
एक विफल प्रयास के बाद आखिरकार रूस का ह्यूमनॉएड रोबोट फेडोर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंच गया है. यह आदमकद रोबोट स्पेस स्टेशन पर अंतरिक्ष यात्रियों की मदद करेगा. यह इंसानी हरकतों की नकल करता है. फेडोर का पूरा नाम फाइनल एक्सपेरीमेंटल डिमॉन्स्ट्रेशन ऑब्जेक्ट रिसर्च है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को 1998 में अंतरिक्ष में स्थापित किया गया था. यह पृथ्वी का चक्कर लगा रहा है.
यह रोबोट 22 अगस्त को सोयुज एमएस-14 रॉकेट से स्पेस स्टेशन के लिए रवाना हुआ था. फेडोर 7 सितंबर तक स्पेस स्टेशन पर रहेगा और अंतरिक्ष यात्रियों की मदद करेगा. स्पेस स्टेशन पर पहली बार रोबोट नहीं गया है. इससे पहले 2013 में जापान ने अपना रोबोट किरोबो भेजा था. जबकि, 2011 में नासा ने रोबोनॉट-2 भेजा था. लेकिन, ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई ह्यूमनॉएड रोबोट, आईएसएस पर गया है.
पिछले हफ्ते नहीं उतर पाया था सोयुज यान
पिछले हफ्ते शनिवार को ही फेडोर को स्पेस स्टेशन पर उतरना था. लेकिन स्वचालित प्रणाली में आई गड़बड़ी के कारण सोयुज यान स्पेस स्टेशन पर उतरने में विफल रहा. यान इस दौरान स्पेस स्टेशन से 96 मीटर दूर रुका था.
इमरजेंसी रेस्क्यू टेक्नीक की जांच करने गया है सोयुज
सोयूज एमएस-14 रॉकेट को शनिवार को स्पेस स्टेशन पर पहुंचना था. सोयूज आमतौर पर एस्ट्रोनॉट्स को लेकर स्पेस स्टेशन पर जाता है, लेकिन इस बार आपातकालीन बचाव प्रणाली (इमरजेंसी रेस्क्यू टेक्नीक ) की जांच के लिए इसे मानवरहित रवाना किया गया है.
पायलट सीट पर रोबोट फेडोर को बिठाया गया था
सोयूज की पायलट सीट पर फेडोर को बिठाया गया था. उसके हाथ में रूस का छोटा झंडा भी था. इस रोबोट की लंबाई 5.11 फीट है. इसका वजन 160 किलोग्राम है. फेडोर का अपना इंस्टाग्राम और ट्विटर अकाउंट भी है. स्पेस स्टेशन पर फेडोर कम गुरुत्वाकर्षण में खुद की क्षमता को जांचेगा.
भारत भी अंतरिक्ष में बनाएगा अपना स्पेस स्टेशन
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन डॉ. के सिवन ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि भारत अब अपना स्पेस स्टेशन बनाएगा. इसरो इसके लिए योजना पर काम कर रहा है. यह गगनयान मिशन का अगला स्टेप होगा. सिवन ने बताया कि हमें मानव अंतरिक्ष मिशन के लॉन्च के बाद गगनयान कार्यक्रम को लगातार बनाए रखना है, इसलिए हमें अपने स्पेस स्टेशन की जरूरत है.
क्या होता है स्पेस स्टेशन?
स्पेस स्टेशन को ऑर्बिटल स्टेशन भी कहते हैं. इसे इंसानों को रहने के लिए सभी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. यानी यह अंतरिक्ष में मानव निर्मित ऐसा स्टेशन है, जिससे पृथ्वी से कोई अंतरिक्ष यान जाकर मिल सकता है. इसके अलावा इसमें इतनी क्षमता होती है कि इस पर अंतरिक्ष यान उतारा जा सके. इन्हें पृथ्वी की लो-ऑर्बिट कक्षा में ही स्थापित किया जाता है. हम आपको बता दें कि स्पेस स्टेशन एक प्रकार का मंच है जहां से पृथ्वी का सर्वेक्षण किया जा सकता है, आकाश के रहस्यों को मालूम किया जा सकता है.
दुनिया में कितने स्पेस स्टेशन हैं?
अप्रैल 2018 तक, दो स्पेस स्टेशन पृथ्वी कक्षा में हैं. अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (परिचालन और स्थायी रूप से निवास), और चीन का Tiangong-2 (परिचालन लेकिन स्थायी रूप से निवास नहीं). पिछले स्टेशनों में अल्माज़ और Salyut series, स्काइलैब, मीर और हाल ही में Tiangong-1 शामिल हैं. अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन इसलिए बनाया गया है ताकि वैज्ञानिक लंबे समय तक अंतरिक्ष में काम कर सकें.