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हार्वर्ड में भारतवंशी छात्रा ने लगा दी यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट की क्लास, जानें- इजरायल-हमास जंग से क्या है कनेक्शन?

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने वालीं भारतीय मूल की श्रुति कुमार को अपनी स्पीच के लिए स्टैंडिंग ओवेशन मिला. उन्होंने 13 छात्रों को ग्रेजुएशन डिग्री रोकने के विरोध में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के मैनेजमेंट की क्लास लगा दी थी. उनकी स्पीच के बाद हजार से ज्यादा छात्रों ने इस कार्यक्रम का बायकॉट कर दिया.

श्रुति कुमार. श्रुति कुमार.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 मई 2024,
  • अपडेटेड 8:58 PM IST

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने वालीं भारतीय मूल की छात्रा श्रुति कुमार ने मैनेजमेंट की जमकर क्लास लगा दी. कमेंसमेंट सेरेमनी के दौरान उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के मैनेजमेंट के खिलाफ जमकर बोला. 

दरअसल, हाल ही में अमेरिका की कई यूनिवर्सिटीज में फिलीस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन हुए थे. हार्वर्ड में ऐसे प्रदर्शन बहुत देखने को मिले थे. इसके बाद यूनिवर्सिटी ने कार्रवाई करते हुए 13 छात्रों को ग्रेजुएट होने से रोक दिया था.

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उन्होंने ये कहा, 'मैं कैंपस में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सविनय अवज्ञा के अधिकार के प्रति सहनशीलता न दिखाने से बेहद निराश हूं. ये सिविल राइट्स और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कायम रखने के बारे में है.' इसके आगे उन्होंने जोर से चिल्लाते हुए कहा, 'हार्वर्ड, क्या आप हमें सुन रहे हैं?'

श्रुति की स्पीच के बाद एक हजार से ज्यादा छात्रों ने विरोध में वॉकआउट कर दिया. कई छात्रों ने फिलीस्तीनी झंडे और बैनर भी दिखाए, जिनमें 'नरसंहार को खत्म' करने की मांग की गई थी.

श्रुति को अपने मुखर अंदाज के लिए हार्वर्ड के बाहर दूसरी कॉलेज और यूनिवर्सिटीज से भी समर्थन मिल रहा है. 

हार्वर्ड मैग्जीन में लिखे एक लेख में श्रुति ने बताया कि उनके माता-पिता को तो ये भी नहीं पता था कि अमेरिकी कॉलेज में दाखिला लेने के लिए कैसे अप्लाई किया जाता है, क्योंकि वो यहां कभी आए नहीं थे. अपने परिवार से श्रुति पहली महिला हैं, जो किसी अमेरिकी यूनिवर्सिटी में पढ़ रही हैं. इस लेख में उन्होंने बताया था कि उनका बचपन नेब्रास्का के एक फार्म और खेतों के आसपास बीता है. नेब्रास्का से हार्वर्ड तक का सफर उन्होंने खुद अपनी मेहनत से तय किया है.

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श्रुति लिखती हैं कि 2023 में इजरायल-हमास की जंग के बाद हार्वर्ड कैम्पस बंटा हुआ था और इससे पूरे कैम्पस में अनिश्चितता और अशांति थी. वो कहती हैं कि क्या हम उन लोगों में मानवता देख सकते हैं, जिन्हें हम नहीं जानते? क्या हम उन लोगों का दर्द महसूस कर सकते हैं जिनसे हम सहमत नहीं हैं?

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