जताई है. समझौते के मुताबिक, भारत अफगानिस्तान के राजदूतों और राजनयिक कर्मचारियों को ऑनलाइन ट्रेनिंग देगा.
काबुल स्थित भारतीय दूतावास ने समझौते पर हस्ताक्षर किया है जिसमें कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर लक्ष्यों को हासिल करने के लिए यह पाठ्यक्रम समझौता किया जा रहा है. इस समझौते के तहत तालिबान के राजनयिकों और उच्च रैंक के अधिकारियों को काबूल स्थित अफगान इंस्टिट्यूट ऑफ डिप्लोमेसी में
ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जाएगी. यह ट्रेनिंग इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ कोझिकोड की तरफ से दी जाएगी.
आईआईएम कोझिकोड ने एक ट्वीट में कहा है कि इस कोर्स से प्रतिभागियों को भारत के कारोबारी माहौल, सास्कृतिक विरासत और रेगुलेटरी इकोसिस्टम की समझ मिलेगी. Immersing With Indian Thoughts नामक इस अल्पकालीन पाठ्यक्रम की शुरुआत 14 मार्च से की जाएगी और 17 मार्च को इसका समापन हो जाएगा.
अफगान पत्रकार ने बताया 'हड़बड़ी' वाला पाठ्यक्रम
अफगानिस्तान के पत्रकार बिलाल सर्वरी ने इस पहल को लेकर अपने एक ट्वीट में लिखा है, 'भारत सरकार ने तालिबान के लिए विशेष पाठ्यक्रम बनाया है- Immersing With Indian Thoughts. 14-17 मार्च 2023 तक यह चलेगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि शासन में सुधार के लिए तालिबान के अधिकारियों पर इस पाठ्यक्रम का कितना प्रभाव पड़ेगा.'
साथ ही बिलाल ने कहा है कि अफगानिस्तान में एक संतुलित और ठोस नीतिगत ढांचे की जरूरत है न कि अल्पकालीन कोर्स की. उन्होंने लिखा, 'तालिबान शासित अफगानिस्तान में प्रभाव बढ़ाने के लिए एक संतुलित और ठोस नीतिगत ढांचे की जरूरत है, न कि अल्पकालिक हड़बड़ी वाले पाठ्यक्रम की. करीब 3,000 अफगान छात्र अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं. उनकी मदद की जानी चाहिए.'
भारत ने तालिबान के रक्षा मंत्रालय के साथ इससे पहले भी एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था. इस समझौते में कहा गया कि भारत तलिबान सेना के कैडेटों को सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण देगा. समझौते के तहत, तालिबान सेना का पहला बैच पास आउट हो गया है और दूसरे बैच को फिलहाल प्रशिक्षित किया जा रहा है.