
कई देशों पर कब्जे की धमकी, टैरिफ वॉर समेत कई ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें अमेरिका का राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप ने छेड़ा है और दुनियाभर में जिसको लेकर विवाद मचा हुआ है. ताजा मामला पेपर स्ट्रॉ को लेकर है. ट्रंप ने अपने हालिया फैसले में कहा कि वह बाइडेन के उस फैसले को खत्म करेंगे जिसमें प्लास्टिक की जगह पेपर स्ट्रॉ के इस्तेमाल की बात कही गई थी. ट्रंप ने कहा कि...'बैक टू प्लास्टिक'. एक ओर जहां ट्रंप के इस फैसले की आलोचना हो रही है तो वहीं कई लोग इसके समर्थन में हैं. एलन मस्क ने तो उनके इस फैसले को लेकर ट्रंप को अबतक का सबसे महान राष्ट्रपति करार दिया है.
नया नहीं है ये विवाद
प्लास्टिक को लेकर ट्रंप का ये उत्साही फैसला भले ही आपको यूं ही लगे लेकिन अमेरिका की सियासत में इसे लेकर एक लंबा विवाद रहा है. ट्रंप पहली बार इसे लेकर मुखर नहीं हुए हैं. बराक ओबामा के कार्यकाल से शुरू हुआ ये विवाद बाइडेन से होते हुए फिर ट्रंप पर आ गया है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर ये विवाद क्या है. क्यों ट्रंप इसको लेकर गंभीर हैं और इसको लेकर क्या बहस चल रही है...
पहले एक नजर बाइडेन के फैसले पर डालते हैं...
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले साल प्लास्टिक के इस्तेमाल को धीरे-धीरे खत्म करने की योजना की शुरुआत की थी. बाइडेन ने प्लास्टिक प्रदूषण को 'संकट' बताया था. बाइडेन का लक्ष्य था कि 2027 तक अमेरिका से प्लास्टिक के इस्तेमाल को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा और उसकी जगह पेपर स्ट्रॉ का इस्तेमाल किया जाएगा.
ट्रंप को पेपर स्ट्रॉ से क्या है परेशानी
ट्रंप पेपर स्ट्रॉ के लंबे समय से विरोधी रहे हैं. ट्रंप का कहना है कि पेपर स्ट्रॉ मैनेज करना आसान नहीं है. कई बार ये टूट जाते हैं या फट जाते हैं. अगर कोई चीज गर्म होती है, तो वे बहुत लंबे समय तक नहीं टिकती हैं. कई बार ये मिनटों में गल जाता है और ये बहुत अजीब है. इसलिए प्लास्टिक के स्ट्रॉ का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए. लेकिन सवाल उठता है कि क्या वाकई में ये मसला सिर्फ स्ट्रॉ के सही ढंग से इस्तेमाल और कंफर्ट से ही जुड़ा है या कहानी कुछ और है...
'मेकिंग स्ट्रॉ ग्रेट अगेन...'
दरअसल, ट्रंप के पेपर स्ट्रॉ के विरोध की कहानी महज एक फैसले तक नहीं है. इसका एक लंबा इतिहास रहा है. साल 2020 में ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान पेपर स्ट्रॉ के विरोध में ब्रांडेड प्लास्टिक स्ट्रॉ बेचे थे. तब 10 प्लास्टिक स्ट्रॉ वाले पैक की कीमत 15 डॉलर रखी गई थी. इसका असर ऐसा थी कि कुछ ही हफ्तों में इस प्लास्टिक स्ट्रॉ की बिक्री से ट्रंप ने करीब 5 लाख डॉलर की कमाई की थी. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में हर साल इस्तेमाल किए जाने वाले डिस्पोजेबल स्ट्रॉ की संख्या 500 मिलियन है. हालांकि, लोगों का कहना है कि यह आंकड़ा बहुत कम है. वहीं, अमेरिका में प्लास्टिक प्रोडक्ट की हर दिन की खपत 50 करोड़ से भी ज्यादा है. ट्रंप ने 2020 के चुनाव में पेपर स्ट्रॉ को 'लिबरल' बताकर उसका विरोध किया था. तब अमेरिका में ट्रंप ने एक मुहिम चलाई 'मेकिंग स्ट्रॉ ग्रेट अगेन' जो उनके चुनावी नारे मेकिंग अमेरिका ग्रेट अगेन से मेल खाता है.
