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विश्वविद्यालयों में अड्डा, छात्र आंदोलन की आड़... जमात-ए-इस्लामी ने बांग्लादेश में ऐसे रखी तख्तापलट की बुनियाद

बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने के पीछे की वजह जमात-ए-इस्लामी की छात्र इकाई है. पिछले 2 सालों में बांग्लादेश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में इस्लामिक छात्र शिविर के कई कैडर भर्ती हुए हैं. यहीं से विश्वविद्यालय के छात्रों को भड़काने का काम शुरू किया गया.

बांग्लादेश में हिंसा और आगजनी के बीच शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति को तोड़ते प्रदर्शनकारी. बांग्लादेश में हिंसा और आगजनी के बीच शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति को तोड़ते प्रदर्शनकारी.
जितेंद्र बहादुर सिंह/शिवानी शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 06 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार जा चुकी है. पीएम पद से इस्तीफा देने के बाद वह फिलहाल भारत में हैं. इस बीच जमात-ए- इस्लामी के छात्र संगठन इस्लामिक छात्र शिविर के बारे में चर्चाएं शुरू हो गई हैं. दरअसल, बांग्लादेश से शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंकने में सबसे बड़ा रोल इस्लामिक छात्र शिविर ने ही निभाया है.

सूत्रों के मुताबिक पिछले 2 सालों में बांग्लादेश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में इस्लामिक छात्र शिविर के कई कैडर भर्ती हुए हैं. यहीं से विश्वविद्यालय के छात्रों को भड़काने का काम शुरू किया गया. आरक्षण के खिलाफ पिछले दो महीनों से सड़कों पर धरना-प्रदर्शन कर रहे छात्र इस्लामिक छात्र संगठन के ही थे.

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इस्लामिक छात्र शिविर का यहां दबदबा

वैसे तो ज्यादातर यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में इस्लामिक छात्र शिविर का दबदबा है. लेकिन ढाका यूनिवर्सिटी, चटगांव यूनिवर्सिटी, जहांगीर यूनिवर्सिटी, सिलहट यूनिवर्सिटी और राजशाही यूनिवर्टी को इसका गढ़ माना जाता है.

छात्रसंघ चुनाव में जीतते हैं JMB सपोर्टर

बांग्लादेश की ज्यादातर बड़ी यूनिवर्सिटीज में पिछले 3 सालों के अंदर जितने भी छात्र संगठन चुनावों में जीते हैं, उन सभी को इसी छात्र संगठन का समर्थन होता है. छात्र राजनीति के अलावा यह संगठन मदरसों की गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से भाग लेता है. भारत में गिरफ्तार किए गए जेएमबी के अधिकांश सदस्य जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश के हैं.

ये हैं संगठन के मुख्य नेता

नूरुल इस्लाम, बुलबुल मोहम्मद, नजरुल इस्लाम और कमाल अहमद सिकदर इस संगठन के मुख्य नेता हैं. इस संगठन के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से बहुत गहरे संबंध हैं और इसके कई कैडर पाकिस्तान और बांग्लादेश भी जा चुके हैं.

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चलाया गया था इंडिया आउट कैंपेन

मालदीव की तर्ज पर बांग्लादेश में भी इंडिया आउट अभियान शुरू किया गया. इसके पीछे इस्लामी छात्र शिविर ही था. अभियान के पीछे पूरी साजिश पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई की थी. इस दौरान आईएसआई के लोग छात्रों की फर्जी डीपी लगाकर छात्र आंदोलन में शामिल हो गए थे और सोशल मीडिया पर उन्हें भड़काने में लगे थे. सूत्र बता रहे हैं कि इस्लामिक स्टूडेंट कैंप के छात्र आईएसआई के चंगुल में फंस गए और आंदोलन हिंसक हो गया.

ISIS ने  तैयार किया रिजीम चेंज का खाका

खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, ऑपरेशन रिजीम चेंज का खाका लंदन में ISIS की मदद से तैयार किया गया था और बांग्लादेश में लागू किया गया था. बांग्लादेशी अधिकारियों ने दावा किया था कि उनके पास सऊदी अरब में तारिक रहमान और आईएसआई अधिकारियों के बीच बैठकों के सबूत हैं. बांग्लादेशी अधिकारियों के पास बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यवाहक प्रमुख और खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान के आईएसआईएस आतंकवादियों से मिलने के भी सबूत थे.

500 से ज्यादा नकारात्मक ट्वीट किए

शेख हसीना की सरकार जाने से पहले सरकार के खिलाफ 500 से ज्यादा नकारात्मक ट्वीट किए गए. जिनमें पाकिस्तानी हैंडल से किए गए ट्वीट भी शामिल थे. इसके अलावा, प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के छात्र विंग को कथित तौर पर पाकिस्तान की आईएसआई का समर्थन प्राप्त है. संगठन का उद्देश्य बांग्लादेश में हिंसा भड़काना और छात्र विरोध को राजनीतिक आंदोलन में बदलना था.

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हसीना के इस्तीफे पर अड़े थे आंदोलनकारी

बता दें कि बांग्लादेश में छात्र रिजर्वेशन के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे. हिंसक प्रदर्शन के बाद शेख हसीना सरकार ने उनकी मांगें मान ली थी, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपना आंदोलन खत्म नहीं किया था. आंदोलनकारी शेख हसीना के इस्तीफे की मांग करने लगे थे. बढ़ती हिंसा के बीच 5 अगस्त को शेख हसीना इस्तीफा देकर भारत के हिंडन एयरबेस आ गईं. यहां उन्हें तब से लेकर अब तक सेफ हाउस में रखा गया है.

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