
आखिरकार भारत और चीन की सेनाओं के बीच दो साल से चल रहा गतिरोध अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है. सोमवार को पूर्वी लद्दाख में गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स एरिया में पेट्रोलिंग पॉइंट 15 (PP-15) से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गई हैं. यहां पांच दिन तक डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया चली. आखिरी दिन अस्थायी बुनियादी स्ट्रक्चर (बंकर) को भी ध्वस्त कर दिया गया है. दोनों देशों की सेनाएं योजना के अनुसार वापस भेजी गई हैं. इतना ही नहीं, इस पूरी प्रोसेस का वेरिफिकेशन भी किया जा रहा है. इलाके की पूरी जमीन समतल कर दी गई है.
सूत्रों के मुताबिक, डिसइंगेजमेंट और वेरिफिकेशन प्रोसेस के बारे में ग्राउंड कमांडर्स से पूरी जानकारी का इंतजार किया जा रहा है. हालांकि दोनों पक्ष पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 (पीपी-15) से अलग हो गए हैं, लेकिन डेमचोक (Demchok) और देपसांग (Depsang) इलाके में गतिरोध को समाप्त करने में अभी तक कोई प्रोगेस नहीं हुई है.
8 सितंबर से शुरू हुई थी पीछे हटने की प्रक्रिया
बता दें कि भारतीय और चीनी सेनाओं ने 8 सितंबर को घोषणा की थी कि उन्होंने गतिरोध वाले पॉइंट (PP-15) से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. दोनों सेनाओं ने ये भी बताया था कि जुलाई में हाईलेवल की सैन्य वार्ता के 16वें राउंड में गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में डिसइंगेजमेंट को लेकर रणनीति तय की गई थी. 9 सितंबर को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया था कि पीपी-15 में डिसइंगेजमेंट की प्रोसेस सोमवार तक पूरी कर ली जाएगी.
अस्थाई ढांचे को हटाने पर भी बनी थी सहमति
उन्होंने बताया था कि समझौते के अनुसार, इस इलाके में डिसइंगेजमेंट प्रोसेस 8 सितंबर को सुबह 8.30 बजे शुरू हुई और 12 सितंबर तक पूरी हो जाएगी. दोनों पक्ष चरणबद्ध, कोऑर्डिनेटेड और वेरिफिकेशन के साथ इस क्षेत्र में पीछे हटने पर राजी हुए हैं. बागची ने बताया था कि 'ये तय किया गया है कि दोनों देश यहां बनाए गए सभी अस्थायी स्ट्रक्चर (बंकर) और अन्य संबद्ध बुनियादी ढांचे को ध्वस्त करेंगे और पारस्परिक रूप से इसका वेरिफिकेशन भी किया जाएगा. इलाके में लैंडफॉर्म्स (भू-आकृति) को दोनों पक्षों द्वारा पूर्व-स्टैंड-ऑफ अवधि में बहाल किया जाएगा.
यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं होगा
उन्होंने बताया कि समझौता सुनिश्चित करता है कि इस क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का दोनों पक्षों द्वारा कड़ाई से पालन और सम्मान किया जाएगा और ये कि यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं होगा. उन्होंने कहा- 'PP-15 पर गतिरोध के समाधान के साथ दोनों पक्षों ने बातचीत को आगे बढ़ाने और एलएसी के साथ बाकी मुद्दों को सुलझाने और भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए पारस्परिक रूप से सहमति जताई है.
सेना प्रमुख ने कहा था- मौके का जायजा लेंगे
वहीं, इस संबंध में जब एक कार्यक्रम में सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे से पूछा गया तो उन्होंने कहा- 'मुझे जाकर जायजा लेना होगा. लेकिन, ये (डिसइंगेजमेंट प्रोसेस) निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार चल रही है. इस बारे में बातचीत में तय किया गया था.
बफर जोन बनाने पर स्थिति साफ नहीं
हालांकि, यह साफ नहीं हो सका है कि दोनों पक्ष पीपी -15 पर एक 'बफर जोन' बनाएंगे. दरअसल, पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट पर और पिछले साल पेट्रोलिंग पॉइंट 17 (A) पर डिसइंगेजमेंट पॉइंट में सैनिकों के हटाए जाने के बाद बफर जोन बनाए गए थे. हालांकि, बफर जोन में कोई भी देश पेट्रोलिंग नहीं करता है.
शांति के लिए पीछे हटने पर सहमति
शुरुआत में प्रत्येक देश के करीब 30 सैनिकों को PP-15 में आमने-सामने से हटाया जाएगा. हालांकि, क्षेत्र की समग्र स्थिति के आधार पर सैनिकों की संख्या बदलती रही. भारत लगातार इस बात पर कायम रहा है कि LAC पर शांति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है.
2020 में शुरू हुआ था गतिरोध
बता दें कि पूर्वी लद्दाख सीमा पर 5 मई 2020 को पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद गतिरोध शुरू हो गया था. दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों और बड़ी संख्या में हथियार भेज दिए थे. सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के बीच दोनों देशों ने पिछले साल ही पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट पर और गोगरा क्षेत्र में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी कर ली है. पैंगोंग झील क्षेत्र में डिसइंगेजमेंट पिछले साल फरवरी में हुआ था, जबकि गोगरा में पेट्रोलिंग बिंदु 17 (A) में सैनिकों की वापसी पिछले साल अगस्त में हुई थी.