यही नहीं, ट्रंप जब 2017 में पहली बार राष्ट्रपति बने थे तब भी उन्होंने प्लास्टिक और उससे फैलने वाले प्रदूषण को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई थी. तब उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की आलोचना करते हुए कहा था कि देश में प्लास्टिक से भी जरूरी कई मुद्दे हैं. हमारा ध्यान उसपर होना चाहिए.
ट्रंप का विरोध बिजनेस से जुड़ा है?
दरअसल, बाइडेन हों या बराक ओबामा दोनों ने प्लास्टिक के कम इस्तेमाल को लेकर कदम उठाए थे. बाइडेन ने प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए अमेरिका की पर्यावरण रक्षा एजेंसी (EPA) के मानकों का सहारा लिया था. लेकिन दूसरी ओर, प्लास्टिक के मामले में ट्रंप का रुख उद्योग केंद्रित है. वह पर्यावरणीय मानकों को बहुत हद तक बिजनेस के लिए बाधक मानते हैं. ये ट्रंप के कई फैसलों से स्पष्ट होता है. उन्होंने ग्रीन न्यू डील का पुरजोर विरोध किया है, जिसने कानून के माध्यम से जलवायु परिवर्तन को लागू करने के लिए नीतियों का प्रस्ताव रखा था. अपने पहले प्रशासन के दौरान, ट्रंप ने प्लास्टिक को रोकने के लिए बराक ओबामा के कई फैसलों को पलटा था.
यह भी पढ़ें: दोस्ती, दौरा और डिप्लोमेसी... नेतन्याहू के बाद वॉशिंगटन डीसी में ट्रंप से मिलने वाले तीसरे विदेशी नेता होंगे मोदी!
प्लास्टिक स्ट्रॉ कितना खतरनाक
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल वैश्विक स्तर पर लगभग 380 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है, जिसमें से लगभग 23 मिलियन टन पर्यावरण में पहुंच जाता है. अनुमान है कि इसमें से लगभग 1.7 मिलियन टन सालाना समुद्र में समा जाता है. हालांकि कई रिसर्च ने यह आंकड़ा 4.8 और 12.7 मिलियन टन के बीच रखा है. वर्तमान में, वैश्विक स्तर पर हर साल 460 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक नए प्लास्टिक का उत्पादन होता है और यह संख्या साल दर साल बढ़ रहा है.
प्लास्टिक में 16 हजार से ज्यादा केमिकल
ग्रीनपीस की रिपोर्ट के मुताबिक, 'प्लास्टिक में 16,000 से अधिक केमिकल होते हैं, जिनमें से 3,200 से अधिक केमिकल कैंसर का कारण बनते हैं. इनके चलते हार्मोन पर बुरा असर पड़ता है साथ ही तमाम बीमारियां भी इसके कारण होती हैं.
क्या पेपर स्ट्रॉ से भी होता है नुकसान
आपको जानकर हैरानी होगी की कई रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि प्लास्टिक स्ट्रॉ की तरह ही पेपर स्ट्रॉ भी खतरनाक हैं. ब्राजील में हुई एक रिसर्च में सामने आया कि प्लास्टिक की तुलना में कागज के स्ट्रॉ का पर्यावरणीय प्रभाव अधिक था. वहीं, एक अन्य रिसर्च में सामने आया कि जब कागज लैंडफिल में सड़ते हैं तो प्लास्टिक की तुलना में अधिक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं. वहीं, पेपर स्ट्रॉ में मौजूद केमिकल उन्हें पर्यावरण के लिए हानिकारक बना सकती है.