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विदेशों में बढ़ी भारत के इन व्हिस्की ब्रांड्स की मांग, शराब से सरकार को हो रहा बंपर मुनाफा

विदेशों में भारतीय शराब की मांग बढ़ती जा रही है. भारत के कई व्हिस्की ब्राड्स जैसे इंद्री, अमृत विदेशों में खूब लोकप्रियता हासिल कर रही हैं. इसे देखते हुए इस साल भारत की शराब से विदेशी कमाई बढ़ने वाली है.

विदेशों में बढ़ती भारतीय व्हिस्की की मांग (Photo- Reuters) विदेशों में बढ़ती भारतीय व्हिस्की की मांग (Photo- Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 3:59 PM IST

शराब से भारत की विदेशी कमाई में भारी बढ़ोतरी होने वाली है क्योंकि भारत की व्हिस्की की मांग काफी बढ़ गई है. भारत में उत्पादित हो रहे व्हिस्की इंद्री, अमृत और रामपुर की मांग विदेशों में काफी बढ़ रही है जिसे देखते हुए कहा जा रहा है कि जल्द ही भारत को एल्कोहल से होनेवाली कमाई बढ़कर एक अरब डॉलर से अधिक हो जाएगी.

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वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव राजेश अग्रवाल का कहना है कि 2023-24 का यह वित्त वर्ष 31 मार्च का समाप्त होगा और भारत को अप्रैल से अक्टूबर तक ही एल्कोहल निर्यात से 23 करोड़ डॉलर मिल चुके हैं. पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की एल्कोहल से विदेशी कमाई 32.5 करोड़ डॉलर थी.

अग्रवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'भारतीय शराब की मांग बढ़ रही है...अगले कुछ सालों में इसके एक अरब डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है. भारत का पेय पदार्थों का बाजार बहुत तेजी से बढ़ रहा है और धीरे-धीरे दुनिया भर में इन ब्रांडों की मांग भी बढ़ रही है.'

एल्कोहल उत्पादों का वैश्विक व्यापार लगभग 130 अरब डॉलर का है. इस क्षेत्र में विश्व व्यापार पर स्कॉच व्हिस्की का कब्जा है जो 13 अरब डॉलर की कमाई करती है.

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भारत के मुक्त व्यापार समझौतों का क्या होगा एल्कोहल निर्यात पर असर?

भारत ने व्यापार को आसान बनाने के लिए श्रीलंका, यूएई, ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों से मुक्त व्यापार समझौता किया है. राजेश अग्रवाल से जब पूछा गया कि क्या भारत के मुक्त व्यापार समझौते एल्कोहल निर्यात से होने वाले आय को बढ़ावा देने में मदद करेंगे तो उन्होंने कहा, 'हम इसे लेकर अभी बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं. हम विभिन्न देशों के लिए शुल्क में रियायतें पाने की भी कोशिश कर रहे हैं.'

हालांकि, भारतीय व्हिस्की को लेकर फिलहाल एक मुद्दा अनसुलझा हुआ है वो ये कि यह केवल एक साल तक ही मैच्योर की जाती है. सामान्यतः कोई शराब व्हिस्की तभी मानी जाती है जब वो तीन साल तक मैच्योर की गई हो.

लेकिन भारत का शराब उद्योग दावा करता है कि भारत की जलवायु गर्म है जिस कारण व्हिस्की एक साल में ही मैच्योर हो जाती है और उसका टेस्ट भी वैसा ही होता है जैसा कि तीन साल मैच्योर की गई व्हिस्की का.

राजेश अग्रवाल ने कहा, 'इस बात को लेकर बहस अभी भी जारी है कि हमें एक साल मैच्योर की गई शराब को भारतीय व्हिस्की के रूप में ब्रांड करना चाहिए या इसे कोई स्कॉच ब्रांड के रूप में बेचना चाहिए. कई देशों में कानून है कि वो एक साल मैच्योर की गई व्हिस्की नहीं खरीदेंगे. फिलहाल यह एक अनसुलझा मुद्दा है.'

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'भारतीय व्हिस्की को तीन साल की मैच्योरिटी की जरूरत नहीं'

एल्कोहलिक पेय पदार्थ निर्माताओं के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन एल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (CIABS) के अनुसार, इस बात के वैज्ञानिक प्रमाण भी हैं कि भारत के गर्म जलवायु में व्हिस्की के लिए तीन साल की मैच्योरिटी जरूरी नहीं है.

CIABS के डायरेक्टर जनरल विनोद गिरी कहते हैं, 'भारत की गर्म जलवायु में हर साल स्पिरिट 10-15 प्रतिशत वाष्पित हो जाता. इस वजह से अगर हम लंबे समय तक व्हिस्की को मैच्योरिटी के लिए छोड़ देंगे तो हमें इसकी लागत 30-40% बढ़ जाती है.

उन्होंने यह भी कहा कि भारत में मैच्योरिटी की लागत यूरोप के 2-3 प्रतिशत की तुलना में अधिक (8-10 प्रतिशत प्रति वर्ष) है.

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