
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की सफल अमेरिका यात्रा की चर्चा हर ओर है. विशेषज्ञ जहां इस यात्रा से हिंदुस्तान को नफा-नुकसान का गणित बिठाने में लगे हुए हैं, वहीं अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष पॉल रेयान का कहना है कि भारत सरकार अमेरिका की 'बड़ी सहयोगी' बनने जा रही है. यही नहीं, उन्होंने यहां तक कहा कि दोनों मुल्कों के संबंध को परवान चढ़ाया जाना चाहिए.
हालांकि, रेयान ने वाशिंगटन में विदेश नीति भाषण में राष्ट्रपति बराक ओबामा की नीतियों की तीखी आलोचना की. लेकिन उनके भाषण में भारत-अमेरिका संबंध ही ऐसा पहलू रहा जिसकी उन्होंने तारीफ की.
मोदी से की थी मुलाकात
रेयान ने कहा, 'मेरा मानना है कि आपको आवश्यकता है और खास तौर पर, विशिष्ट रूप से मोदी के नेतृत्व में. उन्होंने और मैंने इस पर लंबी चर्चा की कि (भारत-अमेरिका) भविष्य में खासकर समुद्री मामलों, प्रशांत और हिन्द महासागर में भूमिका की बड़ी संभावना रखते हैं. यह सुनिश्चित करते हुए कि हम वैश्विक हितों और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को व्यवस्थित करने में मदद करें. आप जानते हैं कि चीन विवादित क्षेत्रों में द्वीपों पर रनवे बना रहा है.'
प्रधानमंत्री के लिए आयोजित किया था भोज
उन्होंने यह बात अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित किए जाने के एक दिन बाद आया है. मोदी रेयान की अध्यक्षता में कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित करने वाले पहले विदेशी नेता हैं. बुधवार को मोदी और रेयान ने प्रधानमंत्री के संबोधन से पहले आमने-सामने की बातचीत की थी. रेयान ने मोदी के सम्मान में दोपहर भोज भी आयोजित किया था.
दोस्ती को परवान चढ़ाने की जरूरत
रेयान के कार्यालय से जारी टिप्पणियों के मुताबिक, उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि नई भारत सरकार हमारी बड़ी सहयोगी बनने जा रही है. हमारा उनके साथ बेहतर सहयोग है. इसे हमें परवान चढ़ाने और आगे बढ़ाने की जरूरत है. हममें से जो लोग मोदी के प्रशंसक हैं, आप जानते हैं वह एक कंजर्वेटिव हैं, जो स्वतंत्र उद्यमिता चाहते हैं, अपनाते हैं. वह देश में आवश्यक सुधार ला रहे हैं.'
'अपने सहयोगियों को ओबामा ने नजरअंदाज किया'
प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष ने कहा, 'वह एक तरह का गठबंधन है, जो हमें निर्मित करने की आवश्यकता है. मैं ओबामा की पिछले आठ साल की विदेश नीति की बात करूंगा, जहां हमने अपने सहयोगियों को नजरअंदाज किया है. हमने मूल रूप से अपने शत्रुओं, अपने विरोधियों को पुरस्कृत किया है.' सिर्फ भारत पर अपनी टिप्पणियों को छोड़कर रेयान ने ओबामा की विदेश नीति की आलोचना की.
'विदेश नीति को पुनर्गठित करना होगा'
उन्होंने आरोप लगाया कि नई ओबामा विदेश नीति सुस्पष्ट रूप से विफल है. यह हमारी तैयारियों को कम कर रही है. यह हमारी सैन्य क्षमता तथा शक्ति को घटा रही है. रेयान ने कहा, 'यह हमारे सहयोगियों को भ्रमित कर रही है और हमारे विरोधियों को प्रोत्साहित कर रही है. इसलिए हम कह रहे हैं कि हमें अपनी प्रणाली को दुरुस्त करना होगा. यदि हमें इन समस्याओं को नियंत्रण से बाहर जाने देने से रोकना है तो हमें अपनी विदेश नीति को पुनर्गठित और पुष्ट करना होगा, खासकर सैन्य नीति को.' एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कांग्रेस के संयुक्त सत्र में मोदी का संबोधन एक महान दिन था.
'हमारी मित्रता उतार-चढ़ाव वाली रही'
रेयान ने कांग्रेस में भारत-अमेरिका संबंधों को द्विदलीय समर्थन का उल्लेख करते हुए कहा, 'इसलिए जब हमने कैपिटल हिल में भारत के प्रधानमंत्री को सुना तो यह एक महान दिन था. वह कांग्रेस के समक्ष बोले और यह हमारे दोनों देशों के बीच बढ़ती मित्रता के लिए एक महान क्षण है.' रेयान ने कहा, 'पिछले सात वर्षों में, हमारी मित्रता उतार-चढ़ाव वाली रही. हमारे प्रतिद्वंद्वी मजबूत हुए. यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि हमारे शत्रु अब हमसे नहीं डरते और हमारे बहुत से सहयोगी हम पर विश्वास नहीं करते.
उनके कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'भारत, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका के साझा हित हैं और हमें विश्व के घटनाक्रमों को आकार देने के वास्ते मिलकर काम करने के लिए उस बुनियाद के सहारे और आगे बढ़ना चाहिए.