
इराक में 39 भारतीय वर्ष 2014 से लापता हैं. तमाम कोशिशों के बावजूद अभी तक उनका कोई सुराग नहीं मिल सका है. इंडिया टुडे नेटवर्क ने इन 39 भारतीयों की तलाश में शुरू की गई अपनी स्वतंत्र जांच का दायरा इराक से लेकर सीरिया के युद्धग्रस्त क्षेत्रों तक बढ़ा दिया है.
तीन महीने पहले ही इंडिया टुडे नेटवर्क इराक के मोसुल शहर के बडूश जेल में पहुंचा था. माना जाता था कि आतंकी संगठन ISIS ने अगवा किए गए 39 भारतीयों को यहीं बंधक बना कर रखा था. इंडिया टुडे ने वहां देखा कि जेल वाली जगह मलबे के सिवा कुछ और नहीं बचा था. वहां तो क्या आसपास भी कहीं इनसानों के रहने की कोई संभावना नहीं दिखी.
इंडिया टुडे के इस हैरान करने वाले खुलासे के बाद भारत और इराक ने सरकारी स्तर पर लापता 39 भारतीयों का पता लगाने के लिए प्रयास तेज किए. इसको लेकर विपक्ष ने भी मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा था और मामले में सुषमा स्वराज को संसद में सफाई देनी पड़ी थी.
इसी हफ्ते, विदेश राज्य मंत्री जनरल (रिटायर्ड) वीके सिंह लापता भारतीयों को ढूंढने के मिशन के तहत बगदाद पहुंचे. सिंह अपने साथ लापता भारतीयों के कुछ रिश्तेदारों के डीएनए सेम्पल भी अपने साथ बगदाद ले गए हैं. बगदाद में सिंह ने इंडिया टुडे को बताया कि संभावित पहचान के लिए अभी और सेम्पल एकत्र किए जा रहे हैं.
सिंह ने कहा, ‘इराकी सरकार ने अपनी जांच और रिकॉर्ड्स के लिए डीएनए नमूने मांगे हैं. पहचान की प्रक्रिया के लिए इनकी जरूरत है.’ इस बीच इंडिया टुडे के रिपोर्टर्स अपनी स्वतंत्र जांच के तहत इस समूचे अशांत क्षेत्र में जगह-जगह जा कर लापता 39 भारतीयों का सुराग ढूंढने में जुटे हैं. इसके लिए इराक में युद्ध से तबाह हो चुके एक शहर से ले कर दूसरे शहर छाना जा रहा है. यही नहीं स्वतंत्र जांच का यह दायरा युद्ध की विभीषिका में तबाह हो चुके सीरिया तक फैला है.
बता दें कि ISIS का प्रभाव अब इराक की सीमा से लगते सीरिया के कुछ शहरों तक ही रह गया है. दमिश्क में सीरिया शासन की तरफ से बताया गया कि उनके पास 2014 के मध्य में इराक से अगवा किए गए भारतीयों के बारे में कोई सूचना नहीं है.
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद की सलाहकार डॉ बोउथाना शबान ने कहा, ‘मेरे पास कोई सूचना नहीं है. अगर उन्हें मोसुल से अगवा किया गया था, तो इराकी सरकार को इस बारे में कुछ पता होगा. अगर ISIS की ओर से उन्हें लाया (सीरिया में) गया होगा तो रक्का ले जाया गया होगा, हमारे पास नहीं, सीरिया सरकार के पास नहीं लाया गया होगा.’
इंडिया टुडे रिपोर्टर ने सीरिया के तबाह हो चुके कस्बों, खंडहर बन चुके इमारतों के ढांचों से होते हुए अलेप्पो शहर का रुख किया. अलेप्पो को कभी सीरिया की कारोबारी राजधानी माना जाता था. रिपोर्टर की कोशिश यही रही कि कहीं से भी 39 लापता भारतीयों के बारे में कोई सुराग मिल जाए.
अलेप्पो में सैनिकों से बात की गई. इसके अलावा लेबनानी संगठन हिजबोल्लाह के झंडे तले बैठे लड़ाकों से भी पता लगाने की कोशिश की गई. लेकिन किसी के पास भी अगवा भारतीयों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. ISIS से पिछले तमाम वर्षों में लड़ते रहे एक अधेड़ शख्स ने अरबी में कहा, ‘नहीं, हमारे पास कोई जानकारी नहीं है.’
कहीं से कोई जानकारी अब तक नहीं मिलने के बावजूद 39 भारतीयों का पता लगाने के हौसले में कोई कमी नहीं आई है. सर्च मिशन जारी है....और जारी रहेगा जब तक 39 भारतीयों के साथ क्या हुआ, ये हकीकत सामने नहीं आ जाती.