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ईरान की सत्ता में बड़ा उलटफेर, रिफॉर्मिस्ट मसूद पेजेश्कियान जीते राष्ट्रपति चुनाव, कट्टरपंथी जलीली की हार

ईरान में रिफॉर्मिस्ट की सत्ता आ गई है. इब्राहिम रईसी के हेलिकॉप्टर क्रैश में निधन के बाद समय से पहले हुए चुनाव में कट्टरपंथी की हार हुई है. मसूद पेज़ेशकियान अब ईरान के अगले राष्ट्रपति होंगे. उन्होंने देश को पश्चिम के साथ जोड़ने का चुनाव में वादा किया था, जो दशकों से अमेरिका के साथ टकराव की स्थिति में है.

कट्टरपंथी नेता सईद जलीली (बाएं) और सुधारवादी मसूद पेजेशकियान (Photo: AP) कट्टरपंथी नेता सईद जलीली (बाएं) और सुधारवादी मसूद पेजेशकियान (Photo: AP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 4:26 PM IST

ईरान के राष्ट्रपति चुनाव का नतीजा आ गया है. रिफॉर्मिस्ट मसूद पेजेशकियान ने राष्ट्रपति का चुनाव जीता है. उन्होंने कट्टरपंथी माने जाने वाले उम्मीदवार सईद जलीली को मात दी है. चुनाव में उन्होंने ईरान को पश्चिमी देशों से जोड़ने का वादा किया था, जो दशकों से अमेरिकी नेतृत्व के साथ टकराव में है. 

चुनाव में सुधारवादी नेता पेजेशकियान को 16.3 मिलियन वोट पड़े हैं, जबकि हार्डलाइनर यानी कट्टरपंथी उम्मीदवार सईद जलीली को 13.5 मिलियन वोट मिले. पेजेशकियान पेशे से एक हार्ट सर्जन हैं और लंबे समय से सांसद रहे हैं. उनके समर्थकों में खुशियों का माहौल है, जिन्होंने देश की सत्ता में बड़े बदलाव का नेतृत्व किया है. वोट काउंटिंग के दौरान ही उनके समर्थक सड़क पर सेलिब्रेशन के लिए उतर आए थे.

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नए राष्ट्रपति भी सुप्रीम लीडर पर जताते हैं विश्वास

मसलन, इस चुनाव में ईरान के पूर्व परमाणु निगोशियेटर के रूप में मशहूर सईद जलीली, सुप्रीम लीडर के करीबी माने जाते हैं, जिन्हें हार का सामना करना पड़ा है. पेजेशकियान की जीत के बाद ईरान में कुछ बहुत बड़ा बदलाव होगा, इसकी उम्मीद कम ही है, क्योंकि खुद पेजेशकियान वादा कर चुके हैं कि उनके कार्यकाल में देश के शिया धर्मतंत्र में कोई आमूलचूल बदलाव नहीं किया जाएगा.

ईरान में सुप्रीम लीडर की बात पत्थर की लकीर मानी जाती है. पेजेशकियान भी उन नेताओं में एक हैं, जो सुप्रीम लीडर को देश के सभी मामलों में आखिरी मध्यस्थ मानते हैं. वह पश्चिम के साथ ईरान के बेहतर संबंध की वकालत करते रहे हैं, जिनके प्रतिबंधों से देश का आज खस्ता हाल है.

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इब्राहिम रईसी के निधन के बाद हुआ चुनाव

ईरान में समय से पहले राष्ट्रपति का चुनाव कराना पड़ा है, जहां इब्राहिम रईसी की राष्ट्रपति रहते एक हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई थी. नियमों के मुताबिक, ऐसी स्थिति में 50 दिनों के भीतर राष्ट्रपति के चुनाव का प्रावधान है. रईसी सुप्रीम लीडर आयतुल्ला अली खामेनेई के सबसे करीबी थे और वह खामेनेई के उत्तराधिकारी माने जाते थे.

नए राष्ट्रपति के लिए विदेश नीति पर चुनौती

आयतुल्ला खामेनेई देश के सभी मामलों में आखिरी मध्यस्थ कहे जाते हैं. ऐसे में पेजेशकियान के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं, जहां सुप्रीम लीडर की फॉरेन पॉलिसी अमेरिकी नेतृत्व के खिलाफ रही है. नए राष्ट्रपति के लिए इजरायल-हमास जंग, मिडिल ईस्ट के तनाव और लेबनान से लेकर यमन तक में उसके हिज्बुल्ला-हूती जैसे मिलिशिया समूहों के सामने टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है.

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ईरान चुनाव के रनऑफ में पेजेशकियान और जलीली के बीच कड़ी टक्कर मानी जा रही थी. पेजेशकियान उन कुछ उम्मीदवारों में शामिल थे, जिन्होंने ईरान को दुनिया के लिए खोलने का वादा किया था. मसलन, खासतौर पर पश्चिमी देशों के साथ संबंध को पुनर्स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाने का वादा किया था. हालांकि, जलीली ने ईरान के लिए रूस और चीन को बेहतर बताया था, जो खामेनेई की नीतियों के अधीन है.

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पेजेशकियान के कार्यकाल में क्या बदलाव हो सकते हैं?

मसूद पेजेशकियान के कार्यकाल के दौरान ईरान 2015 के न्यूक्लियर डील को फाइनल कर सकता है, जिसकी वजह से देश पर कई प्रतिबंध लगे हैं. उनके कार्यकाल में ईरान में सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर कुछ बदलाव देखा जा सकता है लेकिन हिजाब के मामले पर पेजेशकियान का रुख साफ नहीं है. हालांकि, उन्होंने 22 वर्षीय महसा अमीनी की मौत पर अपनी प्रतिक्रिया में ज्यादती को अस्वीकार्य बताया था. 

वर्ल्ड मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ईरान के लोग भी पेजेशकियान को लेकर इतना अस्वस्त नहीं हैं कि वह अपने चुनावी वादे को ठीक ढंग से पूरा कर पाएंगे. नए राष्ट्रपति पेजेशकियान अपने चुनावी अभियान के दौरान कुछ मौकों पर स्पष्ट कर चुके हैं कि उनका ईरान के मौलवियों और सुरक्षा बलों के पावर कॉरिडोर से उलझने का इरादा नहीं है.

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