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राहील शरीफ को सऊदी नीत इस्लामी सेना की कमान दिए जाने से चिढ़ा ईरान

पाकिस्तान के पूर्व आर्मी चीफ जनरल राहील शरीफ को सऊदी अरब के नेतृत्व में बनी 39 देशों की इस्लामी सैन्य गठबंधन की कमान दिए जाने पर ईरान ने नाखुशी जताई है. ईरान ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि वह इस गठबंधन से 'संतुष्ट' नहीं है.

पाकिस्तान के पूर्व आर्मी चीफ जनरल राहील शरीफ पाकिस्तान के पूर्व आर्मी चीफ जनरल राहील शरीफ
केशवानंद धर दुबे
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  • 03 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 8:45 PM IST

पाकिस्तान के पूर्व आर्मी चीफ जनरल राहील शरीफ को सऊदी अरब के नेतृत्व में बनी 39 देशों की इस्लामी सैन्य गठबंधन की कमान दिए जाने पर ईरान ने नाखुशी जताई है. ईरान ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि वह इस गठबंधन से 'संतुष्ट' नहीं है.

पाकिस्तान में ईरान के राजदूत मेहंदी हुनरदोस्त ने ईरान की सरकारी न्यूज एजेंसी IRNA कहा कि पाकिस्तान ने राहील शरीफ को गठबंधन सेना का नेतृत्व करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (नो अब्जेक्शन सर्टिफिकेट) जारी करने से पहले ईरान के अधिकारियों से संपर्क किया था.

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पाकिस्तानी अखबार 'डॉन' की रिपोर्ट के मुताबिक हुनरदोस्त ने कहा, 'लेकिन इसका यह मतलब नहीं है, कि ईरान इस फैसले से संतुष्ट है या इसे स्वीकार कर लिया है.' तेहरान ने इस्लामाबाद को बता दिया है कि ईरान ऐसे किसी सैन्य गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगा. हुनरदोस्त ने यह भी कहा, कि ईरान ने कभी भी इस तरह के गठबंधन का हिस्सा बनने की इच्छा नहीं जताई है.

मेहंदी हुनरदोस्त ने सुझाव दिया है कि सभी मुस्लिम देश इस तरह के विवादित सैन्य गठबंधन बनाने के बजाय अपने विवाद को सुलझाने के लिए एक साथ मिलकर 'शांति गठबंधन' बनाना चाहिए.

गौरतलब है कि 2015 में सऊदी अरब ने आतंकवाद से लड़ने के लिए 34 मुस्लिम देश की सेनाओं के साथ गठबंधन बनाने का ऐलान किया था. पाकिस्तान भी इस गठबंधन का सदस्य बना था.

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शनिवार को हुनरदोस्त ने पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून को दिए इंटरव्यू दौरान, जब उनसे पूछा गया कि क्या ईरान इस इस्लामी सैन्य गठबंधन का हिस्सा बनेगा. हुनरदोस्त ने कहा कि ईरान गठबंधन में शामिल होने की अपनी इच्छा को पहले ही बता चुका है. हमारा मानना है कि मुस्लिम देशों को मिलजुलकर अपनी परेशानियों को सुलझाना चाहिए.

सऊदी अरब और उसके पड़ोसी देश लगातार कई महीनों से यमन में ईरान समर्थित विद्रोहियों से जंग लड़ रहे हैं, और वहां सैकड़ों हवाई हमले कर चुके हैं. यह गठबंधन तब किया गया था, जब आईएसआईएस ने खाड़ी देशों में से राजशाही को उखाड़ फेंकने की धमकी दी थी. कुवैत और सऊदी अरब में आईएसआईएस अनेकों बार शिया मस्जिदों को निशाना बना चुका हैं.

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