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खर्चा कम, असर ज्यादा... जानें कैसे वेस्ट एशिया में युद्ध की नई परीभाषा गढ़ रहे ईरानी ड्रोन

पश्चिमी एशिया या मिडिल ईस्ट में ईरानी ड्रोन का उदय युद्ध की रणनीतियों को बदल रहा है. इन ड्रोन्स के इस्तेमाल से क्षेत्रीय शक्ति संतुलन बदल सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान के सस्ते और प्रभावशाली हथियार विकसित देशों के लिए एक नई चुनौती पेश कर रहा है.

ईरानी ड्रोन (प्रतिकात्मक तस्वीर) ईरानी ड्रोन (प्रतिकात्मक तस्वीर)
मिलन शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 07 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 8:09 PM IST

पश्चिमी एशिया में युद्ध की परिभाषा नए सिरे से लिखी जा रही है, और ईरान द्वारा सप्लाई किए गए ड्रोन्स इसकी अहम वजह है. इन ड्रोन्स को शहीद ड्रोन भी कहा जाता है, जो अब क्षेत्रीय संघर्षों और रूस-यूक्रेन युद्ध में अहम भूमिका निभा रहे हैं. ईरान इन ड्रोन्स का इस्तेमाल करके अपनी रणनीति को मजबूत कर रहा है और खासतौर से इजरायल के खिलाफ अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है.

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इन ड्रोन्स की सबसे बड़ी खासियत यही है कि ये सस्ते और ताकतवर होते हैं. ईरानी रणनीतिकारों का सबसे बड़ा फोकस यही होता है कि कम लागत में कैसे ज्यादा से ज्यादा असर डाला जा सकता है. ईरान ने अपना तकनीकी विकास चीन और उत्तर कोरिया के समर्थन से किया है. मसलन, ईरान मात्र 20 हजार डॉलर में ड्रोन बना लेता है लेकिन इसका काउंटर करने के लिए मिसाइल की जरूरत पड़ती है - जो ईरानी ड्रोन 129 और 136 की तुलना में कहीं ज्यादा महंगे होते हैं.

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विरोधी देशों को काउंटर करने में लगता है बड़ा रिसोर्से

कमांडर राहुल वर्मा (रिटायर्ड) के मुताबिक, "ईरान सस्ते, लेकिन असरदार ड्रोन बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. इन ड्रोन्स की वजह से विरोधी देश को अधिक महंगी मिसाइलें खर्च करनी पड़ती हैं." यह रणनीति वास्तव में ‘सस्ता युद्ध’ का नया चरण पेश करती है.

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हाल के महीनों में ईरान ने सैकड़ों ड्रोन रूस को सप्लाई किए हैं, जो यूक्रेन में विभिन्न हमलों में शामिल हो चुके हैं. इनके अलावा, ईरान-समर्थित गुटों ने इराक और सीरिया में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर ड्रोन हमले किए हैं.

अमेरिकी संप्रभुता को चुनौती दे रहा ईरान

रणनीति और विदेश-नीति विशेषज्ञ कमर आगा का मानना है कि "ईरान की ड्रोन तकनीक अमेरिकी संप्रभुता को चुनौती दे रही है. ड्रोन हमले एक नया युद्धक्षेत्र खोलते हैं और इससे पारंपरिक सैन्य शक्ति संतुलन बदल रहा है."

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इन घटनाओं से पता चलता है कि युद्ध की सोच में एक मौलिक बदलाव हो रहा है. जहां एक ओर इजरायल और अमेरिका अपनी सुरक्षा को लेकर नए खर्चों का सामना कर रहे हैं, वहीं ईरान अपने सस्ते और मगर कुशल हथियारों के बल पर नई रणनीति विकसित कर रहा है. यह बदलाव न सिर्फ उन देशों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगाते हैं, बल्कि उनके आर्थिक संसाधनों पर भी बोझ डालता है.

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