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ईरान की पाकिस्तान को धमकी, सुधर जाओ वर्ना घुसकर आतंकी ठिकानों को कर देंगे ध्वस्त!

ईरान की सरकारी न्यूज एजेंसी इरना के मुताबिक ईरानी सेना के प्रमुख मेजर जनरल मोहम्मद बाकरी ने कहा, ' दुर्भाग्य से ईरान की पाकिस्तान से लगती पूर्वी सीमा आतंकियों की ट्रेनिंग और हथियारबंदी के लिए सुरक्षित ठिकाना बन चुकी है. इन आतंकियों की भर्ती सउदी अरब कर रहा है और इन्हें अमेरिका का समर्थन हासिल है.

पाक सीमा पर तैनात ईरान के बॉर्डर गार्ड्स (फाइल फोटो) पाक सीमा पर तैनात ईरान के बॉर्डर गार्ड्स (फाइल फोटो)
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 08 मई 2017,
  • अपडेटेड 1:22 AM IST

भारत और अफगानिस्तान के साथ सीमा पर उलझ रही पाकिस्तानी सेना से अब ईरान भी परेशान है. अब आलम ये है कि ईरानी सेना ने पाकिस्तान के भीतर घुसकर आतंकी ठिकानों को तबाह करने की धमकी दी है.

'घुसकर मारेंगे आतंकियों को'
ईरान की सरकारी न्यूज एजेंसी इरना के मुताबिक ईरानी सेना के प्रमुख मेजर जनरल मोहम्मद बाकरी ने कहा, ' दुर्भाग्य से ईरान की पाकिस्तान से लगती पूर्वी सीमा आतंकियों की ट्रेनिंग और हथियारबंदी के लिए सुरक्षित ठिकाना बन चुकी है. इन आतंकियों की भर्ती सउदी अरब कर रहा है और इन्हें अमेरिका का समर्थन हासिल है. हम ये हालात बर्दाश्त नहीं करेंगे. हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तानी अधिकारी जिम्मेदारी दिखाएंगे और आतंकी ठिकानों को बंद करेंगे. अगर ऐसा नहीं होता तो हम जहां कहीं भी आतंकी ठिकाने हों, उन्हें तबाह करने से पीछे नहीं हटेंगे.

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हमले के बाद धमकी
पिछले बुधवार को पाकिस्तान से सटे ईरानी इलाके सिस्तान और बलूचिस्तान में सुन्नी आतंकियों ने ईरान के 10 सीमा सुरक्षाबलों को मौत के घाट उतार दिया था. सुन्नी आतंकी संगठन जैश अल अदल ने आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी. माना जाता है कि जैश अल अदल को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की सरपरस्ती हासिल है. जैश अल अदल 2013 और 2015 में भी ईरान के बॉर्डर गार्ड्स पर हमला कर चुका है. ताजा हमले के बाद ईरान के विदेशमंत्री पाकिस्तान के दौरे पर भी आए थे. पाकिस्तानी सरकार ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि ईरान के खिलाफ सक्रिय आतंकवादी संगठनों को बख्शा नहीं जाएगा.

पहले भी धमकी दे चुका है ईरान
पाकिस्तान और ईरान की सेना के बीच हाल के सालों में गोलीबारी की घटनाएं बढ़ी हैं. साल 2014 में जैश अल अदल ने 5 ईरानी बॉर्डर गार्ड्स को अगवा कर लिया था. इसके बाद ईरान ने चेतावनी दी थी कि गार्ड्स को छुड़वान के लिए उसकी सेना पाकिस्तान के भीतर घुसने से भी गुरेज नहीं करेगी. एक स्थानीय सुन्नी धर्मगुरु के दखल के बाद मामला सुलझ पाया था.

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